टीम इंडिया के ऑस्ट्रलिया दौरे पर रवाना होने से पहले एक सवाल क्रिकेट के गलियारों में अक्सर पूछा जा रहा था. वह सवाल था भारत की वनडे टीम में एम एस धोनी ( MS Dhoni) की मौजूदगी. ऑस्ट्रेलिया में 71 साल के इतिहास में पहली बार टेस्ट सीरीज जीतने के बाद टीम इंडिया वनडे सीरीज खेलने उतरी तो यह सवाल थोड़ा और बड़ा हो गया.
टेस्ट सीरीज में ऋषभ पंत की बेहबतरीन बल्लेबाजी और पहले वनडे में धोनी थोड़ी सुस्त पारी के बाद हुई हार के बाद यह सवाल अचानक से यक्ष प्रश्न बनकर सामने खड़ा हो गया. ऐसा लगने लगा कि जैसे धोनी इस वक्त टीम इंडिया पर सबसे बड़े बोझ हों. लेकिन आमतौर पर शांत रहने वाले धोनी ने अपने बल्ले से पहले एडिलेड वनडे में और फिर मेलबर्न वनडे में टीम इंडिया को जीत दिला अपने आलोचकों की बोलती तो बंद कर ही दी साथ यह भी साबित कर दिया कि टीम इंडिया के लिए धोनी का होना क्यों जरूरी है और धोनी होने के क्या मायने हैं.
पूरी सीरीज में दिखा धोनी का जलवा
वनडे सीरीज में 1-1 की बराबरी के से साथ मेलबर्न में जब भारतीय टीम 231 रन के मामूली से दिखने वाले टारगेट का पीछा करने उतरी तो चीजें उतनी आसान नहीं रही जितने दिख रही थीं. 59 रन तक रोहित-धवन की सलामी जोड़ी वापस लौट गई और धोनी के साथ 54 रन की पार्टनरशिप करके कप्तान कोहली ( Virat Kohli) भी वापस चले गए. भारत को अब भी जीत के लिए 118 रन की दरकार थी औऱ फिर धोनी ने केदार जाधव के साथ मिलकर भारत के लिए वो किया जिसके लिए उन्हें दुनिया का बेस्ट फिनिशर माना जाता है.
धोनी का शानदार बल्लेबाजी की बदौलत भारत ने पहली बार ऑस्ट्रेलिया में बाइलेटरल सीरीज जीतने में कामयाबी हासिल की. जिस तरह टेस्ट सीरीज मे मिली जीत के हीरो चेतेश्वर पुजारा रहे ठीक उसी तरह भारत की इस वनडे सीरीज जीत के हीरो धोनी ही हैं.
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यह कितने ताज्जुब की बात है कि जिस खिलाड़ी के टीम इंडिया में होने पर सवाल खड़े किए जा रहे थे वही खिलाड़ी सीरीज में टीम इंडिया की जीत का हीरो निकला और उसे मैन ऑफ द सीरीज के खिताब से भी नवाजा गया.
इस सीरीज में धोनी ने तीनों मैचों में अर्द्धशतक जड़े और तीनों ही मुकाबलों में वह नाबाद रहे.सरीज में 193 रन बनाने वाले धोनी का स्ट्राइक रेट 73.11 रहा और वह भारत के लिए सीरीज में सर्वाधिक रन बनाने वाले बल्लेबाज बने. लेकिन इन सभी आंकडों से ज्यादा महत्वपूर्ण बात यह कि धोनी एक बार फिर से उस मैच फिनिशर के रूप में नजर आए जिसके लिए उन्हें जाना जाता है.
धोनी ने सुलझा दी नंबर चार की गुत्थी!
इस सीरीज में धोनी ने बतौर फिनिशर तो अपनी काबिलीयत को फिर से साबित किया ही साथ ही भारत की उस पहेली को भी कुछ हद तक सुलझा दिया जिसके लिए कप्तान कोहली और कोच शास्त्री लंबे वक्त से माथापच्ची कर रहे हैं. यह पहेली ही नंबर चार की पोजिशन के बल्लेबाज की. युवराज सिंह के बाद से लगातार इस पोजिशन पर तमाम बल्ल्बाजों को आजमाने के बाद टीम मैनेजमेंट ने अंबाती रायुडू को इस पोजिशन के लिए ऑलमोस्ट फाइनल कर लिया था.
लेकिन इस सीरीज में जब टीम कॉम्बिनेशन के पेंच के चलते रायुडू को बाहर बिठाना पड़ा तो उस नंबर चार की पोजिशन के लिए धोनी से बेहतर कोई साबित नहीं हुआ. धोनी ने चौथे नंबर पर बल्लेबाजी करते हुए 87 रन बनाकर भारत को सीरीज जिता कर ही दम लिया.
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उम्मीद है कि धोनी के इस प्रदर्शन के बाद वनडे टीम में उनकी मौजूदगी पर उठने वाले सवाल कुछ वक्त के लिए तो खामोश ही जाएंगे. 2019 वर्ल्ड कप से पहले भारत को अभी न्यूजीलैंड में वनडे सीरीज खेलने के अलावा अपने घर में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ पांच वनडे मुकाबलों की सीरीज खेलनी है.
यानी भारत के पास अब भी 10 वनडे मुकाबले और है. उम्मीद है कि इन 10 मुकाबलों में भी धोनी उस काबिलियत का मुजाहिरा बार-बार देखने को मिलेगा जिसके लिए उन्हें जाना जाता है क्योंकि ऑस्ट्रेलिया में साबित हो चुका है कि फिनिशर अभी फिनिश नहीं हुआ है.
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