ट्विटर पर भारतीय कप्तान विराट कोहली और क्रिकेट के भगवान सचिन तेंदुलकर को फॉलो करने वालों की संख्या को मिला दिया जाए तो यह पांच करोड़ से भी ज्यादा है. वीरेंद्र सहवाग, गौतम गंभीर या हरभजन सिंह जैसे पूर्व क्रिकेटरों के ट्विटर पर चाहने वालों को इसमें जोड़ने पर यह 10-12 करोड़ को पार करती है.
यानी अगर ये सभी क्रिकेटर देश के किसी संकट पर दो-तीन लाइन में चिंता जाहिर करें, तो वे उसे दूर करने या उससे निपटने के लिए दबाव का माहौल बनाने की मजबूत स्थिति में हैं. पिछले दिनों ऐसा एक वाकया हुआ भी. क्रोएशिया की टीम फीफा वर्ल्ड कप के फाइनल में पहुंची, तब हरभजन ने ट्वीट किया. उन्होंने जो लिखा, उसका मतलब यह था कि मामूली आबादी वाला देश यहां तक पहुंच गया है और सवा सौ करोड़ की आबादी वाला हमारा देश हिंदू-मुसलमान खेल रहा है. इस ट्वीट पर काफी चर्चा भी हुई थी.
लगभग 50 लाख की आबादी वाला देश क्रोएशिया फ़ुटबॉल वर्ल्ड कप का फाइनल खेलेगा और हम 135 करोड़ लोग हिंदू मुसलमान खेल रहे है।#soch bdlo desh bdlega
— Harbhajan Turbanator (@harbhajan_singh) July 15, 2018
बच्चा चोरी और गौ रक्षा पर चुप क्यों हैं क्रिकेटर
फिर ऐसा क्यों है कि पिछले कुछ समय से बच्चा चोरी और गौ रक्षा के नाम पर जंगली जानवर से भी बदतर बेलगाम भीड़ द्वारा की जा रही हत्याओं पर उनकी चिड़िया चहचहाने को तैयार नहीं. यहां तर्क दिया जा सकता है कि क्रिकेटर या किसी खिलाड़ी को राजनीति या किसी सामाजिक पचड़े में नहीं पड़ना चाहिए.
ऐसा तर्क देने वालों के लिए जवाब है कि किसी राजनेता की तारीफ में कसीदे पढ़ना, सरकारों के उन कार्यक्रमों की तारीफे करना जो किसी भी लिहाज से सिरे न चढ़े हों, राजनीति का हिस्सा ही हैं. यहां सब से बड़ा सवाल है कि क्या हमारे जिम्मेदार क्रिकेटरों का समाज के प्रति अपनी जिम्मेदारी से अपना मुंह मोड़ना सही है?
सवाल किया जा सकता है कि अकेले क्रिकेटर ही क्यों! इसका जवाब है, क्योंकि उनका सिस्टम और समाज पर प्रभाव बाकियों की तुलना कहीं ज्यादा है.
वैसे भी यहां किसी एक समुदाय की बात नहीं हो रही. देश के विभिन्न हिस्सों में हत्यारी भीड़ ने कई मामलों में हत्या करने से पहले जानने की कोशिश ही नहीं की कि जिन्हें वे मार रहे हैं, आखिर वे कौन हैं!
असम में पिछले महीने पिकनिक मनाने गए दो युवाओं को बच्चा चोर बता कर भीड़ ने पागल कुत्तों की तरह मार डाला. वे अपनी पहचान बताते रहे लेकिन भीड़ वार पर वार करती रही और जब उसका पागलपन थमा 24-28 साल की जवां जिंदगियां लाशों में तब्दील हो चुकी थीं.
भारतीय परिवारों से सीधे जुड़े हैं क्रिकेटर
क्रिकेटरों का रुख भारतीय समाज में मायने रखता है क्योंकि वे सीधे तौर पर परिवारों का हिस्सा हैं. कैसे! जब विराट कहते हैं कि फलां बाइक लेनी चाहिए, यह शैंपू अच्छा है या वो वाला ट्रैवल बैग बाकियों से कहीं बेहतर है, तो आपका बेटा या भाई विश्वास करके वही खरीद रहे हैं.
