कुछ समय पहले इस लेखक को चेतेश्वर पुजारा का इंटरव्यू करने का मौका मिला. 2014 के इंग्लैंड और ऑस्ट्रेलिया के दौरे की नाकामी के कारण उनके करियर पर पड़ने वाले असर पर सवाल किया गया. पुजारा ने जवाब दिया, ‘इंग्लैंड में मेरा स्कोर 40-50 तक भी गया. ऑस्ट्रेलिया में मैने एक 73 रन की पारी भी खेली. देखो, मैं आस्ट्रेलिया में शतक नहीं बना पाया लेकिन उस 2014 की उस सीरीज ने मेरे अंदर आत्मविश्वास जबरदस्त ढंग से भर दिया है. मैं कह सकता हूं कि ऑस्ट्रेलिया का अगला दौरा बिलकुल अलग कहानी बयां करेगा.’
ठीक चार साल बाद पुजारा ना केवल सिडनी टेस्ट में महज सात रन से दोहरा शतक पूरा करने से चूके बल्कि सीरीज में तीन शतकों और एक पचासे के साथ दोनों टीमों में सबसे अधिक 521 रन बना चुके हैं.
लंबा स्कोर खड़ा करने के महारथी हैं पुजारा
स्कूल क्रिकेट के दिनों से सौराष्ट्र के इस बल्लेबाज को बड़ा स्कोर बनाने का एडिक्शन है. लेकिन इससे भी बड़ा नशा पुजारा को क्रीज पर खड़े होकर लंबी पारी खेलने का है. इस सीरीज में भी वह 215 ओवर बल्लेबाजी कर चुके हैं. इंग्लैंड और ऑस्ट्रेलिया के 2014 के टेस्ट दौरे के आठ टेस्ट मैचों की 16 पारियों में पुजारा के बल्ले से सिर्फ 423 रन ही निकले थे.
इस बल्लेबाज के बारे में कप्तान और कोच के बयानों से लगा कि पुजारा उनकी नजर में स्लो हैं, क्योंकि हर बार यही कहा जाता कि उन्हें अपना स्ट्राइक रेट तेज करना होगा. पुजारा के लिए टेस्ट टीम के बाहर बैठने का क्रम भी शुरू हो गया. वनडे क्रिकेट उनके लिए इतिहास हो गया. आईपीएल की किसी भी टीम ने उन्हें खरीदने में रुचि नहीं दिखाई. लेकिन पुजारा के पास वह खेल है, जिसके बिना टेस्ट क्रिकेट में कामयाबी संभव नहीं है.
कीमती साबित हुआ पुजारा का विकेट
इस सीरीज में भी कप्तान विराट कोहली, केएल राहुल, ऋषभ पंत और मयंक अग्रवाल जैसे आईपीएल के महंगे खिलाड़ी अपने विकेट लापरवाही और गैर जिम्मेदारी से गंवाने का अपराध कर चुके हैं. लेकिन पुजारा के विकेट के लिए ऑस्ट्रेलिया को बहुत बड़ा दाम देना पड़ रहा है.
यह भी रोचक हो गया है कि ना सिर्फ टीम इंडिया बल्कि ऑस्ट्रेलियन टीम के सदस्य भी कह रहे हैं कि उनके बल्लेबाजों को पुजारा से सीखने की जरूरत है. असल में आज भारतीय टीम ऑस्ट्रेलिया के दौरे पर जिस स्थिति में है, उसके लिए पुजारा सबसे ज्यादा जिम्मेदार हैं.
यह सही है कि तेज गेंदबाजों ने टीम को जीत का रास्ता दिखाने में लाइटहाउस का काम किया है. लेकिन दौरे के पहले मैच की पहली पारी में 86 के स्कोर पर पांच विकेट के बीच पुजारा सेशन-दर-सेशन करीब साढ़े छह घंटे बल्लेबाजी करके शतक मार गए. दूसरी पारी में उनके 71 रन और विराट के साथ 71 रन की पार्टनरशिप ने मैच का रुख टीम इंडिया की ओर कर दिया.
एडिलेड से ही चला पुजारा का जादू
ऑस्ट्रेलिया के दौरे पर पहला मैच टीम इंडिया कभी जीती ही नहीं. मेलबर्न में भी जो जीत मिली, उसके पुजारा का शतक ही बड़ा नहीं था. पहले मयंक के साथ 83 और विराट और उनके बीच बनी 170 की पार्टनरशिप टीम को चार सौ के स्कोर के ऊपर ले गई जो टीम के लिए मैच जितने लायक स्कोर साबित हुआ.
सिडनी में भी पुजारा ने ठीक वैसा ही योगदान दोहराया है. इस बार भी 500 के ऊपर स्कोर है. यहां से टीम को हराना ऑस्ट्रेलिया के लिए असंभव है. पुजारा इस सीरीज में बिना गलती किए जिस तरह की बल्लेबाजी कर रहे हैं, वह आंखों को सुकून देने वाला है.
खासकर उनका स्विंग से साथ पैरों के पास गिरने वाली पेसरों की गेंदों को बेहद सफाई से डाउन-द-लेग फाइन लेग बाउंड्री दिखाना उनके आत्मविश्वास का दस्तावेज है. इस मैच में पुजारा ने मिचेल स्टार्क को मक्खन में चाकू की तरह ठीक यही शॉट खेल कर अपनी 18 शतक पूरा किया था.
पुजारा ने गेंद की कुछ यूं दिशा दिखाई थी जैसे गॉल्फर गेंद को हरी घास के कारपेट पर सटा कर पट से होल में डालते हैं. इससे पहले इतनी सफाई से यह शॉट ऑस्ट्रेलियाई कप्तान रिकी पोटिंग खेलते देखे गए थे. जाहिर है कि इस समय दोनों टीमों में बल्लेबाजी के मामले में पुजारा का लेबल किसी की पहुंच में नहीं है.
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