2002 के अंडर-19 विश्वकप में जिस किसी ने भी युवा इरफान पठान को बेहद क्लीन एक्शन के साथ बॉलिंग करते देखा, उसने मुंह से यही निकला कि बड़ौदा का यह पेसर इंडिया खेलेगा. ऐसा हुआ भी. इरफान पठान ने उन पर भरोसा करने वाले जानकारों को सही साबित किया.
ठीक ऐसा ही एहसास न्यूजीलैंड में अंडर-19 वर्ल्ड कप खेल रही टीम के लिए नई बॉल से जिम्मेदारी संभालने वाले राइट आर्म पेसर कमलेश नागरकोटी को देखने के बाद होता है. ऐसे ही नहीं आईपीएल की बोली में कोलकाता नाइटराइडर्स ने 18 साल के इस लड़के पर 3 करोड़ 20 लाख का दाव लगाया है.
बेशक राजस्थान के बाड़मेर जिले के इस देसी बॉलर ने अंडर-19 विश्वकप में अभी तक 3.10 की इकॉनामी के साथ पांच मैचों में सात विकेट लिए हैं. इसके साथ ही उन्होंने लाइन एंड लेंथ और अपनी फील्डिंग के अनुसार बॉलिंग करने की क्षमता से खुद को एक परिपक्व पेसर के रूप में पेश किया है.
एक्शन, कद और शरीर में अजित अागरकर के बहुत करीब नागरकोटी क्रिकेट की भाषा में काफी टाइट यानी किफायती बॉलर हैं, जो मौका मिलने पर विराट कोहली की टीम के लिए नई गेंद से जिम्मेदारी संभालने की काबिलियत रखते हैं.
भारत में रिवर्स स्विंग पर यॉर्कर मारने वाले काफी कम गेंदबाज हैं. लेकिन नागरकोटी की स्पीड उन्हें अंतरराष्ट्रीय स्तर के गेंदबाजों के बराबर खड़ा करती है. ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ पहले मैच में स्पीड गन ने नागरकोटी की सबसे तेज गेंद 149 किलोमीटर प्रति घंटा नापी थी. वैसे वह अपने स्पैल में 140-145 किलोमीटर प्रति घंटा लगातार बॉल डालने में सक्षम हैं.
वह तेजी से साथ पिच से बाउंस हासिल करने की काबिलियत रखने वाले गेंदबाज हैं. अच्छी बात यह है कि उनमें तेज गेंदबाज वाला दिमाग है. यानी उन्हें अंदाजा है कि स्विंग से साथ स्पीड को किस तरह से नियंत्रित करना है.कब स्पीड का इस्तेमाल करना है, कितनी स्विंग कारगर होगी और कब स्पीड कम करके बल्लेबाज के लिए परेशानी में डालना है.
हालांकि उनकी सबसे बड़ी खासियत स्पीड के साथ एकुरेसी है. नागरकोटी का एक्शन काफी समूद है और वह उम्र बढ़ने के साथ सही मार्गदर्शन मिलने पर बॉल की स्पीड में और इजाफा कर सकते हैं.
पिछले साल जुलाई में नागरकोटी ने अंडर-19 टीम से साथ इंग्लैंड का दौरा किया था. वह देश से बाहर उनका पहला अनुभव था और पहले ही चेस्टरफील्ड यूथ टेस्ट मैच में 112 रन पर नागरकोटी के नाम दस विकेट थे.
वहां दो यूथ टेस्ट मैचों की चार पारियों में नागरगोटी ने 62.3 ओवर में 26.7 की प्रभावित करने वाली इकॉनामी के साथ कुल 14 विकेट लिए. चार वनडे में भी उन्हें महज तीन ही विकेट मिले लेकिन उनकी किफायत का औसत तीन रन प्रति ओवर रहा था.
हर तेज गेंदबाज की तरह नागरकोटी में भी हर बॉल पर विकेट लेने की ललक है. यह अच्छी आदत है. लेकिन यही आदत तेज गेंदबाजों के कैरियर के खिलाफ भी जाती है क्योंकि ज्यादा विकेट लेने के लालच में जरूरत से ज्यादा कोशिश इंजरी यानी चोट की तरफ ले जाती है.
इंग्लैंड दौरे पर नागरकोटी ने अपने कंघे में दर्द की शिकायत की थी जिसके बाद नेशनल क्रिकेट अकेडमी में उन्हे उपचार के लिए जाना पड़ा. जाहिर है कि युवा नागरकोटी को चोट से बचा कर रखना सबसे बड़ी चुनौती होगी. अभी जिस तरह के हालात दिख रहे हैं, उसमें नागरकोटी अगर चोट से बच निकलने में कामयाब रहते हैं, तो यह बाड़मेर एक्सप्रेस लंबी दूरी तय करने के लिए तैयार नजर आ रही है.
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