अभी ज्यादा दिन पहले की बात नहीं है. ड्वेन ब्रावो मीडिया से सामने थे. उन्होंने कहा कि चेन्नई सुपरकिंग्स उनके लिए परिवार की तरह है. जिस टीम से उन्हें 6 करोड़ 40 लाख का चेक मिलना हो, उसके लिए दिल से अलग ही आवाज निकलना लाजिमी है.
ब्रावो की काबिलियत पर शक करने को कोई कारण नहीं है. लेकिन इस क्रिकेटर का एक सच साझा करना जरूरी है. ब्रावो ने अपने देश वेस्टइंडीज के लिए खेलना छोड़ दिया है. आईपीएल के 11 साल में देश बनाम क्लब पर बहस का समय निकल चुका है. इन सालों में लगभग हर देश के कई क्रिकेटरों ने अपने मुल्क को त्याग कर आईपीएल का दामन थामा है. लेकिन परेशान कर देने वाली सच्चाई यह है पैसे के मद्देनजर देश की बजाय आईपीएल या विश्व के अन्य हिस्सों में चल रही लीग के लिए खेलने का फैसला करने वाले क्रिकेटरों की संख्या में इजाफा हो रहा है.
फीका ने जारी की है रिपोर्ट
विश्व भर के पेशेवर क्रिकेटरों फेडरेशन आफ इंटरनेशनल क्रिकेटर्स एसोसिएशन (फीका) ने इसी महीने एक रिपोर्ट जारी की है. भारत और पाकिस्तान के क्रिकेटर फीका का हिस्सा नहीं है क्योंकि इन दोनों देशों में प्लेयर्स एसोसिएशंस नहीं हैं,
रिपोर्ट में जो नतीजे सामने आए हैं, वे साफ दर्शाते हैं कि क्रिकेटरों का रुझान देश की बजाय प्राइवेट लीग में खेलने की ओर है और ऐसा फैसला करने के पीछे सिर्फ पैसा है क्योंकि अधिकतर खिलाड़ियों का तर्क है कि देश के लिए खेलने में भविष्य सुरक्षित नहीं है.
सुनील नारायण, काइरन पोलार्ड और आंद्रे रसेल जैसे वेस्टइंडीज के खिलाड़ियों के लिए अब अपनी राष्ट्रीय टीम के मायने नहीं हैं. ऐसा होता तो वह अपने बोर्ड से मिलने वाले करार को स्वीकार करते. उन्होंने ऐसा नहीं किया, क्योंकि इससे उनके फ्रीलांस पेशवर टी-20 क्रिकेटर बनने का रास्ता खुल गया.
हर देश के खिलाड़ी लीग को दे रहे हैं तरजीह
पिछले साल न्यूजीलैंड के मिचेल मैकलेनेघन ने भी अपने बोर्ड से मिलने वाले करार को स्वीकार नहीं किया. इंग्लैंड के युवा क्रिकेटर आदिल रशीद और एलेक्स हेल्स ने भी इसी राह पर चलने का फैसला किया. इस पूरे मसले पर लंबी बहस हो सकती है लेकिन सच यह है कि देश की बजाय क्लब की ओर से खेलने का जज्बा आईपीएल ने ही मजबूत किया है.
इन सभी लीग में ऐसे खिलाड़ियों का अपना रुतबा है क्योंकि वे अपना सौ फीसदी समय टूर्नामेंट को देते हैं. इस समय पाकिस्तान, बांग्लादेश, वेस्टइंडीज और ऑस्ट्रेलिया में टी-20 लीग चल रही हैं. श्रीलंका में भी इस फॉरमेट का खाका तैयार हो चुका है और जल्द ही उनकी अपनी लीग शुरु होने वाली है.
सवाल यह है कि एक साल में किसी खिलाड़ी को बतौर फ्रीलांस चार-पांच लीग खेलने को मिलती हैं और उसमें उसे करोड़ों रुपये मिल जाते हैं तो कोई देश के लिए खेलने के लिए जद्दोजहद क्यों करेगा!
जाहिर है कि भारतीय क्रिकेटरों को इतना पैसा मिल रहा है कि उन्हें फिलहाल फ्रीलांस बनने की जरूरत नहीं लेकिन ऐसा भी नहीं है कि यहां देश की जगह अपनी आईपीएल टीम को प्राथमिकता नहीं दी जा रही.
कितने क्रिकेटर हैं जो चोट के नाम पर नेशनल ड्यूटी के बाहर रहे लेकिन जब आईपीएल आया तो वे अपने जिस्म का हर एक अंग मैदान पर झोंकते दिखे. ऐसा भी नहीं है कि कीड़ा कभी भारतीय क्रिकेटरों का काटने वाला नहीं.
भारतीय क्रिकेटर भी इससे अलग नहीं
अगर एक क्रिकेटर जो रणजी मैच तक नहीं खेला और उसे आईपीएल में 10-20 करोड़ का करार मिलता है और एक तकनीकी तौर पर मजबूत बल्लेबाज टेस्ट टीम की मजबूती होने के बावजूद आईपीएल टीम के मालिकों के लिए बेकार है तो यह असंतुलन कभी तो अपना असर दिखाएगा.
वह दिन दूर नहीं है जब पैसे के लिए देश को पीठ दिखाने को तैयार करने वाला वायरस भारतीय क्रिकेट को भी दूषित करेगा. वैसे ऐसा हो भी चुका है.
अंबाती रायडू याद हैं! वह सिर्फ 21-22 साल के थे जब उन्होंने देश के लिए खेलने के अपने सपने की हत्या करके बागी लीग इंडियन क्रिकेट लीग का करार साइन किया था. रायडू सिर्फ एक उदहारण हैं. उस लीग में सभी टीमें ऐसे ही हताश बागियों से भरी थीं.
हंदवाड़ा में भी आतंकियों के साथ एक एनकाउंटर चल रहा है. बताया जा रहा है कि यहां के यारू इलाके में जवानों ने दो आतंकियों को घेर रखा है
कांग्रेस में शामिल हो कर अपने राजनीतिक सफर की शुरूआत करने जा रहीं फिल्म अभिनेत्री उर्मिला मातोंडकर का कहना है कि वह ग्लैमर के कारण नहीं बल्कि विचारधारा के कारण कांग्रेस में आई हैं
पीएम के संबोधन पर राहुल गांधी ने उनपर कुछ इसतरह तंज कसा.
मलाइका अरोड़ा दूसरी बार शादी करने जा रही हैं
संयुक्त निदेशक स्तर के एक अधिकारी को जरूरी दस्तावेजों के साथ बुधवार लंदन रवाना होने का काम सौंपा गया है.