श्रीलंका क्रिकेट अपने अब तक के अपने बुरे दौर से गुजर रहा है और उसके महान खिलाड़ी मुथैया मुरलीधरन ने इस लगातार गिरते स्तर के लिए प्रतिभाओं की संख्या में गिरावट के साथ क्रिकेटरों की मौजूदा पीढ़ी में खेल के प्रति जुनून की कमी को जिम्मेदार ठहराया.
श्रीलंका घरेलू और विदेशी सरजमीं पर सभी टेस्ट खेलने वाले देशों से हार रहा है. विश्व क्रिकेट की संचालन संस्था आईसीसी देश की क्रिकेट संस्था पर लगे भ्रष्टाचार के आरोपों की जांच कर रही है. वनडे और टी20 दोनों विश्व कप जीतने के बावजूद श्रीलंकाई क्रिकेट मुरलीधरन, महेला जयवर्धने और कुमार संगकारा जैसे शानदार खिलाड़ियों के संन्यास के बाद बदलाव के दौर की प्रक्रिया में उबर नहीं सका है.
मुरलीधरन ने शनिवार को कहा, ‘संन्यास लेने के बाद मैं श्रीलंकाई क्रिकेट से जुड़ा हुआ नहीं हूं. श्रीलंकाई क्रिकेट की गिरावट से मुझे दुख होता है. ऐसी टीम जो विश्व कप फाइनल में तीन बार पहुंच चुकी हो और जिसकी क्रिकेट संस्कृति गौरव करनी वाली है, तो यह चिंता का संकेत है.’
उन्होंने कहा कि क्रिकेट का स्तर काफी गिर गया है और ऐसा मौजूदा खिलाड़ियों के अपने खेल में सुधार करने पर ध्यान लगाने के बजाय भौतिक लाभ हासिल करने के कारण हुआ है.
मुरलीधरन ने कहा, ‘जब मैं खेलता था तो पैसे कमाना इतना अहम नहीं होता था. नब्बे के दशक में तब इतना धन भी नहीं था. हमारा जुनून विकेट लेना और रन जुटाना था. इस जुनून में अब बदलाव हो गया है. अगर खिलाड़ी धन के पीछे भागते हैं तो क्रिकेट का स्तर नीचे गिरेगा ही.’
उन्होंने कहा, ‘खिलाड़ी के तौर पर, आपको धन राशि के बजाय अपने खेल के बारे में सोचना चाहिए क्योंकि अगर आप अच्छा प्रदर्शन करोगे तो आपको पैसा और सम्मान दोनों मिलेगा.’
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