विराट कोहली की अगुआई वाली भारतीय टीम ने जब ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ करीब दो माह पहले जब अपने अभियान का आगाज किया तो काफी कम लोगों को ही उम्मीद होगी कि टीम इतिहास रच देगी. टीम का आगाज टी20 सीरीज के पहले मैच में हार के साथ हुआ, लेकिन कोहली की टीम ने जीत के साथ अपने दौर का समापन किया. टी20 में बराबरी के बाद टेस्ट सीरीज के ऐतिहासिक जीत दर्ज की और अब अब वनडे सीरीज भी 2-1 से अपने नाम कर ली. ऐसा पहली बार है, जब भारत ने ऑस्ट्रेलिया में एक भी सीरीज नहीं हारी. मेलबर्न में खेले गए बारिश बाधित तीसरे वनडे में भारत ने मेजबान को सात विकेट से मात देकर ट्रॉफी पर कब्जा किया.
कोहली ने चुनी विजयी टीम
मेलबर्न में कोहली ने विजयी टीम चुनी. मैदान पर पूरी तरह से संयोजित टीम उतरी. केदार जाधव, विजय शंकर और युजवेंन्द्र चहल को टीम में शामिल करने का फैसला सही साबित हुआ. टीम में तीन बदलाव हुए थे. पिछले वनडे में डेब्यू करने वाले मोहम्मद सिराज महंगे साबित हुए थे, जिस वजह से मेलबर्न में उन्हें मौका नहीं मिला और विजय शंकर ने यहां डेब्यू किया. भले ही शंकर को कोई सफलता नहीं मिली. इसके अलावा अंबाती रायुडू और कुलदीप यादव की जगह केदार जाधव और युजवेंद्र चहल को मौका मिला.
लंबे समय बाद धोनी दिखे पुरानी लय में
इस सीरीज में कप्तान कोहली, गेंदबाजों के ज्यादा निगाहें एमएस धोनी पर चर्चा के विषय रहे. धोनी ने सीरीज के तीनों मैच में अर्धशतक जड़ा. सिडनी वनडे उन्होंने 51 रन बनाए, जबकि एडिलेड में नाबाद 55 रन और मेलबर्न में नाबाद 87 रन की पारी खेली. लगातार तीन जड़ने के कारण धोनी मैन ऑफ द सीरीज रहे. सिडनी ने भले ही धोनी ने काफी धीमी बल्लेबाजी की थी और भारत को वह मुकाबला गंवाना पड़ा था, लेकिन एडिलेड और मेलबर्न दोनों ही मैच में वह टीम की जीत के सबसे अहम साबित हुए. मेलबर्न में जब भारत ने रोहित शर्मा और शिखर धवन के रूप में अपने दो विकेट गंवा दिए थे, तो धोनी ने कोहली के साथ मिलकर 54 रन की पार्टनरशिप की और टीम का स्कोर 113 तक पहुंचाया, लेकिन कोहली के 46 रन पर पवेलियन लौटने के बाद एक बार फिर भारत की रफ्तार काफी धीमी पड़ गई थी और ऐसे समय में धोनी ने केदार जाधव के साथ मिलकर नाबाद 121 रन की साझेदारी कर टीम को जीत की दहलीज तक पहुंचाया.
सीरीज के आखिरी मैच में नहीं चले रोहित
भारत के सलामी बल्लेबाज रोहित शर्मा ने सिडनी में 133 रन की बड़ी पारी खेलकर वनडे सीरीज में अपने अभियान का आगाज किया था. एडिलेड में भी उन्होंने 43 रन की पारी खेली थी, लेकिन मेलबर्न में वह सिर्फ 9 रन ही बना सके. जबकि शिखर धवन वनडे सीरीज में अपनी कोई खास छाप नहीं छोड़ पाए. धवन सिडनी में गोल्डन डक हुए थे. एडिलेड में 32 रन और यहां 23 रन ही बना सके.
वहीं कप्तान कोहली सिडनी में भले ही फ्लॉप रहे थे, लेकिन उसकी भरपाई उन्होंने एडिलेड में 104 रन बनाकर कर दी थी. वहीं मेलबर्न में भी उन्होंने पहले धवन के साथ और फिर धोनी के साथ अच्छी साझेदारी की.
चहल ने पहले ही मैच में साबित की अपनी उपयोगिता
चहल ने इस पूरे दौरे पर एक म़ात्र मैच खेला और उसी एक मैच में वह अपनी उपयोगिता साबित करने में सफल रहे. चहल ने 42 रन देकर 6 विकेट लिए. पिछले मैच में कुलदीप यादव को मौका दिया गया था, लेकिन निर्णायक मैच में कप्तान ने चहल को मौका दिया. चहल ने पूरी ऑस्ट्रेलिया टीम को बिखेर कर दिया. चहल ने वाइड गेंद पर शॉन मार्श का विकेट लेकर अपना खाता खोला और इसके दो गेंद बाद ही उस्मान ख्वाजा को अपनी ही गेंद पर कैच लेकर इस बड़ी साझेदारी को तोड़ा. दोनों के बीच अर्धशतकीय साझेदारी हो गई थी.मेजबान मार्श और ख्वाजा के झटकों से बाहर भी नहीं निकल पाई थी कि चहल ने 123 रन पर स्टोइनिस को रोहित शर्मा के हाथों कैच करवा दिया.
इसके बाद आए मैक्सवेल ने आक्रामक बल्लेबाजी की, लेकिन शमी ने भुवी ने हाथों उन्हें कैच करवाकर क्रीज पर जमने का मौका ही नहीं दिया. हालांकि दूसरे छोर पर हैंड्सकॉम्ब जम चुके थे, लेकिन उन्हें साथ नहीं मिल पा रहा था और 206 रन पर चहल ने रिचर्डसन को केदार जाधव के हाथों कैच करवाया. और इसके बाद उन्होंने हैंड्सकॉम्ब को एलबीडब्ल्यू करके उनकी पारी पर लगाम कसा. अपने आखिरी ओवर में चहल ने जंपा को विजय शंकर के हाथों कैच करवार मेजबान को नवां झटका दे दिया और इसके बाद मेजबान सिर्फ दो रन ही ओर जोड़ पाई थी कि मोहम्मद शमी ने स्टानलेक को बोल्ड कर मेजबान की पारी को 230 रन पर ही रोक दिया.
भुवी ने हासिल की लय
साबित हुए थे और 66 रन पर दो विकेट लिए थे. लेकिन दूसरे मैच में उन्होंने अपनी लय हासिल की और 45 रन पर चार विकेट लिए. मेलबर्न में भुवी ने अटैक की शानदार शुरुआत की और 8 रन पर ही कैरी को कोहली के हाथों कैच आउट करवाकर मेजबान को पहला झटका दे दिया था. इसके बाद भुवी ने 27 रन पर फिंच को एलबीडब्ल्यू करके मेजबान पर दबाव बना दिया है. भुवी ने फिंच को एलबीडब्यू करने से एक गेंद पहले अंपायर के पीछे से गेंद फेंकी, जिसे डेड बॉल करार दिया गया और अगली ही गेंद पर उन्होंने फिंच को पवेलियन भेज दिया. वनडे सीरीज के तीनों बार भुवी ने ही फिंच को अपना शिकार बनाया.
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