सोमवार को दिल्ली के सेंट स्टीफंस कॉलेज के ग्राउंड में सैयद मुश्ताक अली ट्रॉफ के लिए दिल्ली के क्रिकेटर्स का कैंप चल रहा था. डीडीसीए के चीफ सेलेक्टर और भारत के लिए क्रिकेट खेल चुके अमित भंडारी ( Amit Bhandari) अपने साथी सेलेक्टर्स मोहन चतुर्वेदी और सुखविंदर सिंह के साथ ग्राउंड पर मौजूद थे. अचानकर दोपहर करीब 1:30 बजे 20-25 लोग आते हैं और अमित भंडारी पर हॉकी स्टिक्स और रॉड से हमला कर देते हैं.
बाकी सेलेक्टर्स को बीच में पड़ने पर गोली मारने की धमकी दी जाती है. चोटिल अमित भंडारी को अस्पताल ले जाया जाता है. अमित भंडारी और कुछ चश्मदीद दावा करते हैं कि यह हमला दिल्ली के ही एक क्रिकेटर अनुज डेढा ने करवाया है जिसे मौके पर ही पकड़कर पुलिस के हवाले कर दिया जाता है.
खबर बाहर आती है कि अनुज डेढा दिल्ली की अंडर 23 टीम में सेलेक्ट ना किए जाने के चलते अमित भंडारी से नाराज था.
सोमवार को हुई यह घटना किसी फिल्मी सीन से कम नहीं है. हमले का मोटिव भी साफ जाहिर किया जा रहा है कि सेलेक्शन ना किए जाने पर सेलेक्टर की पिटाई कर दी गई.
वीरेंद्र सहवाग, गौतम गंभीर से लेकर बिशन सिंह बेदी जैसे दिल्ली के नामी खिलाड़ियों ने इस वाकिए पर गुस्सा जाहिर करते हुए दोषियों पर पर कड़ी कार्रवाई की मांग की है.
अब सवाल यह है कि क्या क्रिकेट को इस तरह शर्मसार करने वाली यह अपने आप में इकलौती घटना है और इस घटना की कहानी उतनी ही है जितनी बताई जा रही है या इसके पीछे कोई और वजह भी है. क्या यह घटना डीडीसीए में होने वाले सेलेक्शंस की उस 'डर्टी स्टोरी' को सामने लाती है जिसके साफ-सुथरा होने का दावा डीडीसीए के अध्यक्ष रजत शर्मा कर रहे हैं?.
कौन है अनुज डेढा और उसे गुस्सा क्यों आया?
सबसे पहले बात उस खिलाड़ी की जिसे इस पूरे वाकिए का सूत्रधार माना जा रहा है. दिल्ली के एकता क्लब की ओर से खेलने वाला यह खिलाड़ी अनुज डेढा इससे पहले कभी भी दिल्ली के किसी भी आयु-ग्रुप की किसी टीम में कभी नहीं खेला. लेकिन इस बार उसे दिल्ली की अंडर-23 टीम के 80 संभावित खिलाड़ियों में शामिल किया गया था. वह ट्रायल का भी हिस्सा रहा और फिर उसे संभावितों में से हटा दिया गया.
अब सवाल यह भी है कि क्या वह पहली बार ट्रायल में आया था जिसमें सेलेक्ट ना होने पर उसे गुस्सा आ गया? जानकारी के मुताबिक यह खिलाड़ी पहले भी दिल्ली की अंडर-19 और अंडर-23 टीम के ट्रायल में आता रहा है लेकिन तब सेलेक्ट होने पर उसने कभी कोई बवाल नहीं किया तो फिर इस बार ऐसा क्यों हुआ जो उसने करीब दो दर्जन लोगों के साथ आकर चीफ सेलक्टर पर हमला कर दिया?
