पिछले साल जनवरी में टी-20 में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ एडिलेड में डेब्यू करने वाले हार्दिक पांडया ने 3-0-37-2 का गजब स्पेल डाल कर अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में अपने आने की घोषणा की थी.
पिछले करीब 11 महीनों में कप्तान विराट कोहली के विश्वसनीय पांड्या के लगभग हर मैच के बाद उनकी तुलना कपिल देव से की जा रही है. कई जानकारों को लग रहा है कि एक 100 फीसदी खालिस ऑलराउंडर की तलाश पूरी हो गई है.
श्रीलंका के खिलाफ तीसरे वनडे में 24 साल के पांड्या ने एक साल में 500 से ज्यादा रन बनाने और तीस से अधिक विकेट लेने के कपिल देव के 1986 के रिकॉर्ड की बराबरी भी की.
जाहिर है कि हर उम्दा प्रदर्शन पांड्या को इस महान क्रिकेटर के करीब ले जा रहा है और इसका असर दिखना भी चाहिए. लेकिन सवाल यह है कि महज एक साल के प्रदर्शन के आधार, पांड्या ने अभी तीन ही टेस्ट खेले हैं और वह भी श्रीलंका जैसी कमजोर टीम के साथ, पर उन्हें कपिल देव जैसा करार देना सही होगा! अधिकतर वनडे भी वह एशिया में ही खेले हैं.
यकीनन पांड्या में प्रतिभा की कोई कमी नहीं है. लेकिन वनडे और या टेस्ट, उसने अभी तक अपना 90 फीसदी क्रिकेट भारत जैसी परिस्थितियों में खेला है, जहां अगर आप में क्षमता है तो खुद को साबित करना काफी आसान हो जाता है.
लेकिन खुद को एक बेहतरीन आलराउंडर साबित करने का सही पैमाना विदेशी दौरे, खासकर एशिया से बाहर, पर असाधारण प्रदर्शन ही है.\
कपिल ने विदेशी जमीन पर किया था खुद को साबित
अक्टूबर 1978 में फैसलाबाद टेस्ट में पाकिस्तान के खिलाफ अपना आगाज करने वाले कपिल देव को दोनों पारियों में एक ही विकेट मिला. तीन मैचों की सीरीज में कपिल के सात ही विकेट थे. इसलिए उन पर किसी ने गौर नहीं किया.
इसके बाद वह जुलाई 1979 में बर्मिंघम में नई गेंद के साथ पहले बल्लेबाजी कर रही इंग्लैंड की ड्रीम बैटिंग के सामने थे. पहली पारी का खेल खत्म हुआ तो स्कोर बोर्ड पर कपिल देव के नाम के आगे कप्तान माइकल ब्रेयरली, जेफ्री बॉयकॉट, डैरेक रैंडल, ग्राहम गूच और इयान बॉथम के विकेट लिखे थे.
भारत वह मैच एक पारी और 83 रन से हारा. लेकिन इंग्लैंड में ऐसी बेहतरीन बल्लेबाजी क्रम के सामने अपने पहले ही मैच में 3.04 के इकोनॉमी के साथ पांच विकेट के साथ कपिल देव पर भविष्य का भरोसा मजबूत हो गया और कपिल ने आने वाले सालों में इसे साबित भी किया.
कपिल के खाते में 131 टेस्ट मैचों में 434 विकेट हैं और इनमें से उन्होंने 117 इंग्लैंड, ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड व दक्षिण अफ्रीका में खेले 35 मैचों में लिए थे. 1295 रन बनाए वह अलग.
इन चारों देशों में कपिल ने 79 वनडे खेल और उनके 94 विकेट और 1587 रन हैं. अगले साल भारतीय टीम को अधिकतर क्रिकेट बाहर ही खेलनी है. इस लिहाज पिछला एक साल बतौर खुद को जबरदस्त क्रिकेटर साबित करने वाले हार्दिक पांड्या के लिए अगले बारह महीने कपिल जैसा एक उम्दा ऑलराउंडर होने का सर्टिफिकेट हासिल करने जैसा होगा.
असल में एशिया में पिचें ऐसी होती हैं कि पता लगा पाना मुश्किल है कि बल्लेबाज नायाब खेल रहा है या फिर गेंदबाज बेहद धीमी और सपाट पिचों पर खराब गेंदबाजी कर रहा है.
पांड्या जब दक्षिण अफ्रीका व इंग्लैंड के मैदानों पर कदम रखेंगे तो यकीनन उन्हें वहां हरी घास और बाउंसी पिचों पर बल्लेबाजी व बॉलिंग करते समय कपिल देव का चेहरा जरूर दिखाई देना चाहिए.
अक्सर लोग कपिल से सवाल करते हैं कि क्या भारत को एक और ‘कुक्कु’ (कपिल को परिवार के लोग प्यार से कुक्कु बुलाते हैं) मिलेगा! इस पर वह मजाक करते हैं कि मां बूढ़ी है और पिता नहीं हैं. इसलिए उन्हें नहीं पता कि एक और कपिल आएगा या नहीं.
कपिल ऐसा मजाक में कहते हैं लेकिन उनका विकल्प बताए जा रहे पांड्या के लिए 100 फीसदी गंभीर व मुश्किल भरे क्रिकेट वाले अगले बारह महीने उनकी परीक्षा लेने के लिए इंतजार कर रहे हैं.
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