मंगलवार से आईपीएल में प्लेऑफ मुकाबले शुरू होने वाले हैं. जहां एक ओर दो साल बाद वापसी करने वाली चेन्नई ने शानदार खेल दिखाया तो डेविड वॉर्नर की गैरमौजूदगी में सनराइजर्स ने बेहतरीन खेल दिखाते हुए टॉप स्थान पर रहते हुए प्लेऑफ के लिए क्वालीफाई किया. लेकिन एक टीम ऐसी भी है तमाम बदलावों के बावजूद जिसकी किस्मत इस बार भी नहीं बदली. दिल्ली डेयरडेविल्स 13 मैचों से सिर्फ चार मैच जीतकर अंकतालिका के आखिरी स्थान पर है और रविवार को अपना आखिरी मैच जीतकर भी वह वहीं रहेगी. इस साल दिल्ली ने होम बॉय गौतम गंभीर को टीम से जोड़ा तो उम्मीद की जा रही थी शायद इस बार दिल्ली की किस्मत में कुछ बदलाव आए, लेकिन ऐसा कुछ हुआ नहीं. दिल्ली के युवा बल्लेबाजों ने जरूर अपना प्रभाव छोड़ा. जानिए इस बार क्या वजह रही है कि इस बार भी दिल्ली के प्रदर्शन में सुधार नहीं आया.
चोटिल हुए मुख्य खिलाड़ी
सीजन की शुरुआत से ही मुश्किलें बढ़ गई थी. दिल्ली के लिए अहम गेंदबाज साबित होने वाले कैगिसो रबाड़ा चोटिल होने के चलते लीग से बाहर हो गए. उनकी जगह टीम में आए लिएम प्लंकेट उनकी जगह नहीं ले पाए और उनका प्रदर्शन कुछ खास नहीं रहा.
इसके बाद टूर्नामेंट के दौरान दिल्ली के ऑलराउंडर क्रिस मॉरिस भी चोटिल होने के चलते टीम से बाहर हो गए. इसके बाद दिल्ली की गेंदबाजी कमजोर हो गई जिसके बाद टीम को खामियाजा भुगतना पड़ा.
खराब गेंदबाजी
इस सीजन में दिल्ली डेयरडेविल्स को सबसे ज्यादा मुश्किल में डाला है उसकी गेंदबाजी ने. दिल्ली की ओर से ट्रेंट बोल्ट को छोड़कर भी गेंदबाज टीम के लिए अहम भूमिका निभाने में नाकामयाब रहा. पर्पल कैप की दौड़ में टॉप 10 गेंदबाजों में बोल्ट दिल्ली के अकेले गेंदबाज थे. नई गेंद से बोल्ट ने कमाल का खेल दिखाया, लेकिन उन्हें शमी या मॉरिस का साथ नहीं मिला.
अमित मिश्रा को अपने पहले ही मैच में चार ओवर के स्पैल में 46 रन देने के कारण टीम से बाहर कर दिया गया. हालांकि इसके बाद उन्होंने किफायती गेंदबाजी की, लेकिन विकेट लेकर टीम पर दबाव बनाने के काम में वह बोल्ट का साथ नहीं दे पाए. राहुल त्रिपाठी ने जरूर अच्छी गेंदबाजी की. सभी गेंदबाज एक साथ मिलकर प्रदर्शन करने में नाकाम रहे.
टीम संयोजन में गलतियां
दिल्ली की ओर से युवा बल्लेबाजों ने कमाल का प्रदर्शन किया, लेकिन टीम ने कई ऐसे खिलाड़ियों को प्लेइंग इलेवन से बाहर रखा जिन्हें मौका देने से शायद टीम को बेहतर परिणाम मिल सकते थे. विजय शंकर ने दिल्ली की ओर से लगभग सभी मैच खेले. छठे -सातवें नंबर बल्लेबाजी करने आने वाले विजय शंकर ने कोई अहम पारी नहीं खेली ना ही उन्हें गेंदबाजी के ज्यादा मौके मिले. उनकी जगह बाहर बैठने वाले खिलाड़ियों में गुरकीरत मान, जयंत यादव और नमन ओझा जैसे नाम शामिल हैं.
गौतम गंभीर ने हर रोल में टीम को किया निराश
गौतम गंभीर जब इस साल टीम के साथ जुड़े थे तब लोगों को उनसे धमाके की उम्मीद थी. लेकिन ऐसा कुछ हुआ नहीं. गंभीर बल्ले से तो नाकाम रहे ही वो कप्तानी में भी कमाल नहीं कर सके जैसा उन्होंने कोलकाता नाइट राइडर्स के लिए किया. शुरुआती छह मैचों में वह केवल 85 रन बना सके.
इसके बाद उन्होंने ना सिर्फ कप्तानी छोड़ी, बल्कि खुद को प्लेइंग इलेवन से भी बाहर कर लिया. इन सब विवादों के बीच दिल्ली लगातार मैच हारती रही. युवा बल्लेबाज श्रेयस अय्यर को टीम की कप्तानी दी गई लेकिन वो भी टीम को पांच में से केवल दो ही मैच में जीत दिला सके.
हंदवाड़ा में भी आतंकियों के साथ एक एनकाउंटर चल रहा है. बताया जा रहा है कि यहां के यारू इलाके में जवानों ने दो आतंकियों को घेर रखा है
कांग्रेस में शामिल हो कर अपने राजनीतिक सफर की शुरूआत करने जा रहीं फिल्म अभिनेत्री उर्मिला मातोंडकर का कहना है कि वह ग्लैमर के कारण नहीं बल्कि विचारधारा के कारण कांग्रेस में आई हैं
पीएम के संबोधन पर राहुल गांधी ने उनपर कुछ इसतरह तंज कसा.
मलाइका अरोड़ा दूसरी बार शादी करने जा रही हैं
संयुक्त निदेशक स्तर के एक अधिकारी को जरूरी दस्तावेजों के साथ बुधवार लंदन रवाना होने का काम सौंपा गया है.