कई बार ऐसा होता है कि तनाव और हर मिनट में एक्शन से भरी फिल्म में पता ही नहीं लगता कि आखिर असली हीरो कौन था! रामगोपाल वर्मा की सत्या में मनोज वाजपेयी के भीखू म्हात्रे का किरदार उदहारण हो सकता है.
साउथ अफ्रीका के खिलाफ दो टेस्ट मैचों में बाहर बैठे उप कप्तान अजिंक्य रहाणे ने हर कच्चे-पक्के क्रिकेट विशेषज्ञ द्वारा खतरनाक घोषित कर दी गई वांडरर्स की पिच पर 76 बॉल में 48 रन की पारी से भारत को मैच जीतने की स्थिति में ला कर खड़ा कर दिया. लेकिन जब मैच खत्म हुआ तो मैन ऑफ द मैच की ट्रॉफी भुवनेश्वर कुमार के हाथ में थी.
असल में यह महज एक ट्रॉफी ही नहीं है. यह भुवनेश्वर के खेल को उस बहस के बीचोंबीच ला कर खड़ा करती है, जो पिछले एक साल से हार्दिक पांडया को लेकर चल रही है.
कई जानकार घोषित कर चुके हैं कि स्टाइलिश पांड्या बतौर ऑलराउंडर कपिल देव जैसे साबित होंगे. उनकी कुछ पारियां ऐसे दावों को मजबूती भी देती हैं. केपटाउन में पहली पारी में जब सभी स्टार बल्लेबाज पहली पारी में ड्रेसिंग रूम में थे, पांड्या 93 रन की पारी खेल गए. लेकिन साउथ अफ्रीका के खिलाफ सीरीज में भुवनेश्वर ने एहसास करवाया है कि उन्हें भी कपिल देव की गद्दी का वारिस मानने में कोई कुछ गलत नहीं है.
लगातार बालों का रंग बदलने के कारण पांड्या को टीम में हैरी कह कर बुलाया जाता है. लेकिन कुछ सीनियर उन्हें ब्राजीलियन स्टार नेमार भी कहते हैं. लेकिन यह देसी नेमार टीम के लिए कुछ ज्यादा नहीं कर पाया. बल्कि उसकी लापरवाहियां स्कोर कार्ड पर साफ दिखाई दे रही हैं.
तीसरे टेस्ट की पहली पारी में उनका टेनिस बॉल क्रिकेट की तरह गली के मैच में अफलातून जैसे शॉट मारना सभी ने देखा है. सेंचुरियन में बच्चों की तरह रन आउट होकर अपना विकेट गंवाने से लेकर अहम मौके पर टीम के लिए विकेट हासिल करने या रन बनाने में नाकाम रहने के कारण पांड्या की क्षमता पर सवालिया चिन्ह लगता है.
जोहानसबर्ग टेस्ट की दूसरी पारी में जब भुवनेश्वर बल्लेबाजी करने आए तो टीम का स्कोर 148 पर पांच था. भुवनेश्वर केवल करीब दो घंटे बल्लेबाजी करके 76 बॉल पर 35 रन बना गए. बल्कि उनकी रहाणे के साथ 55 और मोहम्मद शमी के साथ 35 रन की साझेदारी साउथ अफ्रीका को मैच से दूर ले गई. क्योंकि अंदाजा था कि बल्लेबाजों की परीक्षा लेने वाली इस पिच पर 200 या उससे अधिक का स्कोर पहाड़ साबित होगा.
भविष्य के ऑलराउंडर के बारे में बहस को आगे बढ़ाने से पहले इस सीरीज में भुवनेश्वर और पांड्या के आंकड़ों पर नजर डालना जरूरी है. अभी तक खेले 21 टेस्ट ( कुल 522 रन) मैचों में भुवनेश्वर ने घर से बाहर 10 मुकाबलों में 398 रन बनाए हैं. इनमें 2015 में नॉटिंघम टेस्ट की दोनों पारियों में बनाए 58 व 63 रन भी शामिल हैं. 21 टेस्ट मैचों में भुवनेश्वर ने 63 विकेट लिए हैं और इनमें से 36 घर से बाहर हैं.
पांडया का करियर अभी शुरू हुआ है. उन्होंने छह ही टेस्ट अभी तक खेले हैं. एशिया से बाहर उनका यह पहला दौरा है. पांड्या ने इस सीरीज के तीन टेस्ट मैचों में 19.83 की औसत से टीम के लिए 119 रन बनाए हैं और बतौर गेंदबाज उनके 49 की औसत से तीन विकेट हैं.
भुवनेश्वर को दो मैच खेलने को मिले. इसमें उन्होंने 33.66 की औसत से मैच के परिणाम पर असर डालने वाले 101 रन टीम को दिए. जबकि बतौर गेंदबाज 67 में से 22 ओवर मेडन फेंकने वाले इस क्रिकेटर के लिए जरूरी जेहन के मालिक ने 20.30 की औसत से 10 विकेट टीम को दिए हैं. ये विकेट निचलेक्रम के नहीं बल्कि टॉप बल्लेबाजों के हैं. भुवनेश्वर को छह विकेट लेने के बाद केपटाउन में बाहर बिठा दिया गया, लेकिन इस गलत फैसले ने उनके प्रदर्शन पर असर नहीं डाला.
जैसा कि टीम में पांडया को रॉकस्टार भी कहा जाता है, भुवनेश्वर वैसे नहीं हैं. न ही उन्हें हर महीने बालों का रंग बदलने का शौक है और न ही कानों में चमकती इयररिंग डालना पसंद है.
वह एक सीधे-साधे क्रिकेटर हैं, ठीक कपिल पा जी की तरह. फिलहाल बतौर नई बॉल बॉलर व बतौर निचलेक्रम के बल्लेबाज, जिम्मेदारी व समर्पण के लिहाज से कपिल देव के सबसे करीब हैं.
हंदवाड़ा में भी आतंकियों के साथ एक एनकाउंटर चल रहा है. बताया जा रहा है कि यहां के यारू इलाके में जवानों ने दो आतंकियों को घेर रखा है
कांग्रेस में शामिल हो कर अपने राजनीतिक सफर की शुरूआत करने जा रहीं फिल्म अभिनेत्री उर्मिला मातोंडकर का कहना है कि वह ग्लैमर के कारण नहीं बल्कि विचारधारा के कारण कांग्रेस में आई हैं
पीएम के संबोधन पर राहुल गांधी ने उनपर कुछ इसतरह तंज कसा.
मलाइका अरोड़ा दूसरी बार शादी करने जा रही हैं
संयुक्त निदेशक स्तर के एक अधिकारी को जरूरी दस्तावेजों के साथ बुधवार लंदन रवाना होने का काम सौंपा गया है.