सचिन अगर कहते हैं कि फलां बैंक बेहतरीन हैं तो कुछ ही महीनों में उसके ग्राहक दोगुने हो जाते हैं. ऐसे में इस तर्क को इनकार करना गलत है कि क्रिकेटरों को ऐसे मामलों में चुप रहना चाहिए.
सचिन के ट्विटर अकाउंट की पिछले एक साल की पड़ताल करने से दिखता है कि उन्होंने सरकार के स्किल इंडिया, स्वच्छ भारत, समग्र शिक्षा का प्रचार करने के अलावा पर्यावरण दिवस से लेकर रमजान की तक की बधाई दी है. लेकिन भीड़ के हाथों मारे जा रहे लोगों के बारे में कहने को उनके पास कुछ नहीं है.
विराट ने अभी कुछ दिन पहले इंग्लैंड में वनडे मैच से पहले स्टेडियम में राष्ट्रगान का वीडियो पोस्ट किया. वे सड़क पर कूड़ा ने फेंकने की नसीहत भी दे रहे हैं, जो काबिलेतारीफ है. रोड सेफ्टी पर भी उन्होंने अपने चाहने वालों को आगाह किया है. लेकिन सड़कों पर बह रहा खून उन्हें आहत नहीं करता.
सहवाग ने दो दिन पहले काकोरी कांड को याद करते हुए बाल गंगाधर तिलक और चंद्रशेखर आजाद का फोटो पोस्ट किया है. फिर उनके हैंडल पर टीवीएस स्टार सीटी प्लस के सैनिकों की याद में बने कार्यक्रम का विज्ञापन भी है.
Remembering the "Hero of Kakori" #ChandraShekharAzad and the great Lokmanya Tilak on their Birth Anniversary. Born 50 years apart from each other, their work , sacrifice and name continues to inspire generations of our youth. Jai hind pic.twitter.com/XsTSOZmKrj
— Virender Sehwag (@virendersehwag) July 23, 2018
सहवाग जगन्नाथ रथ यात्रा को लेकर भी उत्साहित दिखे और फिर सुप्रीम कोर्ट के निर्भया बलात्कार के दोषियों को फांसी की सजा को कायम रखने के फैसले पर भी वह शब्दों का जश्न मनाते दिखे. और हां, एक ट्वीट में विवेकानंद का फोटो पोस्ट किया गया है जिसमें वह कहते हैं कि इस महान हस्ती से उन्होंने काफी कुछ सीखा है. लेकिन लगातार हो रही हत्याओं पर कहने को उनके पास कुछ नहीं है.
गौतम गंभीर एक ट्वीट में दावा करते हैं कि सीआरपीएफ को पूरी छूट मिल जाए तो कश्मीर में पत्थर मारने वालों की समस्या निपट जाएगी. उन्होंने उन्नाव व कठुआ में हुए बलात्कारों पर अपनी गुस्सा जाहिर किया लेकिन हत्याओं पर वे भी चुप्प रहे.
हरभजन सिंह ने विश्वकप फुटबॉल के दौरा ट्वीट किया कि 50 लाख की आबादी वाला क्रोएशिया फाइनल खेलेगा और 135 करोड़ लोगों को मुल्क हिंदू-मुसलिम खेल रहा है. बेशक इस ट्वीट का सड़कों पर हो रही हत्याओं से कोई वास्ता नहीं था लेकिन यह साबित करती है कि क्रिकेटर राजनैतिक मुद्दों पर राय रखते हैं. लेकिन वे बिना चेन के जंगली कुत्तों की तरह इन्सानों का कत्ल कर ही भीड़ के बारे में कुछ कहने का जोखिम लेना नहीं चाहते, क्योंकि राजनेताओं को नाराज करने का जोखिम नामी लोग इस देश में कभी नहीं लेते.
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