तीन जनवरी को भारत के कप्तान विराट कोहली जब सिडनी क्रिकेट ग्राउंड पर इस सीरीज क चौथे टेस्ट के टॉस के लिए उतरेंगे तो उनक जेहन चार साल पुरानी यादें जरूर ताजा हो जाएंगी. चार साल पहले ही भारत के ऑस्ट्रेलिया दौरे पर एमएस धोनी के अचानक संन्यास लेने के बाद कोहली को बीच दौरे में टीम इंडिया का कप्तान बनाया गया था तब बतौर फुल टाइम कप्तान उनका पहला टॉस सिडनी के इसी ग्राउंड पर हुआ था.
चार साल में वक्त काफी बदल गया है. कोहली ना सिर्फ निर्विवाद रूप के इस वक्त के सर्वश्रेष्ठ बल्लेबाज बन गए हैं. बल्कि उनकी कप्तानी में टीम इंडिया भी टेस्ट बेस्ट टीम के सिंहासन पर विराजमान है. और अब विराट कोहली ऐसे मुकाम पर हैं जहां सिडनी के इस ग्राउंड में मिलने वाली जीत उन्हे भारत के उस कप्तान के रूप में स्थापित कर देगी जो 70 सालों के इतिहास में पहली बार ऑस्ट्रेलिया की धरती पर मेजबान टीम को मात देकर सीरीज पर कब्जा करेगा.
दांव पर लगा है बहुत कुछ!
सिडनी टेस्ट में वाकई दोनों टीमों बहुत कुछ दांव पर लगा है. भारतीय टीम यहां सीरीज जीतने के मुहाने पर आ खडी हो तो वहीं कंगारू टीम के सामने उस अपमान से बचने की चुनौती है जो उसे अपने घर में भारत के खिलाफ सीरीज हारने वाली पहली टीम बनने के बाद झेलना पड़ सकता है.
दोंनों ही टीम के कप्तानों ने हालांकि मैच से पहले मीडिया से बात करते हुए कहा कि सीरीज में जीत-हार की बात उनके दिमाग में नहीं चल रही है लेकिन वास्तविकता तो यही है कि इस मैच के नतीजे को लेकर दोनों ही खेमों में लगातार रणनीति बन रही है.
Kohli's men could achieve what no other Indian team ever has in Australia, but that's not their main motivation, the captain has said. #AUSvIND https://t.co/40Wjzzaj2k pic.twitter.com/3e7kuhYTNe
— ICC (@ICC) January 2, 2019
यह कितना खास है इसका अंदाजा इस बात से भी लगाया जा सकता है कि इस सीरीज के पिछले मुकाबलों में आमतौर पर दोनों ही टीम एक दिन पहले अपनी प्लेइंग इलेवन घोषित कर देती थीं लेकिन इस बार भारत ने टॉस के बाद ही अपने पत्ते खोलेगा. वहीं मेजबान टीम ने तो पहले से घोषित13 सदस्यीय टीम में एक और खिलाड़ी मार्नस लबूशेन का शामिल करते अपने प्लेइंग इलेवन का राज और गहरा कर दिया है.
किस टीम का नया साल बनेगा यादगार
साल 2018 में बॉल टेंपरिंग के वाकिए से गुजरने और लगातार हार का सामना करने के बाद मेजबान टीम की कोशिश होगी कि वह कमसे कम इस साल का आगाज जीत के साथ करे ताकि बॉल टेंपरिंग की प्रेतबाधा खत्म है. वहीं पिछले साल साउथ अफ्रीका और इंग्लैंड दौरे पर सीरीज हारकर ऑस्ट्रेलिया आने वाली टीम इंडिया की आंखों में सिडनी में जीत हासिल करके साल का आगाज इस सबसे बड़ी सीरीज जीत के साथ करने का खवाब होगा.
जहां तक सिडनी की विकेट का सवाल है कि माना जा रहा है कि इस विकेट पर सबके लिए कुछ ना कुछ जरूर होगा. पहले दिन यहां तेज गेंदबाजों के लिए मददगार मूवमेंट मिल सकता है तो उसके बाद बल्लेबाजों की चांदी हो सकती है. आखिर दो दिन आते-आते यह विकेट फिरकी गेंदबाजों के लिए मददगार साबित हो सकता है. यही वजह है कि मेजबान टीम ने अपने फिरकी गेंदबाजी लबूशेन के वापस बुलाया है तो वहीं टीम इंडिया के पास भी जडेजा के साथ कुलदीप यादव को उतारने का विकल्प मौजूद है.
जहां तक दोनों टीमों की तुलना की बाद है तो उसमें भारतीय बल्लेबाजी इक्कीस नजर आ रही है. चेतेश्वर पुजारा और विराट कोहली की मौजूदगी में कंगारू बैटिंग ऑर्डर भारतीय बल्लेबाजी से कहीं कमजोर है. वहीं दूसरी ओर गेंदबाजी के मामले में टक्कर थोड़ी बहुत बराबरी की तो नजर आती है लेकिन जसप्रीत बुमराह वही अंतर पैदा कर देते हैं बल्लेबाजी में कोहली करते हैं. इशांत शर्मा जूरूर चोटिल होने के चलते इस मैच में नहीं खेल सकेंगे लेकिन मोहम्मद शमी और उमेश यादव , बुमराह का साथ दने में सक्षम हैं.
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