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India vs Australia: कोहली एंड कंपनी ने बना डाला 2003 की उस खास जीत का 'रीमेक'

साल 2003 में भी भारत ने राहुल द्रविड़ की पारी की मदद से ऑस्ट्रेलिया पर एडिलेड में जीत हासिल की थी, यही काम इस बार पुजारा ने किया

Updated On: Dec 10, 2018 03:46 PM IST

Sachin Shankar

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India vs Australia: कोहली एंड कंपनी ने बना डाला 2003 की उस खास जीत का 'रीमेक'

भारतीय टीम ने सोमवार को एडिलेड ओवल मैदान पर 15 साल पहले 2003 में मिली जीत की याद दिला दी. हालांकि उस समय सौरव गांगुली की अगुआई वाली टीम इंडिया को दावेदार नहीं माना जा रहा था. लेकिन राहुल द्रविड़ ने एकाग्रता के साथ विकेट पर टिकने की क्षमता का प्रदर्शन किया तो वो एक मिसाल बन गए. वहीं विराट कोहली की कप्तानी वाली टीम विदेशी सरजमीं पर अच्छा प्रदर्शन नहीं कर पाने का कलंक धोने और 70 बरस में पहली बार यहां सीरीज जीतने का लक्ष्य लेकर ही पहुंची है. फिर भी इस मैदान पर दोनों मैचों में मिली भारत की जीत में काफी समानता है. कोहली की टीम को जीत 10 दिसंबर को मिली है तो 2003 में 16 दिसंबर को गांगुली की टीम को ऐतिहासिक जीत के दीदार हुए थे.

राहुल द्रविड़ के रोल में चेतेश्वर 

ये भी संयोग है कि एडिलेड ओवल में भारत को दोनों ही जीत तीसरे नंबर के बल्लेबाज ने दिलाईं. 2003 में एडिलेड में मिली यादगार जीत में जहां 'मैन ऑफ द मैच' राहुल द्रविड़ ने अहम भूमिका निभाई थी तो इस बार वही काम चेतेश्वर पुजारा ने किया. पुजारा मैच के नायक रहे. द्रविड़ ने उस मैच की पहली पारी में दोहरा शतक जड़ते हुए 233 रनों की पारी खेली थी, जबकि दूसरी पारी में उन्होंने नाबाद 72 रनों की पारी खेलकर टीम इंडिया को जीत दिलाई थी. पुजारा ने 246 गेंदों पर 123 रनों की धैर्यभरी पारी खेलकर भारत को पहली पारी में बढ़त दिलाई. दूसरी पारी में भी पुजारा का बल्ला चला और उन्होंने 204 गेंदों में 71 रनों की पारी खेली.

India's Rahul Dravid drives the ball during day three of the second cricket Test against Australia at the Sydney Cricket Ground on January 5, 2012. IMAGE STRICTLY RESTRICTED TO EDITORIAL USE - STRICTLY NO COMMERCIAL USE AFP PHOTO / Greg WOOD / AFP PHOTO / GREG WOOD

विश्व क्रिकेट में भारतीय टीम के नंबर तीन के अलावा शायद ही कोई दूसरा कोई बल्लेबाज होगा जिसके ऊपर जिम्मेदारियों का इतना बड़ा बोझ होगा. इस टेस्ट में चेतेश्वर पुजारा को क्रीज पर उस समय उतरना पड़ा जब भारत ने सलामी बल्लेबाज केएल राहुल का विकेट महज तीन रन पर गंवा दिया था. भारत ने 41 रन पर शीर्ष चार बल्लेबाजों के विकेट गंवा दिए. शीर्ष  क्रम के ढहने के बाद चेतेश्वर पुजारा ने संयम भरी पारी खेली. उन्होंने तीन महत्वपूर्ण साझेदारियां भी निभाईं. वह पहले दिन की अंतिम गेंद पर रन आउट होकर पवेलियन लौट गए. लेकिन जाने के पहले अपना काम पूरा कर गए. टीम ने जो 250 रन बनाए उसमें 123 अकेले उन्होंने बनाए.

पुजारा के दम पर जीता मैच 

दूसरी पारी में शीर्ष क्रम चला तो सही, लेकिन कोई भी बल्लेबाज अच्छी शुरुआत को बड़ी पारी में नहीं तब्दील कर सका. फिर भारत के निचले क्रम के बल्लेबाज भी नहीं चल पाए और उसने अपने आखिरी चार विकेट पर चार रन के अंदर गंवा दिए. लेकिन पुजारा (71) और रहाणे (70) के अर्धशतकों की मदद से वह 307 रन बनाने में सफल रहा. पुजारा जब पवेलियन लौट रहे थे तो दर्शकों ने खड़े होकर उनका अभिवादन किया. उन्होंने इस मैच में 450 गेंदों का सामना किया. वह ऑस्ट्रेलियाई सरजमीं पर एक मैच में सर्वाधिक गेंदों का सामना करने वाले भारतीय बल्लेबाजों की सूची में सचिन तेंदुलकर (525 गेंदें, सिडनी, 2004) के बाद दूसरे स्थान पर पहुंच गए हैं.

Adelaide : India's Cheteshwar Pujara, right, is congratulated by teammate Ravi Ashwin after scoring 50 runs while batting during the first cricket test between Australia and India in Adelaide, Australia,Thursday, Dec. 6, 2018. AP/PTI(AP12_6_2018_000001B)

चेतेश्वर पुजारा की तुलना तो उनके करियर की शुरुआत से ही राहुल द्रविड़ से होने लगी थी. यही उन्हें अपनी बल्लेबाजी शैली के कारण टीम इंडिया की नई दीवार भी कहा जाने लगा था. पुजारा पहली बार सुर्खियों में तब आए थे, जब उन्होंने सौराष्ट्र की अंडर-14 टीम के लिए खेलते हुए तिहरा शतक लगाया था. वह प्रथम श्रेणी में तीन तिहरे शतक लगाकर तहलका मचा दिया था. द्रविड़ की तरह उन्होंने दिखा दिया है कि वह रनों के भूखे हैं और टीम की किस्मत अकेले लिखने का दम रखते है. जिस तरह द्रविड़ की एकाग्रता एक मिसाल बन गई थी. चेतेश्वर पुजारा भी उनसे कोई ज्यादा पीछे नहीं हैं.

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