क्रिकेट को वैसे तो जेंटलमैन गेम कहा जाता है, लेकिन ये भी विवादों से अछूता नहीं है. इस कड़ी में सबसे ताजा मामला तो टीम इंडिया के मुख्य कोच अनिल कुंबले और कप्तान विराट कोहली के बीच अनबन का है. जिसकी वजह से कुंबले ने अपना पद छोडऩे का फैसला किया.
निश्चित तौर पर ये घटनाएं क्रिकेट पर एक बदनुमा दाग हैं. लेकिन चाहे मैदान पर हों या मैदान के बाहर भारतीय क्रिकेट में ऐसे तमाम किस्से हैं. इनमें कभी कोच या कप्तान और कभी दो खिलाडिय़ों के बीच मनमुटाव सामने आए हैं. ऐसे ही कुछ मामलों पर एक नजर...
सौरव गांगुली- ग्रेग चैपल
कोलकाता के महाराज के नाम से मशहूर सौरव गांगुली 2005-06 में भारतीय क्रिकेट के कोच और कप्तान के बीच हुए अब तक के सबसे खराब विवाद में फंस गए थे. ग्रेग चैपल सितंबर, 2005 में भारतीय टीम के कोच बने थे. भारतीय टीम के जिंबाब्वे दौरे के समय सौरवऔर चैपल के बीच मतभेद सुर्खियां बनने लगे थे. चैपल ने तब भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड को लिखा था कि गांगुली टीम इंडिया की अगुवाई करने के लिए शारीरिक और मानसिक रूप से अक्षम हैं.
चैपल ने यह भी कहा था कि गांगुली की ‘फूट डालो और राज करो’ की नीति टीम को नु्कसान पहुंचा रही है. यह ईमेल मीडिया में लीक हो गया, जिस पर गांगुली के प्रशंसकों की तीव्र प्रतिक्रिया की वजह से गुरु ग्रेग को अपना पद छोडऩा पड़ा था. इस वाक्ये में सबसे दिलचस्प बात ये है कि गांगुली ही वो शख्स थे, जो ऑस्ट्रेलियाई क्रिकेटर को बतौर कोच लाए थे.
कपिल- गावस्कर
जब ऑलराउंडर कपिल देव ने भारतीय टीम में पदार्पण किया तो उस समय लिटिल मास्टर स्थापित बल्लेबाज थे. दोनों की विधा अलग थी. फिर एक काफी सीनियर था, तो दूसरा जूनियर. लेकिन ईगो के टकराव की वजह से अपने जमाने के इन दो धुरंधरों के बीच रिश्ते कभी सामान्य नहीं रहे. उसी वजह से 1984 में इंगलैंड के खिलाफ कोलकाता टेस्ट में कपिल को ड्रॉप कर दिया गया. एक साल पहले ही भारत को विश्व कप दिलाने वाले कपिल उस समय अपने करियर की सर्वश्रेष्ठ फॉर्म में थे और कोई इस बारे में सोच भी नहीं सकता था. यह फैसला तत्कालीन कप्तान गावस्कर ने उस समय के मुख्य चयनकर्ता चंदू बोर्डे के साथ मिलकर लिया था.
कपिल पर आरोप था कि उन्होंने इससे पहले खेले गए दिल्ली टेस्ट में गैरजिम्मेदाराना ढंग से बल्लेबाजी की थी. हालांकि कोलकाता के क्रिकेटप्रेमियों को भी यह फैसला रास नहीं आया. मैच के दौरान उन्होंने नारे लगाए ‘नो कपिल, नो टेस्ट.’ यही नहीं दर्शकों ने मैच में सड़ी सब्जियां और फल फेंककर अपना गुस्सा निकाला. कपिल ने आरोप लगाया कि गावस्कर ने निजी खुंदक के चलते उन्हें इस मैच में नहीं खिलाया. जबकि गावस्कर ने सफाई दी कि वह टीम चयन की बैठक में देर से पहुंचे थे और कपिल को मैच में बाहर बिठाने में उनकी कोई भूमिका नहीं थी. उसके बाद तत्कालीन बीसीसीआई अध्यक्ष एनकेपी साल्वे ने दोनों खिलाडिय़ों से अपने मतभेद सुलझाने का अनुरोध किया था, ताकि इसका असर क्रिकेट पर न पड़े.
