विराट कोहली की पलाटून एडिलेड में बेहद करीबी से जीत हासिल करने के बाद पर्थ के ऑप्टस स्टेडियम की पिच पर अपना दूसरा मैच खेलेगी. वैसे पर्थ की वेस्टर्न ऑस्ट्रेलिया क्रिकेट एसोसिएशन (वाका) की पिच को विश्व क्रिकेट में सबसे तेज होने का तगमा हासिल है. रिपोर्टों के अनुसार ऑप्टस की पिच में भी वाका की तरह काफी तेजी और उछाल है.
वाका की पिच पर आखिरी मैच पिछले साल 14 दिसंबर से ही शुरू हुआ था. ऑस्ट्रेलिया की पेस यूनिट में मिचेल स्टार्क, जोश हेजलवुड और पैट कमिंस भी थे. इंग्लैड के बीस में से 17 विकेट इन तीनों ने आपस में बांटे थे और मेहमान टीम इस मैदान पर पारी और 41 रन से हारी थी.
एडिलेड की पिच कैसी थी, यह आर अश्विन और नाथन लायन को मिली विकेटों के देखकर अंदाजा लगाया जा सकता है लेकिन पर्थ पर मिचेल स्टार्क, हेजलवुड और कमिंस का सामना भारतीय बल्लेबाजों के लिए दौरे की असली शुरुआत की तरह होगा.
टीम ने ऑस्ट्रेलिया में सीरीज का पहला मैच कभी नहीं जीता था. एडिलेड का आत्मविश्वास ऑस्ट्रेलियाई तेज गेंदबाजों का सामना करने में कितना मददगार साबित होगा, यह मैच शुरू होने के बाद ही पता लगेगा.
टीम इंडिया पहला मैच जीती जरूर है, लेकिन इस सिलसिले को बरकरार रखने के लिए पर्थ पर बल्लेबाजी के क्रम में हर पारी में कम से कम दो-तीन शतक चाहिए जो कि टीम को पिछले दो विदेशी दौरों पर नहीं मिले हैं.
साउथ अफ्रीका में टीम से तीन टेस्ट की छह पारियों में सिर्फ एक बार 300 से ऊपर का स्कोर बना. जबकि तीन में वह दो सौ तक भी नहीं पहुंची. इंग्लैंड में भी दस पारियों में तीन बार ही टीम का स्कोर 300 के ऊपर गया.
एडिलेड की पहली पारी में टीम से 250 और और दूसरी में 307 ही बने. उस मैच को बचाने के लिए टीम इंडिया की हालत किस कदर खराब हुई, वह कोच रवि शास्त्री टीवी पर पूरी दुनिया को बता ही चुके हैं.
ऐसा भी नहीं है कि पर्थ (वाका, जहां पिछले टेस्ट मैच खेले गए) की पिच पर मेहमान टीमों के रन नहीं बन रहे थे. इंग्लैंड यहां खेला गया आखिरी मैच बुरी तरह जरूर हारी, लेकिन उसने पहली पारी में चार सौ से ऊपर रन बनाए जिसमें डेविड मलान और जॉनी बेयरस्टो के शतक थे.
ऑस्ट्रेलियाई कप्तान स्टीव स्मिथ का उस मैच में दोहरा शतक था. असल में उस मैच में पहली पारी के बड़े स्कोर के दम पर मिचेल स्टार्क, हेजलवुड और कमिंस ने इंग्लैंड को दूसरी पारी में उठने का मौका ही नहीं दिया.
साउथ अफ्रीका और इंग्लैंड में खेले गए आठ टेस्ट मैचों में टीम इंडिया कभी चार सौ के ऊपर से स्कोर पर नहीं पहुंची. दोनों ही दौरों से वह सीरीज शर्मनाक ढंग से हार कर लौटी.
एडिलेड में भी उसकी हालत खराब थी. लेकिन चेतेश्वर पुजारा का शतक टीम को बचा गया. लेकिन क्या ऐसा हर बार होगा! विराट और चेतेश्वर के अलावा और कौन सा बल्लेबाज है जिससे पर्थ की पिच पर शतक की उम्मीद की जा सकती है! सवाल यह भी है कि क्या ऑस्ट्रेलियाई टीम विराट को उनके खिलाफ बल्ला चलाने की आजादी देगी!
एडिलेड की जीत हर लिहाज से बड़ी थी, लेकिन जिस तरह की गैरजिम्मेदारी भरी बल्लेबाजी टीम इंडिया के बल्लेबाजों ने उस मैच में की, वह डरा देने वाला है. इस तरह से अपनी विकेटें तोहफे में देने के बावजूद मैच जीत जाने से साबित होता है कि हां खुदा है. उम्मीद की जानी चाहिए कि ऊपर वाला टीम इंडिया पर अपनी कृपा बना कर रखेगा.
वैसे एडिलेड में टीम के साथ जो अच्छा रहा, वह था विराट के रनों के बगैर टेस्ट मैच जीतना. लेकिन क्या यह सिलसिला आगे भी जारी रहेगा, पर्थ की पिच इशारा कर देगी.
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