पहला दिन
'मैं एक चाय की दुकान पर खड़ा सुबह चाय की चुस्की ले रहा था. अभी चाय का ग्लास हाथ में लिया ही था कि अचानक से मैंने एक लड़की को देखा. पहली बार जब मैंने उसे देखा तो दिल में कुछ होने लगा. वो बस स्टॉप पर खड़ी कॉलेज जाने के लिए अपनी बस का इंतजार कर रही थी. उसे देखते ही मेरी नजरें उस पर टिकी की टिकी रह गईं. मेरे आस-पास क्या हो रहा था इसकी मुझे कोई फिक्र नहीं थी, उस वक्त मेरे मन में था कि उसे देखता रहूं... देखता रहूं.... और देखता ही रहूं. अचानक से फिर उसकी कॉलेज की बस आई और वो बस में खिड़की के पास बैठ गई. मेरी निगाहें अभी-भी उसे ही निहार रही थीं. उसका चेहरा इतना प्यारा था कि मेरी पलकों ने भी झपकने से इनकार कर दिया. हाथ में चाय की ग्लास गर्म से ठंडी हो चुकी थी लेकिन बरसात के उस मौसम में उसे देखने के बाद मेरी धड़कने तेज और सांसे गर्म हो चुकी थी. जितनी दूर बस जा रही थी, मेरी नजरें भी उसी बस की तरफ या कहूं तो उसी लड़की की तरफ थी. फिर न जाने कब वो अचानक से मेरी आंखों के आगे से ओझल हो गई. मेरी नजरें उसे खोजने लगी लेकिन वो जा चुकी थी. पहली बार ऐसा हुआ था कि दिल किसी को देखने के बाद उसे बार-बार देखने के लिए बेचैन हुआ जा रहा था. न जाने वो आंखों को अच्छी लगी या दिल को अच्छी लगी लेकिन एक बात तो पक्की थी कि वो लड़की मुझे अच्छी लगी. वो अपने कॉलेज के लिए बस में बैठ के जा चुकी थी. ऐसा मेरे साथ पहली बार हुआ था. सुबह से शाम हो गई लेकिन मेरे दिमाग से उस लड़की की तस्वीर अभी तक नहीं मिटी थी. उसका चेहरा मेरे रोम-रोम में बस चुका था. आंखें बंद करूं तो उसका चेहरा दिखाई दे और आंखें खोलूं तो वो मेरे सामने दिखाई दे. आखिर समझ नहीं आ रहा था कि ये हो क्या रहा है. लेकिन मन में उसे दोबारा देखने की एक कसक जाग उठी थी.'
दूसरा दिन
'अगले दिन सुबह मैं फिर उसी चाय की दुकान पर पहुंच गया. इस उम्मीद में कि वो चेहरा जो मेरे दिल में उतर चुका है, उसका एक बार फिर से दीदार कर लूं. शायद भगवान ने भी मेरा साथ दिया. वो लड़की... वो खूबसूरत चेहरा एक बार फिर उसी बस स्टॉप पर बस का इंतजार कर रहा था. आज वो रेड ड्रेस में किसी दुल्हन से कम नहीं लग रही थी. वो अपनी जुल्फें ठीक कर रही थी और मेरा मन उन्हीं जुल्फों में कहीं छुप जाने को कर रहा था. इस दौरान अचानक से वो हुआ जिसका मैं तलबगार तो था लेकिन मुझे उसकी उम्मीद नहीं थी. उसने मेरी तरफ देखा. मेरी निगाहें उसी की तरफ थी और हमारी आंखें चार हो गई. कुछ पलों के लिए हमारी आंखें एक दूसरे से मिली लेकिन फिर उसने अपनी आंखें फेर ली होगी. शायद वो शरमा गई होगी. लेकिन मेरी निगाहें अभी-भी उस पर टिकी हुई थी. इसके बाद तो उसने मेरी तरफ कई बार देखा और मैं एकटक उसकी और देखता जा रहा था और वो अपना दुप्पटा संभाल रही थी. हल्की-हल्की बारिश की बूंदों के बीच उसका दुपट्टा संभालना मुझे घायल कर चुका था, शायद मैं उससे प्यार कर चुका था. फिर अचानक से उसकी बस आ गई और फिर उसी खिड़की की तरफ बैठी. मैं फिर भी उसे देखता रहा और आज तो फिर कमाल हो गया, उसने मुझे बस में बैठने के बाद खिड़की से भी दो बार पलट के देखा. लगता है कि उसके मन में भी मेरे लिए कुछ-कुछ होने लगा. आज घर पहुंचने के बाद भी मेरे दिमाग में उसका नजरें मिलाना और नजरे छुपाना ही घुमता रहा. मुझे उससे मोहब्बत हो चुकी थी और शायद वो भी मुझे प्यार करने लगी थी. जब दोनों को प्यार हो ही गया है तो क्यों न प्यार का इजहार कर दिया जाए.'
