सबसे बड़ा सवाल है कि अगर भारतीय क्रिकेटर पाक-साफ हैं और उन पर भरोसा किया जा सकता है तो फिर क्रिकेट बोर्ड वर्ल्ड एंटी डोपिंग एजेंसी (वाडा) के नियमों को मानने से लगातार इनकार क्यों कर रहा है! पिछले दिनों डबलिन में इंटरनेशनल क्रिकेट काउंसिल (आईसीसी) के बोर्ड ने सालाना रिपोर्ट पर अपनी मुहर लगाने से पहले आईसीसी के एंटी डोपिंग नियमों को और मजबूत बनाने पर जोर दिया.
ऐसा बताया जा रहा है कि कुछ देशों ने बीसीसीआई के वाडा को लेकर रुख पर आईसीसी से कड़े सवाल किए हैं. मामला सिर्फ सदस्य देशों का ही नहीं है बल्कि वाडा भी आईसीसी से भारतीय बोर्ड को लेकर लगातार सवाल कर रही है.
भारत को नहीं मिल रहा समर्थन
2013 के मैच फिक्सिंग कांड से पहले तक भारत की आईसीसी में तूती बोलती थी लेकिन उस कांड के बाद सुप्रीम कोर्ट के 18 जुलाई 2016 के फैसले ने बीसीसीआई के रौब को खत्म ही कर दिया है.
पहले एशिया का ब्लॉक पूरी तरह से भारत के साथ रहता था. लेकिन पाकिस्तान के साथ सीरीज न खेलने के विवाद के चलते हालात उसके खिलाफ हुए हैं. ऑस्ट्रेलिया और इंग्लैंड जैसे क्रिकेट बोर्ड पहले से ही बीसीसीआई के पैसे के कारण आईसीसी की चुप्पी पर लगातार सवाल करते आए हैं.
इस समय सिर्फ भारतीय बोर्ड ही है जो कि वाडा के सभी एंडी डोपिंग नियमों को खारिज किए हुए है. बोर्ड को वाडा के वेयरअबाउट क्लॉज और आउट ऑफ कंपटीशन टेस्ट पर शुरू से ही एतराज रहा है.
वेयरअबाउट क्लॉज में खिलाड़ियों को अपने लोकेशन की जानकारी वाडा के अधिकारियों को देनी होती है और अधिकारी बिना बताए कभी भी क्रिकेटर का टेस्ट ले सकते हैं. आउट ऑफ कंपटीशन का मतबल है कि जब क्रिकेटर कोई टूर्नामेंट या सीरीज न खेल रहा है.
वेयरअबाउट क्लॉज पर बोर्ड का तर्क है कि उससे खिलाड़ियों की सुरक्षा और निजता खतरे में पड़ सकती है जबकि उसे मैचों के दौरान किसी भी क्रिकेटर का टेस्ट करने में दिक्कत नहीं है.
नाडा के नियमों को मानने में भी है बीसीसीआई को दिक्कत
भारत सरकार की जांच एजेंसी नेशनल एंटी डोपिंग एजेंसी (नाडा) भी बोर्ड को बार-बार उसके नियमों को तहत खिलाड़ियों की जांच करने को कह चुकी है लेकिन हर बार बीसीसीआई ने ठेंगा दिखाया है. लेकिन अब सदस्य देशों और वाडा के दबाव के चलते आईसीसी बीसीसीआई का ज्यादा दिन तक बचाब करने की स्थिति में नहीं है.
बीसीसीआई का ना तो वाडा के साथ करार है और न ही नाडा से. बल्कि उसने आईसीसी के साथ समझौते पर साइन कर रखे हैं और आईसीसी वाडा के नियमों को मानता है. इसलिए वाडा के नियम मनवाने की जिम्मेदारी आईसीसी की है.
बीसीसीआई भी अब लंबे समय तक अपने खिलाड़ियों के कहने पर चलने की स्थिति में नहीं हैं क्योंकि इस समय कोई म़जबूत अधिकारी न होने के कारण आईसीसी में उसका प्रभाव न के बराबर है. इस समय वह किसी को धमकी देने की स्थिति में नहीं हैं. आईसीसी के चेयरमैन शशांक मनोहर हैं लेकिन वह नियमों के खिलाफ न जाने वाले इनसान हैं.
रही बात खिलाड़ियों की तो डोपिंग को लेकर उनका रिकॉर्ड क्लीन रहा है और वे सभी पेशेवर हैं. यकीनी तौर पर वह कोई ऐसी गलती नहीं करेंगे जिससे उनके खेल जीवन पर बुरा असर पड़े. य़ह स्थिति बीसीसीआई को वाडा के नियम मान लेने के लिए काफी है. क्योंकि विश्व क्रिकेट के बाकी देशों के क्रिकेटर भी इन्हें स्वीकार करते हैं. इसलिए अब बीसीसीआई लंबे समय तक वाडा को लेकर इनकार नहीं कर सकता.
मौजूदा रुख उसे विश्व स्तर पर अलग-थलग कर देगा. अब यह देखना रोचक होगा कि भारतीय बोर्ड की आईसीसी विश्व कप या टी-20 चैंपियनशिप में ना खेलने की धमकी कितनी काम आती है. यह भी रोचक रहेगा कि ऐसी स्थिति में बाकी देश भारत के साथ क्रिकेट के ताल्लुकात बरकार रखते हैं या नहीं!
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