अजहर-सिद्धू
अपने खिलाड़ी जीवन में नवजोत सिंह सिद्धू बोलते बहुत कम थे, लेकिन उनका अंदाज दबंगों वाला था. उनका और मोहम्मद अजहरुद्दीन के बीच मनमुटाव जगजाहिर था. अजहर के साथ अनबन की वजह से सिद्धू 1996 में इंग्लैंड के खिलाफ सीरीज शुरू होने से पहले ही भारत वापस आ गए थे. बीसीसीआई के पूर्व सचिव जयवंत लेले ने अपनी किताब में भी इसका जिक्र किया है. लेले के अनुसार सिद्धू ने मोहिंदर अमरनाथ को बताया था कि अजहर उनको गाली देते थे.
करीब पंद्रह साल तक लोगों के दिमाग में यही रहा कि सिद्धू के दौरे से वापस आने की वजह अजहर का उनके साथ खराब व्यवहार रहा होगा. हालांकि लंबे अर्से बाद जाकर खुलासा हुआ कि दरअसल अजहर अपने हैदराबादी अंदाज में सिद्धू के अभिवादन का जवाब दिया करते थे और उसे सिख क्रिकेटर ने अपना अपमान मान लिया. लेकिन दोनों जब तक टीम में रहे यह गलतफहमी बनी रही और उनके संबंध बेहद खराब रहे.
हरभजन-श्रीसंत
जब भी एस श्रीसंत का नाम लिया जाता है तो आइपीएल के पहले संस्करण में मोहाली में मैच के बाद उनका रोता हुआ चेहरा आंखों के सामने आ जाता है. यह सही है कि किसी खिलाड़ी का आक्रामक व्यवहार एक हद तक शोभा देता है और सीमा लांघने के बाद वह अमर्यादित हो जाता है. ऐसा ही श्रीसंत के साथ भी हुआ था. श्रीसंत के उकसावे पर हरभजन सिंह ने उनको मैदान पर ही गाल पर थप्पड़ जड़ दिया था. इसके बाद श्रीसंत रोने लगे थे.
गंभीर-कोहली
आइपीएल में अक्सर मैच इतने हाई वोल्टेज होते हैं कि खिलाडिय़ों के बीच मैदान पर गर्मागर्मी होना कोई बड़ी बात नहीं है. लेकिन पिछले साल कोलकाता नाइटराइडर्स और बेंगलुरु रॉयल चैलेंजर्स के बीच मैच के दौरान जो कुछ देखने को मिला उसे उचित नहीं ठहराया जा सकता. इस मैच में कोलकाता के कप्तान गौतम गंभीर अपना आपा खो बैठे और उन्होंने विरोधी टीम के कप्तान विराट कोहली के गेंद दे मारी. बाद में गंभीर ने इस बारे में कहा कि वह और कोहली आक्रामक प्रवृत्ति के हैं, जिनमें क्रिकेट को लेकर जुनून है.
हम मैदान पर अपना बेस्ट देना चाहते हैं. ऐसे में अगर जरूरत हुई तो वह मैदान पर फिर कोहली के खिलाफ आक्रामक नजर आ सकते हैं और इसमें व्यक्तिगत विवाद जैसा कुछ नहीं था. 2013 के एक आइपीएल मैच में भी दोनों आपस में भिड़ चुके हैं. तब दोनों के बीच इतनी जोरदार बहस हुई थी कि गावस्कर तक ने उसे शर्मनाक करार दिया था.
गावस्कर- बेदी
इन दो बड़े खिलाड़ियों के बीच विवाद ने बहुत सुर्खियां बटोरी थी. दरअसल उस समय बिशन सिंह बेदी बड़े खिलाड़ी थे और सुनील गावस्कर नए नए कप्तान बने थे. इस दौरान दोनों के बीच कड़वाहट साफ देखने को मिली. दोनों ने इसके बाद एक दूसरे के खिलाफ जमकर भड़ास निकाली थी. दोनों ही स्टार खिलाड़ियों के बीच विवाद भारतीय टीम पर भारी पड़ा था.
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