तीसरा दिन
'आज चाय की दुकान के आगे मेरे हाथ में चाय की ग्लास नहीं बल्कि गुलाब का फूल था. बस अब और सब्र नहीं होता, आज उससे प्यार का इजहार करने का इरादा था. आज दिल की धड़कने कई गुना ज्यादा तेज लग रही थी. अचानक से उसे बस स्टॉप पर देखने के बाद मेरा दिल और जोर-जोर से धड़कने लगा. उसने भी मुझे देख लिया था. कई बार हमने एक दूसरे को देखा. मैं समझ चुका था कि ये भी मुझे दिल दे चुकी है. थोड़ देर बाद मैं धीरे-धीरे उसकी ओर बढ़ा. वो बार-बार मुझे देख रही थी. बस स्टॉप पर काफी लोग थे. मैं उसके पास पहुंचा, वो मेरे सामने थी. हम दोनों की नजरे एक दूसरे पर थी. मैंने गुलाब का फूल आगे किया और कहा 'I Love You. मैंने दो रोज पहले तुम्हें देखा और तुम्हें दिल दे बैठा. तुम्हारा चेहरा मुझे इतना पसंद आया कि दो दिनों से मैं जो कुछ भी करता हूं उसमें तुम्हारा ही चेहरा देखता हूं. मैं तुमसे प्यार करने लगा हूं. प्लीज मेरे प्यार को कबूल करो.' थोड़ी देर तक वो ऐसे ही मुझे देखती रही और जब उसका जवाब मैंने सुना तो मेरे पैरों तले जमीन ही खिसक गई. उसने जवाब दिया 'No. मैं आपको नहीं जानती और ना ही आपसे कोई प्यार करती हूं. प्लीज यहां से जाइए.' लड़की का ये जवाब सुनकर मेरा दिल टूट चुका था. बस आई और वो उसमें बैठकर जा चुकी थी लेकिन फिर भी आज मैं उसकी बस की तरफ देखता रहा. मैं सड़क के बीचों-बीच खड़ा था, गुलाब का फूल मैं सड़क पर फेंक चुका था. आज मन उदास था. आखिर दो दिनों से हम एक-दूसरे को देख तो रहे थे. ना जाने क्यों उसने मुझे मना कर दिया. शायद उसे अपने चेहरे पर कुछ ज्यादा ही गुमान है. अरे...! लड़की जात है. भगवान ने खूबसूरत बना दिया तो अकड़ के रहती है. उसे अपने चेहरे पर कुछ ज्यादा ही घमंड है. इस घमंड को उतारना ही पड़ेगा. उसने मेरे प्यार को ठुकराया है, मैं उसका घमंड भी अब उतार कर ही रहूंगा.'
चौथा दिन
'मैं आज चाय की दुकान के आगे नहीं बल्कि पीछे था. आज हाथ में चाय नहीं एक बोतल थी. आज इस लड़की का घमंड उतारना था. ऐसा सबक सिखाना था कि वो अपनी जिंदगी भर याद रखेगी. अचानक से उसकी बस आई. वो अपनी बस में खिड़की की तरफ बैठी. मैं उसकी बस की तरफ दौड़ा. उसने मुझे देख लिया. मैंने जल्दी से बोतल खोली और उसमें जो था वो उसके चेहरे पर फेंक दिया. उस बोतल में तेजाब था और सारा तेजाब उसके चेहरे पर फेंक दिया. अब बस से सिर्फ चिल्लाने की आवाज आ रही थी. अब देखता हूं वो किसे अपना खूबसूरत चेहरा दिखाती है. एक पल में उसका घमंड चकनाचूर कर दिया...'
एक 'ना' के कारण इस लड़के ने जैसा सलूक किया क्या वो जायज है? क्या चार दिनों में किसी को प्यार हो सकता है? क्या अगर कोई आपके एक तरफा प्यार को ठुकरा दे तो उसके साथ ऐसा बर्ताव करना चाहिए जो इस लड़के ने किया? प्यार किसी को भी, किसे से भी हो सकता है लेकिन इसका मतलब ये नहीं होता कि सामने वाला भी आपसे प्यार करता हो. ठीक है, आपने अपने प्यार का इजहार किसी चाहने वाले को कर दिया क्योंकि आपको अपनी भावनाएं जाहिर करने का पूरा हक है. लेकिन अगर जवाब में आपको इनकार मिले तो इसका मतलब ये नहीं कि सामने वाले की भावनाओं के साथ किसी तरह का कोई खिलवाड़ किया जाए. आपने एक सिरफिरे आशिक के चार दिनों की कहानी तो जानी लेकिन उस लड़की के ये चार दिन कैसे रहे ये जानने की भी पूरा हक है...
