प्रॉमिस डे को अगर 7 से 14 फरवरी वाले वैलेंटाइन वीक से अलग कर दिया जाए तो इसका अर्थ बहुत बड़ा हो सकता है. दुनिया वादों और दावों पर टिकी है. इन वादों के पूरा करने की उम्मीद हर कोई करता है. बचपन में दूध पिलाने के लिए चीज दिलाने का वादा. क्लास में टॉप करने पर मनपसंद चीज दिलाने का वादा. खराब दिनों को बदलकर अच्छे दिन लाने का वादा. ऐसे कई सारे वादे हैं. कहते हैं कि अ जेंटलमैन ऑलवेज़ कीप्स हिस प्रॉमिस. मतलब अगर आप अच्छे (स्त्री-पुरुष कोई भी मान लें) हैं तो वादा निभाएंगे. इसी का रिवर्स ग़ालिब के बयान में मिलता है कि तेरे वादे पे जिए हम तो ये जान झूठ जाना.
खैर वादा करने की नीयत के साथ-साथ उसे सही तरीके से करना भी जरूरी है. क्योंकि गलती हुई तो वादा कई बार गले की हड्डी भी बन सकता है. महाभारत देखिए पूरी कहानी लापरवाही से किए गए वादों और उन्हें निभाने की जिद के पीछे के सत्यानाश की दास्तां सुनाती है.
जैसे शांतनु ने गंगा से प्रॉमिस कर दिया. शांतनु के नाम पर देवव्रत ने भीष्म प्रतिज्ञा जैसे वादे कर दिए. गांधारी ने जीवन भर आंखे ढक कर रखने का वादा किया. कर्ण ने अलग वादे किए, शकुनि ने अलग. इन वादों को छोड़िए, हर उम्र के वादे अलग होते हैं और उन्हें निभाने का तरीका अलग. बात करते हैं अलग-अलग तरह के वादों की.
उंगली पकड़कर किए वादे
बचपन के ये वादे सबसे क्यूट होते हैं. कई बार ये सबसे छोटी उंगली को जोड़कर किया गया पिंकी प्रॉमिस होता है. कई बार विद्या पर हाथ रखकर किया गया विद्या कसम. ऐसे वादों के पक्का होने के सिंबल बहुत पवित्र होते हैं. मगर उम्र बढ़ते-बढ़ते हम समझ जाते हैं कि... दुनिया हाथ रखकर कसम खाने से नहीं चलती.
नेताओं के वादे
हर साल कई वादे होते हैं. लिखित में होते हैं. घोषणापत्र छपवाकर किए जाते हैं. बस इनके पूरे होने की कोई तारीख नहीं होती. और जनता, वो ती हर वादे पर उम्र गुजारती रहती है.
बॉलीवुड का वादा
ऐसे वादों में ज़बान दी जाती है. हीरो को कोई आदमी जबान देता है और कहता है जान देकर निभाएगा. इस तरह के वादे का मतलब होता है कि हीरो का ये दोस्त फिल्म के क्लाइमैक्स में एक गोली पेट पर खाकर, 10 मिनट लंबा डायलॉग बोलकर मरेगा.
शायरों का वादा
इसमें वादा करने की कम टूटने की ज्यादा बाते होती हैं. शायरी आती ही तब है जब दिल टूटता है. और उसके बाद तमाम शायर वादा करने और टूटने पर कभी बेहतरीन तो कभी घिसे-पिटे शेर कहते हैं.
बादे का वादा
बादे का मतलब होता है शराब. बादे के बाद अक्सर लोग कई वादे करते हैं. पहला तो यही होता है कि कल से शराब बंद. इसके अलावा भी बहुत से वादे होते हैं. वैसे शराब को हटा दें तो ऐसे वादे हम सब खूब करते हैं. कभी खुद से, कभी दूसरों से. जैसे, कल से जिम शुरू, अब से पैसे बचाऊंगा, और भी कई तरह के वादे.
कुल मिलाकर तरह-तरह के वादे हैं. हम चाहें न चाहें मगर अक्सर ये वादे टूटते ही हैं. जब हमसे टूटते हैं तो हम आसानी से खुद के लिए तर्क जुटा लेते हैं, दूसरों के लिए ऐसा नहीं कर पाते हैं.
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