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#HappyBirthdayVirat: विराट का कुछ कीजिए... वो तो क्रिकेट से 'रोमांच' ही खत्म कर रहे हैं!

विराट के लिए बड़ा स्कोर बनाना रुटीन हो गया है. क्रिकेट में विराट का क्रीज पर आने के बाद क्या होगा, ये 100 में से 95 बार सही बताया जा सकता है

Updated On: Nov 05, 2018 11:54 AM IST

Shailesh Chaturvedi Shailesh Chaturvedi

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#HappyBirthdayVirat: विराट का कुछ कीजिए... वो तो क्रिकेट से 'रोमांच' ही खत्म कर रहे हैं!

किसी नौकरी पेशा आदमी के लिए रुटीन का क्या मतलब होता है? सुबह उठना, तैयार होना, नौ या दस बजे ऑफिस पहुंचना.. दिन भर ऑफिस की फाइलें या रुटीन काम निपटाना. उसके बाद शाम को ऑफिस का वक्त खत्म होने पर बस, लोकल, मेट्रो में थके-हारे घर पहुंच जाना. रुटीन से अलग होने का मतलब है कि किसी दिन छुट्टी या ऑफिस पार्टी. छुट्टी या ऑफिस पार्टी जैसी चीजें ही नौकरीपेशा इंसान के लिए रोमांच लाती हैं ना! कहने का मतलब है कि रोजाना होने वाली चीज से कुछ अलग होना रोमांचक होता है.

क्रिकेट भी ऐसा ही है. यहां बल्लेबाज का बीट होना, जल्दी आउट हो जाना, कभी बड़ा स्कोर बनाना, कभी किसी गेंदबाज का हावी होना... कभी बहुत बड़ा स्कोर, कभी बहुत छोटा स्कोर... यही सब है, जो इसे रोमांचक बनाता है. विराट उसे खत्म कर रहे हैं. किसने कहा है कि हर रोज जैसे कोई ऑफिस जाता है, वैसे जाओ. किसने कहा है कि जिस तरह ऑफिस में मेहनती आदमी जिस तरह फाइलें निपटाता है, वैसे निपटाओ. वो यही तो कर रहे हैं. विराट के लिए बड़ा स्कोर बनाना रुटीन हो गया है. क्रिकेट में विराट का क्रीज पर आने के बाद क्या होगा, ये 100 में से 95 बार सही बताया जा सकता है. यानी सबको पता है कि वो क्या करेंगे! ऐसे में क्रिकेट का वो रोमांच कहां गया, जिसके लिए इस खेल को जाना जाता है.

क्या अब विराट ने अनिश्चितताओं के लिए जगह छोड़ी है?

रेडियो, टीवी पर हिंदी कमेंटरी में हमने बहुत सुना है कि क्रिकेट अनिश्चितताओं का खेल है. लेकिन क्या विराट का खेल अनिश्चितताओं वाला है? बिल्कुल नहीं. वो तो रुटीन है. हर तरह की गेंद पर बल्ले से निकलते शॉट्स, बाउंड्री पर बेचारगी में खड़े फील्डर, कमर पर हाथ रखे या माथे से पसीना छिड़कते बॉलर... यही सब तो दिखता है! इसके अलावा, 50, 100 या 150 पूरे होने पर बल्ला उठाते, मुट्ठी बांधते या फिर ठेठ दिल्लीवाला के अंदाज में गालियां बुदबुदाते विराट... यही होता है ना?

Cricket - India v England - Fourth Test cricket match - Wankhede Stadium, Mumbai, India - 11/12/16. India's Virat Kohli celebrates his double century. REUTERS/Danish Siddiqui - RC1F66C81010

कितने सालों से हम ऐसा ही तो देख रहे हैं. इसी तरह की फॉर्म... इसी तरह के शॉट.. इसी तरह की बल्लेबाजी.. इसी तरह से टूटते रिकॉर्ड. विराट अगर किसी फिल्मी किस्म के बॉयफ्रेंड होते, तो यकीनन इस तरह की फॉर्म में चांद, सितारे तोड़ लाते. द्वापर और त्रेता युग में होते तो हनुमान या कृष्ण की तरह पहाड़ उठा लेते... कुछ ज्यादा लग रहा है ना! हां, ज्यादा है. ये तब तक ज्यादा लगेगा, जब तक आप उनकी बैटिंग नहीं देखेंगे. उन्हें बैटिंग करते देखिए, यकीन हो जाएगा कि इस तरह की फॉर्म में वो सब कुछ कर सकते हैं.