पहला दिन
'आज मेरे कॉलेज का पहला दिन है. बस तीन साल की अपनी ग्रेजुएशन पूरी करके एक अच्छी-सी नौकरी करना चाहती हूं. घर वाले शादी के लिए रिश्ता खोजने लग जाए, उससे पहले ही अपने पैर पर खड़ा होना चाहती हूं. लेकिन मैं शादी जल्दी नहीं करूंगी. पहले थोड़ी कमाई करके अपने सपने पूरे करूंगी. फिर घरवालों की मर्जी से जो सही लगेगा उसे अपना हमसफर चुन लूंगी. मम्मी-पापा की इकलौती हूं तो उनकी भी उम्मीदें पूरी करनी है. खैर, आज तो कॉलेज का पहली ही दिन है. अभी तो कॉलेज की पढ़ाई में तीन साल बिताने हैं. अगर मन किया तो पोस्ट ग्रेजुएशन भी कर लूंगी. मुझे हमेशा से बस में खिड़की की तरफ बैठना पसंद है तो मैं बस में उसी तरफ बैठ के कॉलेज गई. पहला दिन कॉलेज का अच्छा रहा. नए दोस्त भी मिले.'
दूसरा दिन
'मैं कॉलेज की बस का वेट कर रही थी. तभी मेरी नजर एक चाय की दुकान पर खड़े एक लड़के पर पड़ी. वो लड़का मुझे देखे जा रहा था. एक-दो बार तो मैंने नजरअंदाज कर दिया लेकिन वो लड़का मुझे देख नहीं बल्कि एकटक घूरे जा रहा था. मैं थोड़ा असहज महसूस करने लगी. उस लड़के की नजरें मुझे काफी गंदी तरीके से देख रही थी. मैं अपना दुप्पटा संभाल रही थी और वो बेशर्म लड़का फिर भी अपनी नजरें नहीं हटा रहा था. ना जाने उसे ऐसे देख के क्या मिल रहा है? मेरे मन में बेचैनी होने लगी थी क्योंकि वो लड़का इस कदर मुझे घूरे जा रहा था कि मुझे अंदर से अच्छा नहीं लग रहा था. जैसे-तैसे मैं इस जगह से निकलना चाहती थी, अचानक से मेरी बस आ गई और मेरी सांस में सांस आई. मैं बस में अपनी खिड़की वाली जगह बैठ गई. बस चलने के बाद एक बार जब मैंने खिड़की से झांक कर देखा तो उस लड़के की नजरें अभी-भी मुझे खाने को दौड़ रही थी.'
तीसरा दिन
'आज फिर वही लड़का मुझे घूर रहा था लेकिन आज तो उस लड़के ने हद ही कर दी. मेरे साथ ऐसा पहली बार हुआ था. मैंने देखा की वो लड़का मेरे पास आ रहा था. उसके हाथ में कुछ था. एकाएक जो वहां हुआ, एक बार तो मैं समझ ही नहीं पाई की आखिर ये क्या हुआ? उस लड़के ने मेरे पास आकर गुलाब का फूल सामने करते हुए मुझे आई लव यू बोला. मैं स्तब्ध हो चुकी थी. भरी भीड़ में मेरा दिमाग काम नहीं कर रहा था. मैं इन सब झमेलों में नहीं पड़ना चाहती. मुझे अपने सपनों को हकीकत में बदलना था. मैं जिस लड़के को जानती नहीं, पहचानती नहीं तो उसे कैसे किसी रिश्ते की शुरुआत कर लूं? मैंने उस लड़के को मना कर दिया.
