यूं तो क्रकेट को अनिश्चितताओं का खेल कहा जाता है लेकिन भारतीय क्रिकेट में गुरुवार को कुछ ऐसा हुआ जिसे पहले से ही लगभग निश्चित माना जा रहा था. राजकोट में कैरेबियाई टीम के खिलाफ भारतीय टीम ने बल्लेबाजी शुरू की और सलामी बल्लेबाज के तौर पर उतरे युवा बल्लेबाज पृथ्वी शॉ ने जोरदार शॉट्स लगाना शुरू कर दिया. पृथ्वी ने अपने टेस्ट करियर की पहली ही पारी शतक जड़ा और भारतीय क्रिकेट का आकाश उनकी जय जयकार के नारों से गुंजायमान हो गया.
कमजोर वेस्टइंडीज के खिलाफ अपनी डेब्यू मैच में पृथ्वी ने 154 गेदों पर खेली 134 रन के पारी में 19 चौके जड़े, जिनमें से कुछ को निश्चित तौर पर बेहतरीन स्ट्रोक प्ले का नमूना थे. मुंबई के बल्लेबाज पृथ्वी शॉ की इस पारी ने तमाम रिकॉर्ड्स तोड़ दिए.
आगाज के पहले ही बना दिए गए हीरो!
पृथ्वी की यह पारी बेहतरीन तो रही लेकिन टेस्ट क्रिकेट में उनके इस आगाज से पहले जो माहौल बनाया गया वह कुछ ऐसा था जैसे उनका टेस्ट क्रिकेट में उतरना भारतीय क्रिकेट की एक बहुत बड़ी घटना हो, और जिसके होने के इंतजार में पूरी कायनात थमी हुई हुई है. भारतीय क्रिकेट के इतिहास मे पहली बार टेस्ट मैच से एक दिन पहले ही मैच में खेलने वाले 12 खिलाड़ियों के नाम ऐलान कर दिया गया. बीसीसीआई और आईसीसी के ट्विटर हैंडल से उनके आगाज के बारे में ट्वीट्स किए गए.
Lovely to see such an attacking knock in your first innings, @prithvishaw! Continue batting fearlessly. #INDvWI pic.twitter.com/IIM2IifRAd
— Sachin Tendulkar (@sachin_rt) October 4, 2018
पृथ्वी के शतक जड़ते ही सचिन तेंदुलकर समेत तमाम पूर्व क्रिकेटरों ने इनकी तारीफ में कसीदे गढ़ना शुरू कर दिया. ऐसा लग रहा है कि जैसे एक पर्सेप्शन बनाने की कोशिश हो रही कि भारतीय़ क्रिकेट को उसका नया सुपर स्टार मिल गया है. मास्टर ब्लास्टर सचिन तेंदुलकर की ही तरह मुंबईकर..वैसा ही स्ट्रोक प्लेयर..यूं कहें तो उत्तराधिकारी!
पांच साल पहले रोहित शर्मा का आगाज याद कीजिए
अपने डेब्यू मुकाबले में एक बेहतरीन पारी के बाद इतनी तारीफें मिलना निश्चित तौर स्वभाविक बात है.लेकिन जरा घड़ी की सुइयों को पीछे घुमाते हैं. टेस्ट क्रिकेट पृथ्वी के आगाज ने सचिन तेंदुलकर की विदाई की सीरीज की याद दिला दी. पांच साल पहले यानी 2013 में तब भी कुछ ऐसा ही माहौल बना था. सचिन की विदाई हुई थी और आगाज हुआ उनके एक और तथाकथित उत्तराधिकारी रोहित शर्मा का.
पृथ्वी के आगाज और रोहित के आगाज में कई समानताएं हैं. उस वक्त भी घेरलू सीरीज थी और सामने थी वही कैरेबियाई टीम. सीरीज के मुकाबलों की संख्या भी दो ही थी और अपने टेस्ट करियर का आगाज कर रहे रोहित शर्मा ने बतौर सलामी बल्लेबाज ही कोलकाता में शतक जड़ दिया था.
रोहित को भी कहा गया था 'उत्तराधिकारी'
रोहित उस 177 रन की पारी की भी जोरदार तारीफ हुई थी. रोहित भी सचिन-पृथ्वी की ही तरह मुंबईकर हैं और क्रिकेट की बुक का हर शॉट उनके तरकश में मौजूद रहता है. उस वक्त भी ऐसे ही लगा था जैसे भारतीट टेस्ट क्रिकेट में एक नए सितारे का उदय हो चुका है.
कम से कम तारीफें तो इसी स्तर पर हुईं थीं लेकिन रोहित शर्मा नाम का यह सितारा टेस्ट क्रिकेट में एक पुच्छल तारा ही साबित हुआ जो वेस्टइंडीज की उस कमजोर टीम के खिलाफ दोनों टेस्ट मैचों में शतक जड़ने के बाद अगला शतक चार साल बाद श्रीलंका की कमजोर टीम के खिलाफ ही लगा सका. रोहित शर्मा के टेस्ट करियर में अभीतक बस यही तीन शतक उनके नाम हैं.
रोहित को उसके बाद टेस्ट क्रिकेट में अपने पांव जमाने के लिए भरपूर मौके मिले और जाहिर है पृथ्वी शॉ को भी मिलेंगे. विदेशी धरती पर टेस्ट क्रिकेट में रोहित की नाकामी ने साबित किया सचिन की उस विदाई सीरीज में कमजोर कैरेबियाई टीम के खिलफ उनके दो शतकों ने उन्हें वन सीरीज वंडर बना दिया था.
उम्मीद है कि पृथ्वी शॉ भविष्य के रोहित शर्मा साबित नहीं होंगे लेकिन भारतीय क्रिकेट का नया सुपर स्टार बनने के लिए उन्हें वेस्टइंडीज के खिलाफ नहीं बल्कि आगामी ऑस्ट्रेलिया दौरे पर चमकना होगा जिसके लिए उनका सेलेक्शन तो अभी से तय माना जा रहा है. उसके बाद तय होगा कि वह भविष्य के सचिन तेंदुलकर है या रोहित शर्मा.
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