धूम धड़ाके से भरपूर आईपीएल मुकाबलों में अप्रत्याशित परिणाम कैसे निकाले जा सकते हैं और स्टार खिलाड़ियों की फौज के बिना भी शीर्षस्थ टीमों को कैसे शिकस्त दी जा सकती है, इसे राइजिंग पुणे सुपरजायंट्स से बेहतर शायद ही कोई टीम जानती है. पुणे की इस टीम का नाम सुनकर थोड़ा अटपटा सा लगा होगा लेकिन आईपीएल 10 के प्लेऑफ की जो लाइनअप तय हुई है, उसमें राइजिंग पुणे सुपरजायंट्स एकमात्र ऐसा नाम है जो सबको हैरत में डाल गया.
पुणे की वही सुपरजायंट्स टीम, जो पिछले साल आईपीएल की अंकतालिका में नीचे से दूसरे नंबर पर थी, इस बार शीर्ष पर काबिज मुंबई इंडियंस के बाद दूसरे नंबर पर आ धमकी है. आईपीएल 10 के शुरुआती चार मैचों में महज एक जीत दर्ज कर जो टीम बिखरी-बिखरी सी नजर आ रही थी, अचानक से जीत की ऐसी राह पकड़ी कि अगले 10 में से 8 मैच जीतकर कोलकाता नाइटराइडर्स और गत विजेता सनराइजर्स हैदराबाद जैसी धुरंधर टीमों को पीछे छोड़ दिया.
बेहद अनुशासित टीम
आईपीएल में पदार्पण करने वाली राइजिंग पुणे सुपरजायंट्स की टीम पिछले साल अंक तालिका में सातवें नंबर पर रही थी. इस बार भी पुणे की टीम की शुरुआत अच्छी नहीं रही लेकिन कप्तान स्टीव स्मिथ सहित बेन स्टोक्स, महेंद्र सिंह धोनी, इमरान ताहिर और अजिंक्य रहाणे जैसे सीनियर खिलाड़ियों ने समय-समय पर बेहतर प्रदर्शन करते हुए टीम का मनोबल नहीं गिरने दिया. लीग दौर में रॉयल चैलेंजर्स बैंगलोर और सनराइजर्स हैदराबाद पर जीत हासिल करने के बाद तो ऐसा लगा जैसे टीम को पंख लग गए.
राहुल त्रिपाठी, शार्दुल ठाकुर, जयदेव उनादकट और डेनियन क्रिस्टियन जैसे युवाओं ने बेहतरीन प्रदर्शन करते हुए टीम को जीत दिलाने में अहम् भूमिका निभाई. स्थिति ऐसी आ गई कि हर मुकाबले में नया मैच विनर उभरकर सामने आने लगा और पुणे की टीम कुल 14 में से नौ मैच जीत अंकतालिका में दूसरे स्थान पर पहुंच गई.
जबरदस्त संघर्ष क्षमता
पुणे की टीम की सबसे बड़ी ताकत है सामूहिक प्रयास से टीम की नैया पार लगाना हालांकि उनके पास बेन स्टोक्स, महेंद्र सिंह धोनी और स्टीव स्मिथ जैसे स्टार खिलाड़ी हैं, लेकिन पूरी टीम कभी भी सिर्फ इन्हीं खिलाड़ियों पर निर्भर नहीं दिखी.
उनका हर खिलाड़ी अपना शत-प्रतिशत देने का प्रयास करता दिखा. मुंबई इंडियंस के खिलाफ जीत के साथ लीग दौर की शुरुआत करने के बाद पुणे की टीम को किंग्स इलेवन पंजाब, डेयरडेविल्स और गुजरात लायंस के हाथों हार झेलनी पड़ी. इसके बाद रॉयल चैलेंजर्स के खिलाफ राहुल त्रिपाठी, शार्दुल, रहाणे और स्टोक्स के सामूहिक प्रयास से पुणे की टीम ने हार का सिलसिला तोड़ा जो कमोबेश आखिरी लीग मैच तक जारी रहा.
