अगर मुक्केबाजी का मैच होता तो रेफरी ने रुकवा दिया होता. इसे टेक्निकल नॉक आउट करार दिया जाता. जब दो टीमें खेल रही हों, तो मुकाबले की उम्मीद होती है. लेकिन भारत और पाकिस्तान के बीच आईसीसी चैंपियंस ट्रॉफी में चार जून को जो हुआ, उसे कम से कम मुकाबला नहीं कह सकते.
एक टीम तीन विकेट पर 319 रन बनाए और दूसरी 164 पर ढेर हो जाए, तो इसे चिर प्रतिद्वंद्वी टीमों के बीच मुकाबला तो नहीं ही कहा जा सकता. नतीजा ये निकले कि एक टीम डकवर्थ लुइस सिस्टम से 124 रन से हार जाए, तो ये कुछ भी हो दो बड़ी टीमों के बीच मैच नहीं है.
जिसने भी बर्मिंघम में हुए मुकाबले को महा मुकाबला करार दिया था, उसे एक बार फिर सोचना चाहिए कि क्या वाकई ये महा मुकाबला था. जो इसे जंग कह रहे थे, उन्हें भी सोचना चाहिए. जिसने अरसे से इंतजार किया था, वो अगर भारतीय है, तो यकीनन खुश तो होगा. लेकिन उसने भी नहीं सोचा होगा कि उसे कुछ भी ऐसा नहीं देखने को मिलेगा, जिसे वो रोमांचक कह सके.
सिर्फ बारिश ने बढ़ाईं भारत की मुश्किलें
मैच में अगर किसी ने भारत के लिए मुश्किलें कीं, तो वो बारिश थी. इस वजह से तीन बार मैच रुका. बल्लेबाजी और गेंदबाजी के मामले में दोनों टीमों के बीच कोई मुकाबला नहीं था. हां, फील्डिंग में जरूर दोनों टीमों के बीच मुकाबला था. मुकाबला कि कौन सी टीम ज्यादा खराब फील्डिंग करेगी. यहां जरूर कहा जा सकता है कि कड़ा मुकाबला रहा.
टॉस हारने के अलावा विराट कोहली की टीम के लिए बाकी कुछ भी गलत नहीं कहा जा सकता. टॉस हारकर पहले बल्लेबाजी करते हुए रोहित शर्मा (91), शिखर धवन (68), युवराज सिंह (53) और कप्तान विराट कोहली (नाबाद 81) की नायाब पारियों की बदौलत 48 ओवरों के 319 रनों का बड़ा स्कोर खड़ा किया.
सलामी बल्लेबाजों ने शतकीय साझेदारी की. विराट कोहली ने कमाल के शॉट खेले. लेकिन भारत के लिए खास पारी युवराज सिंह की कही जा सकती है. युवराज बीमार थे. अस्पताल में थे. उन्होंने प्रैक्टिस मैच नहीं खेला. इसके बावजूद उन्होंने 32 गेंद में 52 रन की पारी खेली. इसमें आठ चौके और एक छक्का शामिल था. उनक पारी ने तय किया कि भारत 300 के पार पहुंचेगा. विराट ने 300 के पार क्या, 319 तक पहुंच दिया.
पाकिस्तानी बल्लेबाज नहीं कर पाए कोई संघर्ष
उस समय भी और पाकिस्तान का पारी के दौरान भी कभी ऐसा नहीं लगा कि पाक टीम इस स्कोर तक पहुंच सकती है. तीन बार बारिश की वजह से मैच रुका. हर बार ओवर या टारगेट बदला गया. पाकिस्तान को डकवर्थ लुइस नियम के तहत 41 ओवरों में 289 रनों का लक्ष्य मिला. लेकिन भारतीय गेंदबाजों ने बेहद कसी हुई गेंदबाजी करते हुए पाकिस्तानी टीम को 33.4 ओवरों में 164 के मामूली स्कोर पर ढेर कर दिया.
पाकिस्तान के लिए अजहर अली (50) ने बल्ले से सबसे बड़ा योगदान दिया. मोहम्मद हफीज (33) उनके दूसरे सर्वोच्च स्कोरर रहे. इन दोनों के अलावा पाकिस्तान का कोई भी बल्लेबाज 20 के आंकड़े तक भी नहीं पहुंच सका. वहाब रियाज गेंदबाजी के दौरान चोटिल हो गए थे, जिसके चलते वह बल्लेबाजी करने नहीं उतर सके और एब्सेंट हर्ट करार दिए गए.
भारत के लिए उमेश यादव ने सबसे ज्यादा तीन विकेट चटकाए. हार्दिक पांड्या और रवींद्र जडेजा ने दो-दो विकेट हासिल किए. भुवनेश्वर कुमार को एक विकेट मिला. भारत के लिए हार्दिक पांड्या छह गेंदों में तीन छक्कों की मदद से 20 रन बनाकर कप्तान कोहली के साथ नाबाद रहे.
इस मैच के बाद दोनों देश के खेल प्रेमियों को सोचना पड़ेगा कि क्या वाकई दो देशों के बीच महा मुकाबला होता है? और क्या उन्हें वाकई अगले मैच के लिए इसी शिद्दत से इंतजार करना चाहिए, जैसा उन्होंने 4 जून को बर्मिंघम में खेले गए पूरी तरह एकतरफा मैच के लिए किया? ये सही है कि किसी दिन कोई भी टीम कमजोर प्रदर्शन कर सकती है. लेकिन ये पाकिस्तानी टीम क्या वाकई भारतीय टीम के आगे रोमांचक प्रदर्शन करने लायक दिखी? कम से कम इस रविवार को तो नहीं.
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