हो सकता है कि मेरी वजह से उसका दिल दुखा हो लेकिन मेरी भी कुछ पसंद और ना-पसंद है. मेरी भी कुछ चाहत है. जिस लड़के का मैं नाम तक नहीं जानती, उससे दूरी ही बेहतर है और वैसे भी मैं अपनी पढ़ाई पर ध्यान देना चाहती हूं. ऐसे मामलों से दूरी बनाना चाहती हूं. मेरी बस आई और मैं बस में बैठ के कॉलेज चली गई. लेकिन पूरा दिन मेरे दिमाग में वही वाकया चलता रहा. शाम तक मुझे अहसास हुआ कि मुझे किसी का भी दिल नहीं दुखाना चाहिए था. खैर, मैं नहीं चाहती कि कोई मेरी वजह से परेशान हो. मैं कल उस लड़के से मिलकर उसे समझाउंगी. हो सकता है कि कम से कम मेरे समझाने से वो समझ जाए कि मैं इन सब चीजों से काफी दूरी बनाकर रखना चाहती हूं. हम अच्छे दोस्त हो सकते हैं. हां, अगर वो लड़का कल दिखा तो उसे आराम से समझाना ही सही रहेगा.'
चौथा दिन
'कॉलेज में मेरी कई सहेलियां बन चुकी है. मैं आज बस स्टॉप से अपनी कुछ सहेलियों से बात कर रही थी. साथ ही मैं उस लड़के को भी नजरों से खोज रही थी. लेकिन आज वो लड़का कहीं दिखाई नहीं दिया. मैं आज उससे कल के वाकए के लिए माफी मांगना चाहती थी. लेकिन शायद मुझे आज वो मौका नहीं मिला. मेरी बस आ गई. मैं अपनी फ्रेंड से बात करती हुई बस में बैठ गई. मैं हमेशा की तरह ही बस की खिड़की की तरफ ही बैठी थी कि अचानक से मुझे वो लड़का दिखा. वो दौड़ता हुआ मेरी बस की तरफ आया और अचानक से उसने मेरे चेहरे पर कुछ फेंका. मुझे नहीं समझ आया कि मेरे साथ क्या हुआ लेकिन मैं जोर से चिल्लाई. मेरा चेहरा जल रहा था. मेरी चीख पुकार ऐसी थी कि मैं मरने वाली हूं. इस असहनीय दर्द के बीच मुझे पता चल चुका था कि उस लड़के ने मेरे चेहरे पर तेजाब फेंका है. मैं बाहर से नहीं अंदर से मर रही थी क्योंकि सिर्फ एक 'ना' की वजह से एक लड़के ने मेरे सारे सपने एक पल में चकनाचूर कर दिए थे....'
उस लड़की ने कभी नहीं सोचा होगा कि एक 'ना' के कारण उसकी पूरी जिंदगी बदल जाएगी. प्यार में इनकार मिलने के बाद महिलाओं पर अत्याचार, शोषण, कत्ले आम के साथ ही एसिड अटैक जैसे वाकए भी देखने को मिले हैं. हालांकि ना का मतलब ये नहीं कि उग्र रूप अख्तियार करके सामने वाले की जिंदगी ही बर्बाद कर दी जाए. एसिड अटैक के कारण कई लड़कियों और महिलाओं की जान जा चुकी है, जिंदगी बर्बाद हो चुकी है. यहां तक की कई सारी महिलाओं के हालात बदतर हो चुके हैं. एकतरफा प्यार हमेशा घातक साबित होता है. इससे बचने का एक तरीका ये है कि हमें अपनी भावनाओं के आगे दूसरों की भावनाओं को भी तवज्जो देनी चाहिए. चार दिन में प्यार होना मुश्किल है लेकिन चार दिन की इस जिंदगी में किसी की जिंदगी बर्बाद करने के लिए चार पल ही काफी है. प्यार में एक बात हमेशा ध्यान रखनी चाहिए कि मोहब्बत में किसी को भी ठेस नहीं पहुंचानी चाहिए क्योंकि जिंदगी जितनी आपकी कीमती है उतनी ही किसी दूसरे की भी है.
हंदवाड़ा में भी आतंकियों के साथ एक एनकाउंटर चल रहा है. बताया जा रहा है कि यहां के यारू इलाके में जवानों ने दो आतंकियों को घेर रखा है
कांग्रेस में शामिल हो कर अपने राजनीतिक सफर की शुरूआत करने जा रहीं फिल्म अभिनेत्री उर्मिला मातोंडकर का कहना है कि वह ग्लैमर के कारण नहीं बल्कि विचारधारा के कारण कांग्रेस में आई हैं
पीएम के संबोधन पर राहुल गांधी ने उनपर कुछ इसतरह तंज कसा.
मलाइका अरोड़ा दूसरी बार शादी करने जा रही हैं
संयुक्त निदेशक स्तर के एक अधिकारी को जरूरी दस्तावेजों के साथ बुधवार लंदन रवाना होने का काम सौंपा गया है.