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मयंक अग्रवाल का क्रिसमस गिफ्ट है ओपनर्स की नाकामी, मेलबर्न में यह उन्हें मिलना ही चाहिए

साउथ अफ्रीका, इंग्लैंड और ऑस्ट्रेलिया के मौजूदा दौरे पर टीम इंडिया ने दस मैच खेल लिए हैं. इन 20 पारियों में से 15 में ओपनर दस ओवर खत्म होने से पहले निपटा दिए गए. सिर्फ चार बार ही 50 से ऊपर गई है पार्टनरशिप

Updated On: Dec 24, 2018 03:01 PM IST

Jasvinder Sidhu Jasvinder Sidhu

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मयंक अग्रवाल का क्रिसमस गिफ्ट है ओपनर्स की नाकामी, मेलबर्न में यह उन्हें मिलना ही चाहिए

बुधवार से मेलबर्न में शुरू होने वाले बॉक्सिंग-डे टेस्ट मैच का इंतजार हो रहा है. क्रिसमस की छुट्टी के आनंद के बाद लोग अपने नए साल की शुरुआत करेंगे. भारत और क्रिकेट के नजरिए से सबसे बड़ा सवाल यह है कि क्या दोनों ओपनर अपने पूरे साल के बुरे दौर को पीछे छोड़ कर मेलबर्न क्रिकेट ग्राउंड पर टीम इंडिया के लिए 15-20 ओवर खेलेंगे या पचास रन से ज्यादा की पार्टनरशिप का आगाज देंगे! खासकर पहली पारी में, क्योंकि पिछले चार टेस्ट मैचों की पहली पारी में ओपनर्स का स्कोर बैंक के एटीएम कार्ड के पासवर्ड जैसा रहा है.

बेशक कोच रवि शास्त्री ने केएल राहुल और मुरली विजय का बचाव किया है. लेकिन जिस तरह ही दयनीय स्थिति ओपनर्स की है, टीम प्रबंधन को चाहिए कि वह इनमें से किसी एक को बाहर बिठा मयंक अग्रवाल को तुरंत मौका दे.

राहुल जितने समय भी क्रीज पर रहे, उनकी बल्लेबाजी में खोट नहीं दिखा. जिन गेंदों पर वे आउट हुए, उनकी जगह कोई और भी होता तो अंपायर की अंगुली उठ सकती थी. ऐसे में अगर मेलबर्न में मुरली विजय बाहर बैठ कर मैच देख रहे हों तो किसी को हैरानी नहीं होनी चाहिए.

Courtsey : ICC/Twitter

टेस्ट मैच में ओपनर्स से बीच बड़ी पार्टरनशिप टीम के स्कोर को 350-400 के ऊपर ले जाने में कारगर साबित होती. इतना स्कोर मैच जीतने या उसे ड्रॉ करने का आधार होता है. यह कुछ ऐसा है जिसके लिए टीम लंबे अर्से से तरस रही है.

एशिया से बाहर इंग्लैंड, ऑस्ट्रेलिया और साउथ अफ्रीका जैसे देशों में दौरा करने वाली किसी भी टीम की सीरीज में जीत की संभावनाएं नई गेंद के खिलाफ उसके ओपनरों के रन, उनके 15-20 ओवर टिके रह कर बड़ी पार्टनरशिप तय करती हैं.

साउथ अफ्रीका, इंग्लैंड और ऑस्ट्रेलिया के मौजूदा दौरे पर टीम इंडिया ने दस मैच खेल लिए हैं. इन 20 पारियों में से 15 में ओपनर दस ओवर खत्म होने से पहले निपटा दिए गए.

बड़ी पार्टनरशिप जीत में रही मददगार

140 किलोमीटर की रफ्तार से बॉल में हल्की सी मूवमेंट का सामना करते ही ओपनरों के पत्ते खुल रहे हैं. यही कारण है कि साउथ अफ्रीका, इंग्लैंड के बाद ऑस्ट्रेलिया में भी तीन-चार स्लिप, गली और पॉइंट ओपनर्स का स्वागत कर रही हैं.

18 में से सिर्फ चार पारियों में ओपनरों ने स्कोर बोर्ड पर पहली विकेट के लिए टीम को पचास से ज्यादा रन दिए और उसका जबरदस्त असर मैच के परिणाम में देखने को मिला.

नॉटिंघम टेस्ट मैच के बाद एडिलेड टेस्ट में जीत सबसे ताजा उदहारण है. केएल राहुल और मुरली विजय ने सीरीज के पहले मैच की दूसरी पारी में 63 रन जोड़े. इस पार्टनरशिप का नतीजा यह हुआ कि उनके बाद आने वाले चेतेश्वर पुजारा, कप्तान विराट कोहली और अजिंक्य रहाणे के 20 ओवर पुरानी गेंद का सामना करने को मिला.

India's Murli Vijay plays a shot during the first day of their first cricket test match against South Africa, in Mohali, India, November 5, 2015. REUTERS/Adnan Abidi - RTX1UUB8

यकीनन पहली पारी में 86 पर पांच विकेट के बाद चेतेश्वर पुजारा के किले के दरवाजे पर किसी सेनापति की तरह लड़ाई लड़ने जैसे शतक ने टीम इंडिया को मैच में ला खड़ा किया. लेकिन दूसरी पारी में ओपनर्स की अच्छी शुरुआत, स्कोर बोर्ड पर दो अर्धशतक और 63, 71 और 87 रन की तीन बड़ी पार्टनरशिप ने भी मैच का रुख भारत के पक्ष में तय करने अहम भूमिका निभाई.

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इससे पहले इंग्लैंड के दौरे पर टीम नॉटिंघम में इंग्लैंड के खिलाफ 203 रन से जीती थी. इस मैच में शिखर धवन और केएल राहुल के बीच दोनों पारियों में 60-60 रन की पार्टनरशिप थी. इसके अलावा, एक बार और बर्मिंघम में धवन और मुरली विजय के बीच पहली पारी में 50 रन की साझेदारी बनी थी.

ओपनर्स की परीक्षा लेता है मेलबर्न क्रिकेट ग्राउंड

इस मैदान पर पिछले दस साल में खेले गए दस टेस्ट मैचों में ऑस्ट्रेलियाई गेंदबाजों ने मेहमान ओपनरों को यहां चलने ही नहीं दिया. इस दौरान सिर्फ तीन बार ही ओपनरों ने 50 से ज्यादा की पार्टनरशिप खड़ी की और दो में दौरे पर आई टीम मैच बड़े अंतर से जीती.

टीम इंडिया की दिक्कत यह है कि बल्लेबाजी लगातार नाकाम हो रही है और कोई एक अदद सदस्य अपने व्यक्तिगत प्रदर्शन से किसी तरह मैच बचा या जीता कर दे रहा है. बतौर यूनिट यह टीम जबरदस्त ढंग से फेल है.

कल्पना कीजिए कि अगर इसमें जबरदस्त फॉर्म में चल रही गेंदबाजी भी अगले मैच में ढीली पड़ जाती है तो टीम का क्या हाल होगा!

 

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