पूर्व टेस्ट क्रिकेटर चेतन चौहान एक राजनेता भी हैं. अपनी राजनैतिक व्यस्तताओं के बीच भी ऑस्ट्रेलिया सीरीज पर उनकी नजर थी. सुबह जल्दी उठ कर मैच देखने का थोड़ा समय निकालते थे. रात में भी मैच की ‘हाइलाइट्स’ पर नजर रहती थी. सिडनी टेस्ट बगैर किसी नतीजे के भले ही खत्म हो गया हो, लेकिन सीरीज पर भारत का कब्जा हुआ. ये भारतीय क्रिकेट इतिहास में पहला मौका है जब टीम इंडिया ने ऑस्ट्रेलिया को उसी के घर में हराया है. इस सीरीज में भारतीय तेज गेंदबाजों ने विकेटों का अर्धशतक पूरा किया. चार टेस्ट मैचों की सीरीज में भारतीय तेज गेंदबाजों ने 50 विकेट लिए. चार टेस्ट मैचों में ऑस्ट्रेलिया के 70 विकेट गिरे. जिसमें से 50 विकेट (70 फीसदी से ज्यादा विकेट) तेज गेंदबाजों ने लिए.
तेज गेंदबाजों की इस उपबल्धि पर फर्स्टपोस्ट ने चेतन चौहान से बात की. जो इस ऐतिहासिक जीत के साथ-साथ एक अलग नजरिए की चर्चा करते हैं. उनका कहना है. अंतराष्ट्रीय क्रिकेट में आज सबसे ज्यादा ‘डिमांड’ भारतीय टीम की है. अंतराराष्ट्रीय क्रिकेट में 65 से 70 फीसदी रेवेन्यू भारत से आ रहा है. वो विज्ञापनों से हो या स्पॉन्सरशिप से. इसीलिए भारत को साल में सबसे ज्यादा मैच खेलने पड़ते हैं. हर देश ये चाहता है कि भारतीय टीम वहां जाकर खेले या वो यहां आकर खेलें. इससे उन्हें अच्छा पैसा मिल जाता है. ऐसे में जरूरी है कि हम अपने टॉप बल्लेबाजों को और खास तौर पर तेज गेंदबाजों को संभाल कर रखें.
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आज तेज गेंदबाजों को लेकर हमारे पास विकल्प हैं
चेतन चौहान उस दौर के क्रिकेटर हैं जिस समय विरोधी टीम के गेंदबाजों का लक्ष्य रहता था कि भारतीय बल्लेबाजों को अपनी बाउंसर्स से घायल किया जाए. आज भारतीय गेंदबाज विरोधी टीम के बल्लेबाजों को बैकफुट पर ढकेलते हैं. उनकी गेंदों से अपना हेलमेट बचाना मुश्किल हो रहा है, ये कैसी फीलिंग है? इस पर चेतन चौहान कहते हैं, 'ये बदली हुई मानसिकता का असर है. आज भारतीय तेज गेंदबाज विकेट लेने के लिए गेंदबाजी करते हैं. इसके अलावा आज तेज गेंदबाजों को लेकर हमारे पास विकल्प हैं. उदाहरण के लिए उमेश यादव को पूरी सीरीज में सिर्फ एक टेस्ट मैच खेलने को मिला. इसका मतलब ये नहीं है कि वह खराब गेंदबाज है. बल्कि सच ये है कि बाकी गेंदबाज उनसे बेहतर गेंदबाजी कर रहे थे. अब सोचिए इस दौरे में भुवनेश्वर कुमार को एक भी मैच में मौका नहीं मिला. जबकि वह मेरे हिसाब से इस वक्त देश के सर्वश्रेष्ठ स्विंग गेंदबाज हैं.'
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हर टेस्ट सीरीज की योजना अलग से बननी चाहिए
तेज गेंदबाजों के ‘कोर-ग्रुप’ को लेकर चेतन चौहान कहते हैं, 'मेरे खयाल से अब टीम इंडिया को हर टेस्ट सीरीज की योजना अलग से बनानी चाहिए. जैसे इंग्लैंड में जेम्स एंडरसन हैं. वो एंडरसन को ज्यादा खिलाते ही नहीं, बल्कि टेस्ट सीरीज के लिए बचाकर रखते हैं. जिससे टेस्ट सीरीज में वो बिल्कुल अलग ही दमखम के साथ मैदान में उतरते हैं. जबकि हम कई बार इससे उलट करते हैं. इंग्लैंड में हमें भुवनेश्वर कुमार को वनडे में खिलाना ही नहीं चाहिए था. आज के समय में एक गेंदबाज के प्रदर्शन से मैचों के नतीजे बदल जाते हैं. इंग्लैंड में देखा जाए तो हमारे पास कोई स्विंग गेंदबाज ही नहीं था. इशांत शर्मा को मैं बहुत ज्यादा स्विंग कराने वाला गेंदबाज नहीं मानता. वहां अगर भुवनेश्वर कुमार पूरी तरह फिट होते तो इंग्लैंड सीरीज का नतीजा भी अलग होता.'
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कम के कम चार तेज गेंदबाजों को प्रोटेक्ट करने की दरकार
इसका समाधान क्या है? चेतन चौहान कहते हैं, 'मान लेते हैं कि हमें दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ टेस्ट सीरीज खेलनी है. हमें चार तेज गेंदबाजों की जरूरत है तो हमें उन्हें पहले से ही ‘प्रोटेक्ट’ करना होगा. ‘सेव’ करना होगा. जरूरत है तो घरेलू क्रिकेट में उनसे कुछ ओवर फिकवाएं और छुट्टी कर दें. जिससे उनके अंदर की ताकत बची रहे. वरना तो ये तेज गेंदबाज बहुत जल्दी थक जाएंगे. लगातार खेलने से चोट लगना स्वाभाविक है. हमारी कद काठी भी ऐसी नहीं होती है कि कोई बहुत मजबूत हों. हमें ये समझना होगा कि तेज गेंदबाजी क्रिकेट में सबसे मुश्किल काम है. सबसे ज्यादा मेहनत तेज गेंदबाजों को करनी होती है.
टीम इंडिया के सेलेक्टर्स को या कोच रवि शास्त्री को सिर्फ इस बात का ध्यान रखने की जरूरत नहीं है कि कौन सी सीरीज किस टीम के खिलाफ हो रही है बल्कि साथ ही साथ ये सोचने की जरूरत भी है अगली सीरीज किस टीम के खिलाफ है. ऑस्ट्रेलिया का ही उदाहरण लीजिए उन्होंने मिचेल जॉनसन या पीटर सिडल जैसे गेंदबाजों को लगातार खिलाया. जिसकी वजह से इंजर्ड होकर वो बाहर निकल गए. उनका करियर खत्म हो गया. आज ऑस्ट्रेलियाई टीम ऐसी ही मुश्किलों को झेल रही है. टीम इंडिया को ऐसी गलती दोहरानी नहीं चाहिए.'
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