18 साल पहले क्रिकेट जगत को हिला कर रख देने वाले मैच फिक्सिंग कांड का खुलासा अनायास ही हुआ था. दिल्ली पुलिस अपराध शाखा के इंस्पेक्टर ईश्वर सिंह नशीली दवाओं के तस्करों और भारत तथा दुबई में सक्रिय उन माफिया सरगनाओं की गतिविधियों की निगरानी कर रहे थे जो व्यापारियों से जबरन उगाही के लिए कुख्यात थे. ये मामला उजागर होने से दो माह पहले दक्षिण दिल्ली के एक व्यापारी ने आरके पुरम स्थित अपराध शाखा के कार्यालय में शिकायत की थी कि दुबई से उनके पास धमकी भरी कॉल आ रही हैं और वे भारी रकम की मांग कर रहे हैं.
ईश्वर सिंह गृह मंत्रालय से अनुमति लेकर कुछ फोन टैप करने लगे. उस दौरान उन्होंने दिल्ली के व्यापारी राजेश कालरा को भारत- दक्षिण अफ्रीका के बीच होने वाले मैचों पर सट्टा लगाने की बात करते सुना. कालरा लंदन स्थित एक साथी की मदद से सीरीज का नतीजा ही बदल देने की बात कर रहा था. उसका दावा था कि उसके इस साथी की दक्षिण अफ्रीकी क्रिकेट में अच्छी पैठ है. ये शख्स और कोई नहीं संजीव चावला था.
15 मार्च 2000 को हुआ मैच था फिक्स
दिल्ली पुलिस का रहस्योद्घान चौंकाने वाला था. उसने दक्षिण अफ्रीकी क्रिकेट टीम के कप्तान हैंसी क्रोनिए और संजीव चावला के बीच बातचीत के आडियो टेप प्रस्तुत कर दिए. ये बातचीत फरीदाबाद में हुए वनडे मैच से एक दिन पहले (14 मार्च, 2000) हुई थी. मैच की पूरी कहानी चावला और क्रोनिए के बीत पहले से तय हो चुकी थी. दोनों की बातचीत में ये भी शामिल था कि क्रोनिए टॉस जीतते हैं तो क्या होगा. बातचीत की हर लाइन के साथ क्रिकेट जेंटलमैन गेम से शर्मनाक खेल में बदलता जा रहा था. दिल्ली में जन्मा चावला 1996 में व्यावसायिक वीजा पर ब्रिटेन आया और यही रहा. इस दौरान वह भारत और ब्रिटेन के बीच यात्रा करता रहा. 2000 में भारतीय पासपोर्ट रद होने के बाद चावला ने 2005 में ब्रिटेन का पासपोर्ट हासिल किया और अब वह ब्रिटिश नागरिक है.
इस मामले में दिल्ली पुलिस ने जुलाई 2013 में एक चार्जशीट फाइल की थी, जिसमें संजीव चावला और हैंसी क्रोनिए का नाम भी था. क्रोनिए की 2002 में एक प्लेन क्रैश में मौत हो गई थी. 70 पन्नों की चार्जशीट में संजीव चावला और हैंसी क्रोनिए को 2000 में 16 फरवरी और 20 मार्च को खेले गए भारत-दक्षिण अफ्रीका के मैच फिक्स करने के लिए जिम्मेदार बताया गया था. लेकिन इस मामले में उस समय बड़ी कामयाबी मिली जब ब्रिटिश पुलिस ने प्रमुख आरोपी संजीव चावला को 14 जून, 2016 में गिरफ्तार कर लिया. ब्रिटेन की क्राउन प्रोसिक्यूशन सर्विस (सीपीएस) के अनुसार चावला को भारत सरकार की गुजारिश पर गिरफ्तार किया गया था.
18 साल बाद नहीं हुई है संजीव से पूछताछ
उस समय दिल्ली पुलिस अपराध शाखा ने कोर्ट से गैर जमानती वारंट के आधार पर भारत सरकार के माध्यम से ब्रिटिश पुलिस से संजीव चावला को भारत को सुपुर्द करने की गुजारिश की थी. तब उन्होंने संजीव चावला का भारत में प्रत्यर्पण कराने से इनकार कर दिया था. ब्रिटेन के इंटरनेशनल जस्टिस एंड ऑर्गनाइज्ड क्राइम डिविजन के विशेष वकील ने भारतीय विदेश मंत्रालय को एक ई मेल भेजा था. इस मेल में भारत की जेलों की सुरक्षा इंतजाम और दूसरी सुविधाओं को लेकर शंकाएं जताई गई थीं. वकील ने दिल्ली पुलिस से उस जेल के सुरक्षा इंतजामों और सुविधाओं की जानकारी मांगी थी, जहां चावला को रखा जाएगा. दिल्ली पुलिस ने अपने जवाब में कहा था कि चावला को तिहाड़ में स्पेशल सेल में रखा जाएगा और उसकी सुरक्षा में विशेष सुरक्षाकर्मी तैनात होंगे.
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भारत के प्रत्यर्पण आग्रह को खारिज करने के निचली अदालत के फैसले के खिलाफ भारत ने पिछले साल फिर अपील की. नवंबर में ब्रिटिश हाईकोर्ट ने चावला को भारत प्रत्यर्पित करने के खिलाफ निचली कोर्ट के आदेश को रद कर दिया और डिस्ट्रिक्ट जज को उसके खिलाफ प्रत्यर्पण कार्यवाही फिर शुरू करने का निर्देश दिया. अदालत ने सोमवार को संजीव चावला के प्रत्यर्पण को मंजूरी दे दी. औपचारिक प्रत्यर्पण आदेश के लिए मामला अब गृह मंत्री साजिद जाविद के पास जाएगा. इस मामले में ये भारत की बड़ी जीत है.
अब जबकि इस मामले को 18 साल बीत चुके हैं संजीव चावला ही अकेले ऐसे आरोपी हैं जिनसे दिल्ली पुलिस, सीबीआई और किंग्स कमीशन (भारत में इस पर सीबीआई जांच बैठाई थी और दक्षिण अफ्रीका ने जांच के लिए किंग्स कमीशन नियुक्त किया था) ने पूछताछ नहीं की है. इसमें कोई शक नहीं है कि संजीव चावला ही इस मामले के असली खलनायक हैं, लेकिन भारत आने के बाद वह क्या नया खुलासा करते हैं इस पर पूरी दुनिया की नजर होगी.
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