इस माह इंडोनेशिया के जकार्ता में होने वाले एशियन गेम्स में तिरंगे को सबसे आगे रखने की जिम्मेदारी यंग प्लेयर्स पर होगी. कॉमनवेल्थ गेम्स में भी कई युवा खिलाड़ियों ने अपनी अलग ही छाप छोड़ी थी और उनके देश को उनसे उम्मीद है कि जकार्ता में वह अपने छोटे, लेकिन मजबूत कंधों पर इसका भार उठाने में सफल रहेंगे. हालांकि कॉमनवेल्थ की तुलना में एशियाड की चुनौती हमेश ही बड़ी होती है और खासकर शूटिंग में तो यह और भी ज्यादा बढ़ जाती है, लेकिन सभी की नजरें 15 साल के अनीश भानवाल पर टिकी हुई हैं. भारत शूटिंग में 25 सदस्यों का दल भेज रहा है, जिसमें 16 पुरुष और 12 महिला खिलाड़ी हैं.
अनीश भानवाल ने अपने पहले ही कॉमनवेल्थ गेम्स में 25 मीटर रैपिड फायर पिस्टल में गोल्ड मेडल जीतकर इतिहास रच दिया था. इसी के साथ वे कॉमनवेल्थ गेम्स में गोल्ड मेडल जीतने वाले सबसे कम उम्र के पहले भारतीय खिलाड़ी बन गए थे. अनीश भानवाल के लिए ये उपलब्धि और भी खास इसलिए थी क्योंकि उन्होंने इसके लिए अपनी दसवीं की परीक्षा तक छोड़ दी थी. कॉमनवेल्थ गेम्स में अनीश ने फाइनल में कुल 30 अंक हासिल कर नया रिकॉर्ड बना लिया था.
देश की उम्मीदें और बढ़ चुकी हैं
ऐसे में अब इस युवा खिलाड़ी के शानदार प्रदर्शन को देखते हुए देश को उनसे उम्मीदें कई ज्यादा बढ़ चुकी हैं. एशियन गेम्स में हिस्सा लेने वाले 572 दलों के लिए शुक्रवार को आयोजित हुए विदाई समारोह के दौरान अनीश से जब इसके बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि हर बार की तरह एशियन गेम्स में भी वह अपना बेहतर प्रदर्शन देने की पूरी कोशिश करेंगे और इसके लिए वो तैयारी भी कर रहे हैं.
अनीश ने कहा कि 'कॉमनवेल्थ गेम्स में मेरा पूरा ध्यान अपने प्रदर्शन पर था, न कि मेडल पर, क्योंकि वो मेरा पहला कॉमनवेल्थ गेम्स था. अब अपने पहले एशियन गेम्स में भी मेरा पूरा ध्यान प्रदर्शन पर ही होगा.'
हरियाणा के करनाल में जन्में अनीश कॉमनवेल्थ गेम्स से पहले आईएसएसएफ जूनियर विश्व कप में स्वर्ण पदक अपने नाम कर चुके हैं. इसके अलावा 2013 में वे अंडर 12 माडर्न पैंटाथलन विश्व चैंपइयनशिप और 2015 में एशियाई पैंटाथलन विश्व चैंपियनशिप में भी हिस्सा ले चुके हैं.
एशियन गेम्स के लिए खास तैयारियां
अनीश ने पूछने पर बताया कि मुझे इस बात का पहले से ही अहसास है कि एशियन गेम्स कॉमनवेल्थ के मुकाबले ज्यादा चुनौती भरा होगा. इसके लिए मैने तैयारी भी उसी तरह की है. मुझे अपनी तैयारी पर पूरा भरोसा है और उम्मीद है कि मैं मेडल जरूर जीतूंगा. अनीश ने बताया कि वह एशियन गेम्स के लिए हर दिन 5 से 6 घंटे ट्रेनिंग कर रहे हैं.
इस बार एशियन गेम्स में निशानेबाजी के कई स्टार प्लेयर्स मौजूद नहीं होंगे. दूसरी तरफ हमारे सामने ऐसे कई उदाहरण हैं जिनमें निशानेबाज आईएसएसएफ विश्व कपों में तो शानदार प्रदर्शन करते हैं, लेकिन ओलिंपिक और एशियाई खेलों जैसी मेजर प्रतियोगिताओं में उन्हें अक्सर मुंह की खानी पड़ती है. ऐसे में दुनिया के सामने अब भारत की छवि बदलने की जिम्मेदारी यंग ब्रिगेड पर कई गुना ज्यादा और बढ़ जाती है. इधर अपने पहले ही हाफ में शानदार प्रदर्शन करते हुए अनीश भानवाल ने देश की उम्मीदें कई ज्यादा बढ़ा दी हैं लेकिन अब देखना ये होगा कि क्या कॉमनवेल्थ गेम्स की तरह एशियन गेम्स में भी वो देश की उम्मीदों पर खरा उतरने में कामयाब होते हैं या नहीं.
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