धोनी में अब पहले वाली बात नहीं रही... धोनी बहुत सुस्त हो गए हैं..उम्र का असर दिखने लगा है...ऋषभ पंत को वनडे में भी मौका मिलना चाहिए...धोनी के रहते तो अब वर्ल्ड कप मिलने से रहा...
भारतीय टीम के इतिहास में वनडे क्रिकेट के बेस्ट फिनिशर रहे पूर्व कप्तान एम धोनी ( MS Dhoni) के बारे में तरह की चर्चाएं इन दिनों आम थीं..चाय की दुकान पर बैठे फैंस से लेकर टीवी स्टूडियो में बैठकर लगातार ट्वीट करने वाले ज्यादातर एक्सपर्ट्स की राय धोनी के लेकर एक जैसी ही होती जा रही थी. ऐसा लगने लगा था जैसी टीम इंडिया इस साल इंग्लैंड में होने वाले वर्ल्ड कप जीतने ही जा रही है और उसमें सबसे बड़ी रुकावट धोनी ही हैं.
लेकिन ऑस्ट्रेलिया के शहर एडिलेड में मंगलवार को धोनी के बल्ले से निकली 55 रन की पारी ने उन सभी सवालों को तो खामोश कर ही दिया साथ ही यह भी साबित कर दिया है क्यों इंगलैंड में होने वाले वर्ल्ड कप के लिए धोनी टीम इंडिया की जरूरत है.
कुछ ज्यादा ही बढ़ गई थी आलोचना
ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ वनडे सीरीज के पहले मुकाबले में धोनी के एक धीमे अर्द्धशतक और इसके बाद हुई टीम इंडिया की हार ने धोनी की आलोचकों को मुखर कर दिया था. इसी दौरे पर टेस्ट सीरीज में अच्छी बल्लेबाजी कर चुके ऋषभ पंत (Rishabh Pant) को उनकी जगह टीम में शामिल करने की वकालत भी की गईं. ऐसा कहा जाने लगा कि जैसे धोनी टीम इंडिया पर बोझ हों और टीम में उन्हें महज उनक प्रतिष्ठा की वजह से ही ढोया जा रहा है.
ऑस्ट्रेलिया के इस दौरे से पहले भी धोनी की बल्लेबाजी और वर्ल्ड कप के लिए टीम की तैयारियों में उनकी भूमिका पर सवाल उठते रहे हैं. कई बार कप्तान कोहली और हेड कोच रवि शास्त्री के अलावा चीफ सेलेक्टर एमएसके प्रसाद ने भी साफ किया कि धोनी, वर्ल्ड कप के लिए टीम इंडिया की ‘स्कीम ऑफ थिंग्स’ का अहम हिस्सा है.
धोनी की अहमियत आई सामने
धोनी वर्ल्ड कप की तैयारियों की लिए भारतीय टीम के लिए कितने अहम हैं इसकी मिसाल एडिलेड वनडे में देखने को मिल गई. इन दिनों वनडे क्रिकेट में ज्यादातर मौकों पर धवन-रोहित और विराट की त्रिमूर्ति टीम इंडिया का बेड़ा पार लगाती आई है. 300 या उससे ज्यादा के टारगेट का पीछा करते अगर इस त्रिमूर्ति में से दो बल्लेबाज अगर फेल हो जाते हैं तो भारत को जीत की दहलीज तक पहुंचाने के लिए धोनी जैसे ठंडे दिमाग वाले अनुभवी बल्लेबाजी की कितनी जरूरत है यह ऐडिलेड वनडे में साबित हो गया.
धवन-रोहित के बाद रायुडू के भी पैवेलियन वापस जाने पर जब धोनी क्रीज पर पहुंते तो उस वक्त भारत का स्कोर तीन विकेट पर 160 रन था. कप्तान कोहली (Virat Kohli) क्रीज पर जरूर थे लेकिन उन्हें एक ऐसे पार्टनर की दरकार थी जो उन्हें स्ट्राइक भी देता रहे और दूसरे छोर से विकेट भी ना गिरने दे. धोनी ने वैसा ही किया. शतक लगाकर जब कोहली आउट हुए तब तक उनके और धोनी के बीच 82 रन की पार्टनरशिप हो चुकी थी.
2011 फाइनल की दिलाई याद
कोहली के जाने के बाद दिनेश कार्तिक के साथ मिलकर धोनी भारत को किसी भी वक्त खतरे में पड़ने नहीं दिया. आखिरी ओवर में भारत को सात रन की जरूरत थी. वैसे तो हालात भारत के काबू में ही थे लेकिन धोनी के मन में तो कुछ और ही था.
50वें ओवर की पहली ही गेंद पर धोनी जोरदार छक्का जड़कर स्कोर बराबर कर दिया. भारत की जीत के लिए धोनी ने अगली ही गेंद पर एक रन और बना दिया लेकिन इससे पहले लगे उस छक्के साल 2011 वर्ल्ड कर फाइनल के उस छक्के की याद दिला दी जिसने भारत को वर्ल्ड चैंपियन बनाया था. एडिलेड वनडे उस फाइनल मुकाबले जितना अहम तो नहीं था लेकिन धोनी के करियर को इस छक्के की सख्त दरकार था. एडिलेड में लगा यह छक्का एक स्टेटमेंट है उस बल्लेबाज धोनी का जिसके बिना टीम इंडिया का मिशन वर्ल्ड कप 2019 पूरा होना मुश्किल है.
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