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क्या इंग्लैंड में परेशान करने वाली 'चिड़िया' का शिकार कर पाएंगे भुवनेश्वर कुमार!

टीम इंग्लैंड के खिलाफ वनडे में कैसा करेगी, वह इस बात पर भी निर्भर करेगा कि ओपनर बॉलर भुवनेश्वर कुमार कुकाबुरा बॉल को कैसे संभालते हैं

Updated On: Jul 02, 2018 03:28 PM IST

Jasvinder Sidhu Jasvinder Sidhu

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क्या इंग्लैंड में परेशान करने वाली 'चिड़िया' का शिकार कर पाएंगे भुवनेश्वर कुमार!

भारतीय टीम 12 जुलाई को नॉटिंघम में इंग्लैंड के खिलाफ अपना पहला वनडे खेलेगी. यकीनन तीन वनडे की सीरीज के नतीजे टीम के लिए चार टेस्ट मैचों में बेहतर खेलने की राह तैयार करेंगे. इंग्लैंड पहले जैसा नहीं है. पिचों पर रनों के अंबार लग रहे हैं. मौसम भी वैसा ठंडा नहीं है, जैसा होता है.

उम्मीद की जानी चाहिए कि इस सब के बीच टीम इंडिया की उम्दा फॉर्म इस बहुप्रतिक्षित वनडे सीरीज में भी जारी रहेगी. टीम वनडे में कैसा करेगी, वह इस बात पर भी निर्भर करेगा कि ओपनर बॉलर भुवनेश्वर कुमार कुकाबुरा बॉल को कैसे संभालते हैं!

इसमें कोई दोराय नहीं है कि टीम की हाल के सालों में कामयाबी में भुवनेश्वर की दोनों तरफ की स्विंग बॉलिंग अहम रही हैं. लेकिन उनके हाल के पिछले विदेशी दौरों पर निगाह डालने के बाद अंदाजा होता है कि कुकाबुरा बॉल ने उनकी स्वाभाविक गेंदबाजी पर असर डाला है.

टीम पिछले दिसंबर और इस साल के जनवरी में दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ कुकाबुरा से साथ छह वनडे मैच खेली थी. उन छह मैचों की छह पारियों में भुवनेश्वर ने 134.50 की औसत से 269 रन दिए. पूरी सीरीज में फेंके 42 ओवरों में भुवनेश्वर को दो ही विकेट मिले.

चैंपियंस ट्रॉफी में कुकाबुरा से हिट रहे थे भुवनेश्वर

मौजूदा दौरे से पहले इसी साल जून में टीम इंडिया इंग्लैंड में चैंपियंस ट्रॉफी खेल कर आई है. पांच मैचों में 42.2 ओवर में भुवनेश्वर की सात विकेट थे. चैंपियंस ट्रॉफी में भी कुकाबुरा बॉल का इस्तेमाल हुआ था.

वैसे पूरी दुनिया में इस्तेमाल होने वाली इस बॉल को आस्ट्रेलिया में पाई जाने वाली एक चिड़िया कुकाबुरा का नाम दिया गया है. भुवनेश्वर की सबसे बड़ी ताकत उनकी स्विंग हैं. वह गेंद को अंदर लाने और बाहर निकालने में माहिर है. इस महारत के कारण ही वह मुश्किल गेंदबाजों की कतार में जगह बनाने में सफल हुए हैं.

Cricket - India v South Africa - Third Test match - The Wanderers Stadium, Johannesburg, South Africa - January 25, 2018. India's Bhuvneshwar Kumar celebrates taking the wicket of South Africa's AB de Villiers. REUTERS/James Oatway - RC1642D1E670

कुकाबुरा बॉल से साथ दिक्कत उसकी उभरी हुई सिलाई है. अगर शुरुआती ओवरों में ओपनर बल्लेबाज नई बॉल को कूटना शुरू करता है तो यह सिलाई 7-8 ओवरों में ही बैठ जाती है.

इसके बाद इस गेंद को अपनी मर्जी से हवा में हिलाने या अंदर-बाहर लाने के लिए पूरी जिंदगी का तजुर्बा झोंक देना पड़ता है. अगर पिच से कोई मदद नहीं मिल रही है तो गेंदबाज के लिए इस गेंद को संभालना और भी मुश्किल हो जाता है.

भारत की एसजी से अलग है कुकाबुरा

भारत में इस्तेमाल होने वाली एसजी या विदेशी ड्यूक बॉल को यह बीमारी नहीं है. स्विंग के अलावा भुवनेश्वर पिच पर जिस चैनल और लाइन से गेंदबाजी करते हैं, वह भी गजब है.

लेकिन कुकाबुरा हाथ में आने के बाद यकीनन लाइन में बदलाव इंग्लैंड में उनकी जरूरत रहेगा और ऐसा करने की स्थिति में वह कितने कारगर साबित होंगे, यह सीरीज खत्म होने के बाद ही पता लग पाएगा.

India's Bhuvneshwar Kumar (L) celebrates the wicket of Pakistan's Ahmed Shehzad with India's captain Virat Kohli during the ICC Champions trophy match between India and Pakistan at Edgbaston in Birmingham on June 4, 2017. / AFP PHOTO / PAUL ELLIS / RESTRICTED TO EDITORIAL USE

वैसे अच्छा यह है कि उन्हें सीरीज से पहले वहां की पिचों को समझने का समय मिला है. अच्छी बात यह भी है कि भुवनेश्वर बतौर गेंदबाज चीजों को बहुत जल्दी से सीखते हैं और उन्हें कुछ नया करने से परहेज नहीं. उम्मीद की जानी चाहिए कि इन तीनों वनडे में भी वह दो-तीन स्लिप के साथ गेंदबाजी करेंगे और उनके ज्यादातर शिकार विकेट के पीछे ही होंगे.

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