टीम की बल्लेबाजी का जहां तक सवाल है तो कप्तान स्मिथ ने 13 मैचों में 42 के औसत से सर्वाधिक 420 रन बनाए, जबकि राहुल ने 12 मैचों में 32.33 के औसत से 388, बेन स्टोक्स ने 12 मैचों में 316, रहाणे ने 14 मैचों में 282, मनोज तिवारी ने 13 मैचों में 259 और धोनी ने 14 मैचों में 240 रन बनाए.
इसी तरह गेंदबाजी में जयदेव उनादकट ने 10 मैचों में 21 विकेट अपने नाम कर लिए. जयदेव पर्पल कैप की दावेदारी में भुवनेश्वर कुमार (13 मैचों में 25 विकेट) से ठीक पीछे चल रहे हैं. इसी तरह ताहिर ने 12 मैचों में 18, बेन स्टोक्स ने 12 मैचों में 12, डेन ने 11 मैचों में 9 और शार्दुल ने 10 मैचों में 8 विकेट लेकर टीम की सफलता में अहम जिम्मेदारी निभाई.
चतुराई से चलते हैं चाल
इंग्लैंड के ऑलराउंडर बेन स्टोक्स और दक्षिण अफ्रीका के स्पिनर इमरान ताहिर पुणे की टीम के लिए बड़ी ताकत बनकर उभरे. टीम फ्रेंचाइजी ने स्टोक्स को इस साल सबसे ज्यादा 14 करोड़ रुपए की राशि में खरीदा तो सभी को लगा यह एक जोखिम भरा दांव है. इसी तरह ताहिर पर किसी फ्रेंचाइजी ने बोली ही नहीं लगाई जिन्हें पुणे ने अपनी टीम में शामिल कर लिया.
लीग दौर की समाप्ति के बाद अंततः साबित हो गया कि पुणे ने कितनी कारगर चाल चली थी. इसी तरह उनादकट पर भरोसा जताना और राहुल व शार्दुल जैसे युवाओं को निर्भीक अंदाज में खेलने की छूट देकर टीम प्रबंधन ने विपक्षी टीम को परेशान किए रखा. बढ़ा है मनोबल
पुणे की टीम ने लीग दौर में मुंबई इंडियंस, रॉयल चैलेंजर्स बेंगलोर और सनराइजर्स हैदराबाद को दो-दो बार और कोलकाता को एक बार शिकस्त देकर सबको चौंका दिया है. दिग्गज टीमों के खिलाफ जीत हासिल करने से टीम का हौसला बुलंद है. मंगलवार को क्वालीफायर मैच में पुणे की टीम का सामना मुंबई इंडियंस से होना है. जाहिर है, दबाव मुंबई इंडियंस पर रहेगा.
स्टार खिलाड़ियों की अनुपलब्धता
पुणे सुपरजायंट्स की शुरू से ही बदकिस्मती रही कि चोट या फिर अपने देश के लिए खेलने की प्रतिबद्धता, उसके स्टार विदेशी खिलाड़ी एक-एक कर स्वदेश लौट गए. पहले फाफ डू प्लेसी स्वदेश लौटे, जबकि लीग दौर में शानदार प्रदर्शन करने वाले इमरान ताहिर और बेन स्टोक्स भी क्वालीफायर मैच नहीं खेल पाएंगे.
अनुभवहीन गेंदबाजी आक्रमण
पुणे की गेंदबाजी का जिम्मा काफी हद तक उनादकट पर होगी, जबकि डेनियन क्रिस्टियन और शार्दुल उनका साथ निभाएंगे. उनादकट अपनी स्विंग और गति परिवर्तन से बल्लेबाजों को परेशान करते हैं, लेकिन साथ देने वाला कोई अनुभवी गेंदबाज नहीं होगा.
ऑलराउंडर्स की कमी
टी20 मुकाबला आमतौर पर बल्लेबाजी के बल पर जीता जाता है. अब गेंदबाजों की भूमिका भी अहम् हो गई है. यही कारण है कि आईपीएल की ज्यादातर टीमों के पास कीरोन पोलार्ड, आंद्रे रसेल, सुनील नारायण, कोरे एंडरसन, मैक्सवेल और जेम्स फॉकनर जैसे धुरंधर ऑलराउंडर हैं. लेकिन इस मामले में पुणे की टीम काफी कमजोर है.
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