तमाम मुश्किलों और विवादों के बाद आखिरकार बंगाल क्रिकेट एसोसिएशन ने प्रज्ञान ओझा की सिफारिश मान ली है. प्रज्ञान को इस रणजी सीजन में हैदराबाद की तरफ से खेलने की अनुमति दे दी गई है.
ओझा ने बंगाल की टीम से न खेलने के लिए व्यक्तिगत कारणों का हवाला दिया था. वह हैदराबाद से खेलना चाहते थे.उन्होंने कहा था कि इस दौर में न खेलना उनके करियर को बर्बाद कर सकता है. 2015-16 में जब हैदराबाद बुरे प्रदर्शन के बाद ग्रुप-सी में आ गई थी तब ओझा बंगाल के साथ जुड़े थे. उन्होंने उस सत्र में नौ मैचों में 36 विकेट अपने नाम किए थे. लेकिन अब वह वापस अपनी टीम से जुड़ना चाहते हैं.
उनका पिछला सीजन अच्छा नहीं रहा. वह छह मैचों में सिर्फ 10 विकेट ही ले पाए. ओझा इस सीजन में हैदराबाद की तरफ से ही खेलना चाहते हैं, लेकिन शुरुआत में उन्हें सीएबी ने एनओसी नहीं दी. रणजी ट्रॉफी के शुरुआती दो मैचों के लिए चुनी गई टीम में भी वह शामिल नहीं थे. बंगाल अपने पहले मैच में पलाम मैदान में सर्विसेस से भिड़ेगी.
सीएबी के सचिव अविषेक डालमिया ने बताया, 'मैंने अध्यक्ष (सौरव गांगुली) से बात की थी और हमने इस मामले को सहानुभूतिपूर्वक सुलझाने का फैसला लिया था. हमने उन्हें अनापत्ति प्रमाण पत्र (एनओसी) देने का फैसला किया है.
आपको बता दें कि ओझा ने बंगाल से एनओसी मांगा था. ओझा अपनी घरेलू टीम (हैदराबाद) वापस लौटना चाहते थे लेकिन कैब अध्यक्ष सौरव गांगुली ने ऐसा करने से इनकार कर दिया.
इससे ओझा नाराज हो गए और ना तो वो बंगाल के प्रैक्टिस सेशन में पहुंचे और ना ही चयनकर्ताओं से संपर्क करने की कोशिश की.
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