नास्त्रेदमस होते, तो इस मैच का नतीजा बताने में रोने लगते. मुकाबला कुछ ऐसा ही था. आप तमाम समीक्षाएं कर सकते हैं. छोटी से छोटी बातों पर ध्यान दे सकते हैं. लेकिन जब हरेक संकेत आपको गलत दिशा में ले जाए तो आप क्या कर सकते हैं!
मैच से पहले ऐसा कोई संकेत नहीं था, जिससे आप अंदाजा लगा पाते कि भारतीय टीम महज 72 ओवर्स में 189 पर सिमट जाएगी. वो भी टॉस जीतने के बाद पहले बल्लेबाजी करते हुए. ऐसा कोई संकेत नहीं था कि एक ऑफ स्पिनर, वो भी नैथन लायन की क्वालिटी वाला, पारी में 50 रन देकर आठ विकेट लेने में कामयाब होगा.
जब ऑस्ट्रेलिया ने पहली पारी पूरी शिद्दत के साथ शुरू की. तय किया कि विकेट नहीं खोने हैं. इरादा दिखाया कि ऐसे रन रेट से रन बनाने हैं, जो 20, 30 साल पहले भी मजाक लगता, तो यही लगा कि भारतीय बल्लेबाजी का पहली पारी में बिखरना उनके लिए सभी मौके खत्म कर गया है.
मेहमान टीम ने जिस तरह बल्लेबाजी की उससे ऐसा कोई संकेत नहीं था कि तीसरी सुबह वे इतनी तेजी से चार विकेट गंवा देंगे. ऐसी बढ़त के साथ पारी खत्म होगी, जो उम्मीद से कम है.
ऐसा कोई संकेत नहीं था कि लगातार तीन घटिया बैटिंग प्रदर्शन के बाद भारतीय टीम वापसी कर पाएगी. वो भी ऐसे माहौल और पिच पर, जहां असमान उछाल थी. जहां पिच की दरारें चौड़ी हो रही थीं. वहां भारतीय टीम राहुल जैसे आसानी से, पुजारा जैसे जबरदस्त शिद्दत से, रहाणे की तरह बिना नर्वस हुए और साहा या इशांत की तरह अड़कर खेल सकते हैं, ऐसी उम्मीद नहीं थी. तीसरे दिन के बाद ऐसा भी अंदेशा नहीं था कि टीम 237से 274 तक पहुंचेगी और 187 रन की बढ़त लेगी.
इसके बाद ऐसा कोई संकेत नहीं था कि अब तक सीरीज में बड़े धैर्य के साथ खेल रही ऑस्ट्रेलियाई टीम दूसरी पारी में इस पागलपन के साथ खेलेगी. उसे लग रहा था कि जल्दी से जल्दी मैच खत्म करना है. इस कोशिश में उन्होंने अपना रक्षात्मक तरीका छोड़ दिया.
ऐसा भी कोई संकेत नहीं था. बल्कि स्पैल की शुरुआत से भी नहीं लगा कि अश्विन फिर से सुपरमैन का कॉस्ट्यूम पहनकर आएंगे. वो आए और पांच ऑस्ट्रेलियाई विकेट ले गए. वो भी सिर्फ 5.2 ओवर्स में. उन्होंने पारी में छह विकेट लिए.
रोचक, रोमांचक और बेहद अप्रत्याशित मुकाबला था. ऐसा नतीजा आया, जो दोनों टीम की पहली पारी के बाद संभव नहीं लग रहा था. मुकाबले ने लोगों को अपनी तरफ खींचा. दर्शकों को उम्मीद से ज्यादा मिला.
ऐसे मैच में, जहां दो सत्र के भीतर 16 विकेट निकल जाएं, पोस्ट मॉर्टम और समीक्षा के लिए थोड़ा इंतजार करना चाहिए. भीतर जो उमड़-घुमड़ रहा है, उसे शांत होने का मौका देना चाहिए. अभी भारतीय नजरिए से सीरीज बराबर हो गई है. भारत ने पुणे की निराशा को झाड़ दिया है. अब बाकी बचे दो टेस्ट मैचों के लिए स्टेज बहुत अच्छी तरह सजा हुआ है.
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