आंकड़ों के बादशाह बनते जा रहे हैं विराट

जरा सोचिए, वनडे में वो दस हजार रन बना चुके हैं. महज 205 पारियों में. उनके बाद अगले बल्लेबाज सचिन तेंदुलकर हैं, जो उनसे 54 पारी पीछे हैं. वो 37 शतक लगा चुके हैं. लोग वनडे में 40 के आसपास की औसत के लिए तरसते हैं. उन्होंने इस कैलेंडर साल में अब तक 149.42 की औसत से रन बनाए हैं. वैसे भी औसत 59.62 है, जो टेस्ट में भी किसी को महान बना देता है. 9000 से 10 हजार रन तक पहुंचने में सिर्फ 11 पारियां खेली हैं. सात से आठ हजार तक पहुंचने में भी उन्होंने सिर्फ 14 ही पारियां खेली थीं. छह बार वो कैलेंडर साल में हजार से ज्यादा रन बना चुके हैं. बस, सचिन उनसे आगे हैं. लेकिन तय मानिए कि ये रिकॉर्ड भी सचिन के पास ज्यादा दिन बचने वाला नहीं है. कप्तान के तौर पर 18 मैन ऑफ द मैच के रिकॉर्ड उनके पास हैं.

birthday card d ये तो सिर्फ वनडे की बात है. टेस्ट और टी 20 भी बाकी हैं. टेस्ट में औसत 55 के करीब और टी 20 में 49 के करीब है. रिकॉर्ड्स की झड़ी यहां भी लगातार लगती रहती है. कहा ही जाने लगा है कि भारतीय बैटिंग लाइन-अप का मतलब विराट कोहली है. विराट ने अपना कद इतना बड़ा बना लिया है कि टीम के बाकी बल्लेबाज छुप-से गए हैं.

क्या वाकई इंसान नहीं हैं विराट!

एक वक्त मैथ्यू हेडन ने सचिन तेंदुलकर के लिए कहा था कि मैंने भगवान को देखा है. वो भारत के लिए नंबर चार पर बैटिंग करते हैं. इसी तरह बांग्लादेश के क्रिकेटर तमीम इकबाल ने कहा है कि वो विराट को इंसान नहीं मानते. जो विराट करते हैं, वो इंसानों के वश की बात नहीं है. वाकई, किसी वैज्ञानिक या मेडिकल एक्सपर्ट को विराट कोहली के बारे में जांच करनी चाहिए कि ऐसा क्या है, जो किसी को इतना खास बना देता है. भले ही वो अब 600 रुपए लीटर पानी पीते हों. लेकिन बड़े वो हमारे-आपकी तरह हुए हैं. पश्चिमी दिल्ली की धूल भरी गलियों में ही उन्होंने बचपन बिताया है. दिल्ली के धूल भरे मैदानों पर ही वो हजारों लोगों की तरह खेले हैं. छोले-कुलछे या छोले भटूरे या गोलगप्पे या टिक्की उन्होंने भी बचपन में खाई हैं, जैसा हमने और आपने किया होगा. फिर ऐसा क्या है, जो उन्हें सबसे अलग कर देता है.

यह सही है कि विराट की कप्तानी को लेकर तमाम सवाल उठते हैं. कप्तान के तौर पर किसी खिलाड़ी को किस तरह ‘ग्रूम’ करना है, इस पर भी सवाल उठते हैं. कप्तानी से जुड़े फैसले सवालों में रहे हैं. यह भी सही है कि अनिल कुंबले के साथ जिस तरह का सुलूक उन्होंने किया, उस पर सवाल उठते हैं. लेकिन ये सब बताते हैं कि वो इंसान हैं. अगर यहां भी सवाल नहीं उठते, तो यकीनन विराट को इंसान नहीं माना जा सकता था. अब भी नहीं माना जा सकता. बाकी बातें भूल जाइए, उन्हें बल्ला थमाइए और क्रीज पर भेज दीजिए. फिर खुद तय कर लीजिए कि जो वो करते हैं, क्या कोई इंसान कर सकता है. इसीलिए, क्रिकेट को इंसानों का खेल बनाए रखने के लिए कुछ तो विचार करना जरूरी है. जिसने खेल से अप्रत्याशित शब्द का मतलब ही छीन लिया हो, उसके साथ क्या सुलूक होना चाहिए. खैर... ये विराट कोहली की बैटिंग से अभिभूत होकर लिखी गई लाइनें हैं. उनकी बैटिंग का मजा लीजिए... ऐसी बैटिंग शायद फिर आपको जीवन में न दिखाई दे.

(यह लेख पहले 25 अक्टूबर को प्रकाशित हो चुका है, विराट कोहली के जन्मदिन पर प्रकाशित हो चुका है)

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