आज के दौर में हाथ से लिखने का चलन काफी कम होता जा रहा है. लोग टाइपराइटर या लैपटॉप या फिर टैब या मोबाइल का इस्तेमाल लिखने के लिए कर रहे हैं. सोशल मीडिया के जमाने में तो लोग सीधे-सीधे फेसबुक, ट्विटर या व्हाट्सऐप पर लिख रहे हैं. यह सही है कि इससे बहुत कम समय में लोगों तक सोशल मीडिया के जरिए आपके विचार पहुंच जाते हैं. फिर भी आज भी कई लोग ऐसे हैं जिन्हें हाथ से लिखना ज्यादा पसंद है. ऐसे लोगों का मानना है कि हाथ से लिखते वक्त आप अपने विचारों और भावनाओं को ज्यादा मजबूती से रख पाते हैं. मशहूर लेखक रस्किन बॉन्ड भी ऐसे लोगों में शामिल हैं, जिन्हें हाथ से लिखना पसंद है.
मशहूर लेखक रस्किन बॉन्ड का मानना है कि हाथ से लिखना मानसिक संतुष्टि देता है और इसमें एक तरह के जुड़ाव का अनुभव होता है जो कि टाइपराइटर या किसी लैपटॉप के इस्तेमाल से नहीं मिलता.
देश के सबसे लोकप्रिय लेखकों में से एक, बॉन्ड शनिवार को 84 साल के हो गए और अब भी उन्होंने अपनी लेखनी जारी रखी है.
फाउंटेन पेन नहीं बॉलप्वाइंट पेन से लिखना पसंद है बॉन्ड को
मसूरी के लैंडोर में रहने वाले लेखक ने अपनी नई किताब ‘स्टम्बलिंग थ्रू लाइफ’ में इस बात का भी खुलासा किया है कि उन्हें फाउंटेन पेन की बजाए बॉलप्वाइंट पेन से लिखना क्यों भाता है.
बॉन्ड ने कहा कि पिछले कई सालों से उन्होंने ज्यादातर लेखन हाथ से ही किया है और कभी कभार ही टाइपराइटर का इस्तेमाल किया. उन्होंने बताया कि बचपन में उन्होंने टाइपहैंड और टाइपिंग भी सीखा था लेकिन बाद में लेखन के इन प्रारूपों का इस्तेमाल भी बंद हो गया.
लेखक ने कहा, ‘मेरे प्रपौत्र का लैपटॉप भी ऐसा लगता है कि जल्द ही उसका इस्तेमाल करना भी बंद हो जाएगा.'
उन्होंने कहा, ‘कागज पर कलम से लिखने में एक बात है जो कि शारीरिक और साथ ही मानसिक संतुष्टि देती है. इसे लेकर एक भावमय जुड़ाव का अनुभव होता है जो लेखनी के किसी दूसरे प्रारूप में नहीं मिलता.’
बांड ने कहा, ‘इससे कलम की ताकत का पता चलता है.’
रूपा पब्लिकेशंस द्वारा प्रकाशित ‘स्टम्बलिंग थ्रू लाइफ’ बॉन्ड के निबंधों और रचनाओं का संग्रह है जो लेखक के रूप में बॉन्ड के उल्लेखनीय सफर की जानकारी देते हैं.
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