live
S M L

भारतीय क्रिकेट के इस बड़े मैच की जांच होना क्यों बेहद जरूरी है!

विदर्भ को मैच जीतने के लिए 6 ओवर में 11 रन चाहिए थे और उसके पास पांच विकेट बचे थे. मैच पूरा होने के लिए काफी समय भी था लेकिन वह ड्रॉ के लिए मान गया

Updated On: Feb 19, 2019 07:24 PM IST

Jasvinder Sidhu Jasvinder Sidhu

0
भारतीय क्रिकेट के इस बड़े मैच की जांच होना क्यों बेहद जरूरी है!

क्रिकेट में भ्रष्टाचार को लेकर काफी बहस और जांच चल रही हैं. आईसीसी तो अपने सदस्य देश श्रीलंका के खिलाड़ियों को एक समय की मियाद भी दे चुका है ताकि वे बता सकें कि कहीं किसी बुकी ने उन्हें किसी तरह का लालच तो नहीं दिया या फिर किसी तरह की सूचना की गुजारिश की हो.

भारतीय क्रिकेट भी भ्रष्टाचारियों की पहुंच से बाहर नहीं है. 2013 का आईपीएल स्पॉट फिक्सिंग कांड सबसे ताजा उदहारण है. ऐसे में अभी दो दिन पहले शेष भारत और रणजी चैंपियन विदर्भ के बीच हुए ईरानी कप के लिए मैच में एक कप्तान आसानी से जीतने की स्थिति में होकर भी अगर ड्रॉ के लिए राजी हो जाता है तो सवाल उठना लाजिमी है.

यह भी पढ़ें- कुछ यूं विराट और शास्त्री के स्टार स्पिनर्स को स्टंप कर गया खतरों से खेलने वाला यह खिलाड़ी

किसी भी टीम के लिए इससे बड़ा गौरव नहीं हो सकता कि वह रणजी चैंपियन बने और उसके बाद शेष भारत की टीम के खिलाफ सीधे जीत के परिणाम ना निकलने के बावजूद ईरानी कप पर भी उसका कब्जा हो. हर साल रणजी ट्रॉफी जीतने वाली टीम ईरानी कप के लिए शेष भारत की टीम से मैच खेलती है.

क्यों उठे सवाल!

कहानी को कुछ इस तरह समझने की कोशिश करते हैं. विदर्भ को मैच जीतने के लिए छह ओवर में 11 रन चाहिए थे और उसके पास पांच विकेट बचे थे. मैच पूरा होने के लिए काफी समय भी था. यानि विदर्भ के पास सीधी जीत का मौका था, लेकिन कप्तान फैज फजल ने शेष भारत के कप्तान अजिंक्य रहाणे के ड्रॉ पर राजी होने के प्रस्ताव को मान लिया.

faiz fazal

यह काफी अजीब फैसला था. रहाणे के लिए ड्रॉ के लिए जाने का कारण था क्योंकि उनकी टीम हार से बच गई. मैच ड्रॉ रहने की स्थिति में विदर्भ पहली पारी की लीड के आधार पर विजेता जरूर बना, लेकिन उसका सीधे जीत के लिए ना जाना सवाल खड़ा करता है.

क्या कहता है नियम

बीसीसीआई का नियम नंबर 16.1.6 कहता है कि अगर, 'मैच के आखिरी दिन दोनों टीमों के कप्तानों को लगे की दोनों ही के लिए मैच का परिणाम निकलने की संभावना नहीं है तो वे मैच के समय के आखिरी घंटे या फिर मैच खत्म होने के कम से कम 15 ओवर पहले, जो भी स्थिति बने, ड्रॉ पर राजी हो सकते है. ऐसा फैसला लेने की स्थिति में क्रीज पर मौजूद बल्लेबाज कप्तान की भूमिका अदा कर सकता है.' नियम की पहली लाइन से साफ है कि कप्तानों ने इसकी अनदेखी की क्योंकि विदर्भ को जीत के लिए सिर्फ 11 रन ही चाहिए थे.

क्रिकेट में कुछ भी हो सकता है. हो सकता है कि शेष भारत लागातार तीन चार विकेट हासिल कर लेता जैसा कि विश्व क्रिकेट में कई बार हुआ है. रोचक स्थिति यह है कि मैदान पर मौजूद अंपायरों ने भी मैच को पूरा करने पर जोर नहीं दिया. यह पूरी स्थिति काफी संदिग्ध नजर आती है.

यह भी पढ़ें- टेस्ट क्रिकेट को हिट करने के लिए चाहिए डरबन जैसे मैच और ऐसे स्टार 'एक्स्ट्रा कलाकार'

यहां पर किसी पर भी आरोप नहीं लगाया जा रहा है. लेकिन मैच जिन हालात में खत्म हुआ, बोर्ड को चाहिए कि वह अपनी भ्रष्टाचार इकाई के जासूसों से जांच के लिए कहे. यह जांच किसी खिलाड़ी की ईमानदारी के खिलाफ नहीं होगी बल्कि इससे उन्हें लगातार लगने वाले भ्रष्टाचार के आरोपों से बचाने में मदद मिलेगी.

कौन जानता है कि यह जांच भ्रष्टाचार इकाई के अधिकारियों के लिए ही हैरानी का सबब हो. यह भी तो हो सकता है! जांच का परिणाम जो भी हो, बीसीसीआई को ईरानी कप के उस आखिरी दिन के आखिरी घंटे में जो फैसले हुए, उसकी तह में जाना जरूरी है.

0

अन्य बड़ी खबरें

वीडियो
KUMBH: IT's MORE THAN A MELA

क्रिकेट स्कोर्स और भी

Firstpost Hindi