चौथे टेस्ट में 60 रन से पिटने से साथ ही विराट कोहली की टीम सीरीज 1-3 से लुटा चुकी है. दुनिया से टॉप बल्लेबाजों से भरी टीम की इस हार को शर्मनाक कहा जाए या फिर गैर पेशेवराना, यह उनके चाहने वालों पर छोड़ देना चाहिए क्योंकि कोई भी टीम या खिलाड़ी हारने के लिए मैदान पर नहीं उतरता.कई बार विपक्ष से ज्यादा टीम के अपने खराब फैसले भी हार के कई कारणों में शामिल होते हैं. यकीनन इस कुटाई के बाद पोस्टमोर्टम होगा. कई सवाल किए जाएंगे और ये वे सवाल हैं जिनका जवाब खुद टीम इंडिया जरूर तलाश रही होगी.
मसलन, साउथैम्पटन में जिस पिच पर स्पिनर मोईन अली टीम इंडिया को तार-तार करने में सफल रहे, उस पर आर अश्विन कैसे फेल हो गए! क्या जैसे ही इंग्लैंड टीम प्रबंधन ने मोईन अली को इस टेस्ट मैच के लिए वापस बुलाया था तो भारतीयों के कान में घंटी नही बजनी चाहिए थी कि इस पिच पर स्पिनर्स के लिए कुछ है !
सीरीज शुरू होने से पहले इंग्लैंड की इस टीम को हाल के सालों की सबसे कमजोर यूनिट करार दिया गया. पूरी सीरीज में ओपनर्स से रन नहीं बने हैं. मध्यक्रम हर मैच में नहीं चला है. इन सब से बेहतर सीरीज में 20 साल के ऑलराउंडर सैम करन हैं जो नंबर सात पर आकर मैच के परिणाम को प्रभावित कर रहे हैं.
इस सबके बावजूद अपने खाते में हजारों टेस्ट रन लिए हुए बल्लेबाजों से भरी टीम इंडिया सीरीज में तीन मैच हार गई है. इसमें कोई शक नहीं है कि खुद विराट और रहाणे ने अपने कैरियर का पूरी तजुर्बा सीरीज में झोंक दिया. लेकिन फिर भी सीरीज के नतीजे से कई सवाल मुंह बाए खड़े हैं. हालांकि इन सवालों का जवाब देते समय विराट को एक पार्टनर की जरूरत पड़ेगी और वह हैं टीम के हेड कोच रवि शास्त्री.
ऐसे में कोच बनते ही जब उन्होंने घोषित कर दिया कि कप्तान ही टीम बॉस होता है तो किसी को हैरानी नहीं हुई. यह ज़र्रानवाज़ी टीम के लगातार जीतने तक ठीक लगती है क्योंकि जीत पर कोई सवाल नहीं करता. लेकिन हारने पर सवाल उठते हैं.
इंग्लैंड में टीम इंडिया 1-3 से सीरीज हार चुकी है और यहां किसी को तो बताना होगा कि मैचों में जाने से फैसले सिर्फ विराट ही कर रहे हैं और छह करोड़ सालाना तनख्वाह पाने वाले शास्त्री सिर्फ मुंडी ही हिलाते हैं! चेतेश्वर पुजारा का इस सीरीज में योगदान सामने से दिखता है. बर्मिंघम टेस्ट मैच में यह बल्लेबाज बेंच पर बैठा था.
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शिखर धवन को उतारने का फैसला किया गया और नंबर तीन पर केएल राहुल को जगह दी गई. पुजारा के लिए दरवाजा बंद हो गया. बर्मिंघम में उमेश यादव ने बतौर लीड बॉलर नई गेंद से शुरुआत की थी. दूसरी पारी में वह टीम के लिए चौथे नंबर का बॉलर हो गए और लॉर्ड्स टेस्ट से वह बाहर ही हो गए.
लॉर्डस टेस्ट मैच से पहले और मैच के दौरान आसमान में बादल थे और बारिश जब दिल करता, आती थी. तेज गेंदबाजों के लिए परफेक्ट हालात के बावजूद उमेश की जगह चाइनामैन कुलदीप यादव को उस पिच पर उतारने का फैसला हुआ जिस पर खुद इंग्लैंड ने अपने स्पिनर आदिल राशिद को एक भी ओवर नहीं दिया. कुलदीप उस एक मैच में बेअसर रहे तो उन्हें वापसी की टिकट थमा दिया गया. सवाल फिर से जायज है कि आखिर सीरीज को अपने खिलाफ करने वाले इस तरह के तमाम फैसले कैसे लिए गए!
अगर ऐसा है तो यह सवाल जायज है कि आखिर बतौर हेड कोच टीम में रवि शास्त्री की भूमिका क्या है! क्योंकि टीम के पास एक बल्लेबाज कोच, बॉलिंग कोच, फील्डिंग कोच भी है. वैसे यह भी रोचक है कि सिर्फ नॉटिंघम में जीतने के बाद कोई और नहीं बल्कि खुद रवि शास्त्री मीडिया से मुखातिब हुए थे.
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