साउथ अफ्रीका के बाद इंग्लैंड में पेस बॉलिंग के सामने भारतीय टीम कैसा खेली, इस पर बहस करने का समय निकल गया है. लेकिन ये देखना रोचक होगा कि 6 दिसंबर से एडिलेड में शुरू हो रही टेस्ट सीरीज में विराट कोहली की टीम इस समय दुनिया की सबसे बेहतरीन गेंदबाजी के सामने कैसा खेलने वाली है!
140 किलोमीटर प्रतिघंटा से ऊपर की स्पीड के साथ गेंद को स्विंग करवाने वाले पैट कमिंस, जोश हेजलवुड, मिचेल स्टार्क और स्पिनर नॉथन लॉयन ही पिछले दो सालों में अकेली ऐसी बॉलिंग यूनिट रही है जिसने भारतीय टीम को परेशान किया है और वह भी उसके घर में.
सिर्फ यही बॉलिंग अटैक है जो लगातार रन बना रहे विराट कोहली को नाकामी से रू-ब-रू करवा सकता है.
टीम में अनुभवी पीटर सिडल को भी रखा गया है. बढ़ती उम्र के साथ उनकी स्पीड में जरूर कमी आई है, लेकिन उनकी गेंद को लगातार स्विंग करवाने की क्षमता पहले से ज्यादा जवां दिख रही है.
अकसर भारतीय कप्तान और कोच यह तर्क देते हैं कि भारत आकर खेलने वाली टीमें भी वैसा ही संघर्ष करती हैं जैसा कि वे खुद इंग्लैंड या ऑस्ट्रेलिया में लड़खड़ाते हैं और हारते हैं.
इस तर्क को मानने के बाद यह भी स्वीकार करना होगा कि भारत में कोई दूसरी टीम जीत नहीं सकती.
पिछले साल ऑस्ट्रेलियन टीम भारत में थी. पुणे टेस्ट मैच में पेसरों और लेफ्ट ऑर्म स्पिनर स्टीफन औफी और नॉथन लॉयन से सामने भारतीय बल्लेबाजी ने दोनों पारियों में 105 और 107 रन पर घुटने टेक दिए. ऑस्ट्रेलियाई टीम ने 333 के विशाल स्कोर से वह मैच जीता.
बेंगलुरु में दूसरे टेस्ट मैच में भी वे मेहमान टीम इंडिया की हालत खराब करने में सफल रहे. वह मैच भी ऑस्ट्रेलिया की पकड़ में था, लेकिन रहाणे और चेतेश्वर पुजारा टीम को ना केवल संकट के बाहर निकालने में सफल रहे बल्कि मैच भी जितवा दिया.
तीसरे टेस्ट मैच में रांची की पिच पर इतने रन थे कि ऑस्ट्रेलिया 451 और टीम इंडिया 603 रन बना पाई. मैच ड्रॉ रहा. धर्मशाला में टीम इंडिया ने सीरीज पर कब्जा किया.
उस सीरीज के दो अहम पहलू रहे.
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इसमें साबित हो गया कि भारतीय बल्लेबाजी स्पिन गेंदबाजी के सामने भी ताश के पत्तों की तरह बिखर सकती है. नॉथन लॉयन और औफी 19-19 विकेट लेकर घर लौटे.
दूसरा, उस सीरीज में विराट के तीन मैचों की पांच पारियों में महज 46 रन थे और 15 उनका सबसे बड़ा स्कोर था. विराट के लिए वह सीरीज बड़ी नाकामी थी.
कोई शक ही नहीं है कि ऑस्ट्रेलिया का पूरा फोकस इस समय विराट पर है क्योंकि उन्हें अंदाजा है कि मैच और सीरीज को अपने नियंत्रण में रखने के लिए भारतीय कप्तान को ज्यादा देर तक क्रीज पर खड़े रहने नहीं देना है.
यकीनी तौर एडिलेड में मैच भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच सिर्फ कागजों पर ही होगा. असल में वह मैच ऑस्ट्रेलिया की पेस बॉलिंग और विराट का होने जा रहा है. विराट और बाकी बल्लेबाजों को कितनी शॉर्ट बॉल होती हैं, कितनी बाउंसर, पाठक इस पर भी एक-एक कोल्ड ड्रिंक्स की शर्त लगा सकते हैं.
पेस पलटन में क्रिस ट्रेमेन को भी रखा गया है. बल्लेबाजों की परीक्षा लेने वाली आउटस्विंगर के धनी इस गेंदबाज को सुबह जल्दी उठ कर देखना पेस बॉलिंग का मजा लेने वाले क्रिकेट प्रेमियों के लिए अलग अनुभव साबित हो सकता है.
इस सीरीज में ऑस्ट्रेलिया की पूरी उम्मीदें उसकी पेस बॉलिंग पर टिकी हैं. नॉथन लॉयन टीम में स्नाइपर की तरह हैं.
स्टीव स्मिथ और डेविड वॉर्नर की गैरमौजूदगी के कारण इस टीम की बल्लेबाजी लगातार संघर्ष कर रही है. टीम ने हर प्रारूप में खेले अपने 25 मैचों में से 18 हारे हैं.
वैसे टीम इंडिया के रिकॉर्ड पर भी नजर मारने में कोई बुराई नहीं है. ऑस्ट्रेलिया के अपने 11 दौरे में कोई भी भारतीय टीम कभी टेस्ट सीरीज नहीं जीती. ऑस्ट्रेलिया में खेले 44 टेस्ट मैचों में भारत सिर्फ पांच ही जीत सका है. और 28 मैच भारतीय टीम हारी है.
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