ज़िनेदिन ज़िदान नाम तो सुना ही होगा. अरे वही फुटबॉलर जिसने बीच मैदान में दूसरी टीम के खिलाड़ी की छाती पर सिर दे मारा था.
जिनके लिए फुटबॉल बस एक खेल है, उनके लिए ज़िदान का नाम शायद इस 'हेडबट' की याद दिलाता होगा. लेकिन जिनके लिए फुटबॉल एक खेल से कहीं ज्यादा है, उनके लिए ज़िदान किसी भगवान से कम नहीं.
आप किसी सच्चे फुटबॉल फैन के सामने ज़िनेदिन ज़िदान का नाम लें तो उसकी आंखें जरूर देखिएगा. उनमें एक अजीब सी चमक आ जाएगी. वैसी ही चमक जैसी किसी संगीतप्रेमी की आंखों में एआर रहमान या आरडी बर्मन का नाम सुनकर आ जाती है.
ज़िदान के साथ 1998 के वर्ल्ड कप फाइनल का जिक्र
ज़िदान का जिक्र आते ही उनके जहन में 1998 का वह वर्ल्ड कप फाइनल आ जाता है जब उन्होंने 2 गोल कर अपनी टीम को खिताब दिलाया था. उनके सामने 2000 के यूरो कप क्वार्टरफाइनल की वह शानदार फ्री-किक आ जाती है.
2002 के चैंपियंस लीग का गोल याद आता है जिसे कई लोग दुनिया का सबसे शानदार गोल मानते हैं. फ्रांस, युवेंटस और रियाल मैड्रिड के लिए मिडफील्ड में उनके कारनामे उनकी नजरों के सामने घूम जाते हैं. या सीधे-सीधे कहूं तो 'ज़िज़ोऊ' का जादू याद आता है.
ज़िदान जैसे खिलाड़ी सदियों में एक इक्का-दुक्का होते हैं. मिडफील्ड में खेलते हुए ज़िदान खेल को पढ़ने में माहिर थे और विरोधियों के दिमाग पर हावी होना उनकी आदत थी.
ज़िदान की फ्री-किक बड़े से बड़े गोलकीपरों को छका जाती थी. मैदान में विरोधियों के बीच से निकलने में अपने दौर के शायद सबसे माहिर खिलाड़ी थे. फ्रांज बैकनबाउर ने ज़िदान के बारे में कहा था, 'ज़िदान खास हैं. गेंद उनके साथ बहती चली जाती है. वह किसी फुटबॉल प्लेयर से ज्यादा डांसर लगते हैं.'
पेले ने ज़िदान के बारे में कहा था, 'वह एक मास्टर हैं.'
अक्सर किसी खिलाड़ी की महानता या अहमियत पर बात करते हुए हम उसके आंकड़ों और उसकी ट्रॉफियों के बारे में ज्यादा बात करते हैं. लेकिन ज़िदान के जादू को समझने के लिए इन सीमाओं से बाहर निकलना जरूरी है.
हालांकि ऐसा नहीं कि आंकड़ों के मामले में ज़िदान किसी से भी कमजोर हैं. ज़िदान को तीन बार (1998, 2002, 2003) दुनिया के सबसे अच्छे फुटबॉलर का सम्मान मिल चुका है. फ्रांस के लिए खेलते हुए ज़िदान ने 1998 में वर्ल्ड कप और 2000 में यूरो कप जीता. रियाल मैड्रिड के लिए खेलते हुए चैंपियंस लीग और स्पेन की घरेलू लीग के खिताब जीते. युवेंटस के साथ दो बार इटली का घरेलू लीग खिताब जीता. 1998 में यूरोप के बेस्ट फुटबॉलर चुने गए. फेहरिस्त बहुत लंबी है.
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मैनेजर बनने के बाद भी ज़िदान का जलवा बरकरार
ऐसा कम ही होता है कि कोई खिलाड़ी कोच या मैनेजर के रूप में भी उन बुलंदियों तक पहुंचे जो उसने खिलाड़ी के तौर पर हासिल की थीं. लेकिन ज़िदान यहां भी कमाल करते जा रहे हैं. रियाल मैड्रिड के मैनेजर के तौर पर उनका रिकॉर्ड अद्भुत है.
रोचक बात है कि उनके मैनेजर बनने के बाद टीम ने जितने खिताब जीते हैं, उतने तो वह मैच भी नहीं हारी है. जाहिर है मैनेजर के तौर पर भी ज़िदान एक नई इबारत लिख रहे हैं. रियाल मैड्रिड के मालिक फ्लोंरेंटिनो पेरेज ने तो उन्हें दुनिया का सबसे महान मैनेजर घोषित भी कर दिया है.
लेकिन ज़िदान की महानता केवल उनकी ट्रॉफियों या खिताबों भर में नहीं है. उनकी महानता केवल इस बात में ही नहीं है कि वह अपने समय के सबसे शानदार मिडफील्डर थे. उनकी महानता सिर्फ इस बात में भी नहीं है कि वह शायद अभी के सबसे शानदार मैनेजर हैं.
उनकी महानता इस बात में भी है कि उन्होंने अपने खेल को एक कला बना दिया. दस साल का एक लड़का जिसे उनके रंग और नस्ल के लिए गालियां और तंज सुनने पड़ते थे, उसने अपने गुस्से को अपने खेल में उतार लिया और नफरत के इस माहौल से ऐसे निकल गया जैसे बाद में वह छह-छह खिलाड़ियों के बीच से बॉल निकाल ले जाया करता था.
ज़िदान सबके हीरो हैं
ज़िदान की सबसे बड़ी खासियत यही है कि वह सबके हीरो हैं- दुनिया के सबसे बड़े क्लब के वीआईपी बॉक्स में बैठे करोड़पितयों से लेकर अफ्रीकी मूल के फ्रांसीसी कामगार भी उन्हें अपना मानता है.
23 जून को जिदान 45 साल के हो जाएंगे. एक खिलाड़ी के तौर पर उन्होंने बहुत कुछ हासिल किया है और संभव है कि वह एक मैनेजर के तौर पर भी बहुत कुछ हासिल करेंगे. इतना तो तय है कि ज़िदान के होने ने इस 'खूबसूरत खेल' को और खूबसूरत बनाया है.
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