ये टीम तो ऐसी थी, जो किसी से भी हार सकती है. ये टीम ऐसी थी, जिसमें बड़े नाम ढूंढने जाइए, तो नहीं मिलेंगे. इसे तो पागलपन की टीम माना जा रहा था. इसे तो पहले राउंड के आगे बढ़ने लायक नहीं माना जा रहा था. ये तो दुनिया की आठ टीमों वाले चैंपियंस ट्रॉफी में आठवीं रैंक टीम थी. आज वो फाइनल में है. पाकिस्तान ने चैंपियंस ट्रॉफी के फाइनल में जगह बना ली है.
किसने सोचा था, ऐसा होगा? वैसे भी आजकल खेलों में पाकिस्तान के बहुत आगे जाने के बारे में सोचता कौन है. पाकिस्तान का नाम आते ही आतंकवाद याद आता है. बम धमाके याद आते हैं. मरते और मारते लोग याद आते हैं. भारतीय के नाते पाकिस्तान का नाम आते ही दुश्मन देश याद आता है.
लेकिन कुछ देर के लिए भूल जाइए कि ये दुश्मन देश की टीम है. बस, इतना सोचकर देखिए कि ऐसा मुल्क, जहां कोई टीम जाना नहीं चाहती. ऐसा मुल्क जहां आठ साल पहले श्रीलंका की टीम पर हमले के बाद किसी बड़ी टीम ने दौरा नहीं किया. जहां आतंक के खेल ने सारे खेल बिखेर दिए हैं. वो आज फाइनल में है.
वो भी कैसे? ऐसी पिच पर, जिसे 270-275 की पिच माना जा रहा था, वहां इंग्लैंड को 211 पर आउट करके. वो भी टिपिकल पाकिस्तानी स्टाइल में. वही पाकिस्तानी स्टाइल, जिसकी गेंदबाजी में स्विंग दिखता है, जिसमें रिवर्स स्विंग दिखता है. पाकिस्तानी तेज गेंदबाजों ने जो शुरुआत की, उसे स्पिनर्स ने कायम रखा. फिर हसन अली आए और तीन विकेट निकाल गए. उनकी रिवर्स स्विंग इस पूरे टूर्नामेंट में चर्चा का विषय बनी हुई है. हसन अली मैन ऑफ द मैच बने. वो टूर्नामेंट में एक नहीं, दूसरी बार ये सम्मान हासिल करने में कामयाब हुए हैं.
इंग्लैंड ने शुरुआत तो अच्छी नहीं की. लेकिन बेयरस्टो और रूट ने अच्छे स्कोर की उम्मीद बंधा दी. बेयरस्टो 43 और रूट 46 पर आउट हुए. उसके बाद पाकिस्तान पूरी पारी में कहीं नहीं दिखा. बेन स्टोक्स ने 64 गेंद में 34 रन बनाए, जो क्रीज पर उनकी बेबसी का सबूत थी. स्टोक्स को शायद ही इतना बेबस देखा गया होगा. आखिर टीम 211 पर आउट हुई, तो साफ हो गया कि इंग्लैंड के पास अब ज्यादा कुछ बचा नहीं है. बस, पाकिस्तान कोई पागलपन न करे.
पाकिस्तान ने वैसा खेल दिखाया, जो उनके स्वभाव से बिल्कुल नहीं मिलता. वे शांत रहे. उन्होंने जब जरूरत हुई, आक्रामक अंदाज दिखाया. खासतौर पर फखर जमां ने, जिन्होंने 57 रन बनाए. 76 रन की पारी खेलने वाले अजहर अली के साथ उन्होंने पहले विकेट के लिए 118 रन की साझेदारी की. इस साझेदारी ने इंग्लैंड की बची-खुची उम्मीद खत्म कर दीं.
मोहम्मद हफीज (31 नॉट आउट) और बाबर आजम (38 नॉट आउट) ने टीम को जीत तक पहुंचाया और ऐसी टीम को फाइनल में पहुंचा दिया, जिसे कुछ भी कहा जाए. लेकिन वो नहीं कहा जाता, जैसा उन्होंने आज खेल दिखाया. यानी मैच्योर, शांत, समझदार, बेहतरीन. ये सारे शब्द चैंपियंस ट्रॉफी के सेमीफाइनल में पाकिस्तान के साथ जुड़ते हैं.
अब इंतजार होगा गुरुवार के दूसरे सेमीफाइनल का. यहां पर भारत का मुकाबला बांग्लादेश से है. यकीनन भारत फेवरिट है. लेकिन बांग्लादेश को कम नहीं आंकना चाहिए. इतना जरूर तय हो गया है कि 2017 के आईसीसी चैंपियंस ट्रॉफी का फाइनल दो एशियाई टीमों के बीच होगा.
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