डीडीसीए के गलियारों में इस बात की चर्चा है कि संभवत: अमित भंडारी ने उसे सेलेक्ट करने का आश्वासन दिया होगा जिसके पूरा ना होने पर उसने यह हमला करवा दिया. लेकिन सवाल फिर भी बरकरार है कि भंडारी की अध्यक्षता वाली सेलेक्शन कमेटी ने उसे संभावितों में सेलेक्ट करके क्यों ऐसे हालात पैदा किए जिनकी परिणति इस घटना के रूप में हुई.
पहले भी सामने आए हैं ऐसे मामले
यह कोई पहली बार नहीं है जब डीडीसीए की सलेक्शन कमेटी के फैसलों पर ऐसा बवाल हुआ हो. साल 2010 में भी ऐसा वाकिया सामने आया था. उस वक्त एक विकेटकीपर बल्लेबाज खिलाड़ी तरंग गुप्ता के पिता राजीव गुप्ता के उस वक्त के सेलेक्टर विनय लांबा के साथ हाथा-पाई करने का मामला दर्ज कराया गया था. वह वीनू मांकड सीरीज में दिल्ली की अंडर 19 टीम के सेलेक्शन का मामला था.
यही नहीं, साल 2007 में आरोप लगे थे कि एक ऑलराउंडर खिलाड़ी नवदीप तोमर ने उस वक्त की अनिल जैन की अध्यक्षता वाली सेलेक्शन कमेटी को धमकी देकर अपना सेलक्शन दिल्ली वनडे टीम में करवाया था.
इस घटना के सामने आने के बाद उस वक्त की डीडीसीए अध्यक्ष अरुण जेटली ने सेलेक्शन कमेटी को भी बीच सेशन में ही भंग कर दिया था.
नवदीप तोमर ने इसके बॉलीवुड का रुख किया और फिलहाल वह विलेन की भूमिकाओं में अपनी किस्मत आजमा रहा है.
डीडीसीए में दिल्ली की तमाम एज ग्रुप की टीमों कैसा खेल होता है इसकी बानगी साल 2009 में भी देखने को मिली थी जब वीरेंद्र सहवाग ने दिल्ली को छोड़कर हरियाणा की ओर से खेलने का फैसला कर लिया था.
किरण मोरे-अभिजात काले विवाद
दुनिया के सबसे रईस क्रिकेट बोर्ड के सेट-अप में सेलेक्शन पर उठने वाले ये विवाद महज दिल्ली तक ही सीमित नहीं है. याद कीजिए साल 2003 में महाराष्ट्र के बल्लेबाज अभिजीत काले के टीम इंडिया में सेलेक्ट होने के लिए सेलेक्टर्स को रिश्वत देने का मामला सामने आया था.
तब इंडिया ए के लिए खेल रहे अभिजीत काले ने दावा किया था उसने उस वक्त महाराष्ट्र क्रिकेट ऐसोसिएशन के अध्यक्ष बालासाहेब थोवरे के कहने पर तब की सेलेक्शन कमेटी के चेयरमेन किरण मोरे से फोन पर बात की थी. इसी सिलसिले में काले की मां ने भी बड़ौदा जाकर किरण मोरे से मुलाकात की थी.
हालांकि काले ने उस वक्त दावा किया था कि मोरे ने उससे रिश्वत मांगी थी लेकिन बाद बीसीसीआई के सामने उसने कबूल किया कि वह किऱण मोरे को रिश्वत देने की कोशिश कर रहा था. अभिजीत काले पर एक साल की पाबंदी भी लगाई गई थी.
अभिजीत काले का मामले उक्त भी उतनी ही सुर्खियों में रहा जितना आज अमित भंडारी पर हमले का मामला है.
डीसीसीए के अधिकारी पूरी तरह से सेलेक्शन के पाक-साफ होने का दावा कर रहे हैं. लेकिन अब भी अनुज डेढा के पक्ष की कहानी का सामने आना बाकी है. इस मामले जांच अब दिल्ली पुलिस के हाथ में है. देखना होगा कि क्या पुलिस इसे मारपीट के सामान्य मामले की तरह ही देखेगी या अनुज डेढा के बयान में कुछ और बात सामने आएंगी जो डीडीसीए की ‘डर्टी पिक्चर’ का खुलासा कर सकती हैं.
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