सरदार सरोवर बांध का शुभारंभ और नरेंद्र मोदी का जन्मदिन, आज दोनों हैं. 2006 की बात है. तब गुजरात के मुख्यमंत्री रहे नरेंद्र मोदी तत्कालीन जल संसाधन विकास मंत्री सैफुद्दीन सोज से मिलने पहुंचे थे. दोनों के बीच सरदार सरोवर बांध की ऊंचाई को लेकर बातचीत होनी थी.
सैफुद्दीन सोज का मानना था कि अगर बांध की ऊंचाई कम कर दी जाए तो केंद्र और राज्य के बीच बात बन सकती है. उन्होंने नरेंद्र मोदी के सामने प्रस्ताव रखा की आप बांध की ऊंचाई कम रख लीजिए तो बात बन जाएगी. मोदी ने इससे इनकार कर दिया. मोदी वापस लौटे और उसके बाद 51 घंटे का आमरण अनशन किया.
इस अनशन के दौरान नरेंद्र मोदी ने सैफुद्दीन सोज पर पर्दे के पीछे से कार्रवाई करने के आरोप लगाए थे. उन्होंने कहा था कि मनमोहन सिंह की अगुवाई वाली यूपीए सरकार इस मुद्दे पर डबल गेम खेल रही है. उनका कहना था कि सरकार के तरीकों को देखकर लग रहा है कि सरकार नर्मदा बचाओ आंदोलन को सपोर्ट कर रही है और गुजरात का विकास नहीं होने देना चाहती है.
विरोध के बावजूद क्यों है यह पीएम मोदी का ड्रीम प्रोजेक्ट
बाद में यही हुआ और मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा जहां कोर्ट से गुजरात सरकार की जीत हुई और सरदार सरोवर बांध का काम शुरू हुआ. नरेंद्र मोदी जो प्रोजेक्ट पूरा करना चाहते थे. उसे पूरा किया.
17 सितंबर के दिन सरदार सरोवर बांध का शुभारंभ हो रहा है. 17 सितंबर को ही अब पीएम बन चुके नरेंद्र मोदी का जन्मदिन भी है. सालों से नरेंद्र मोदी जिस प्रोजेक्ट को पूरा करना चाहते थे वो पूरा हो रहा है. गुजरात और मध्य प्रदेश में नर्मदा यात्रा स्पिरिचुअल यात्रा होती है.
कहा जाता है कि नरेंद्र मोदी की भी इच्छा इस यात्रा पर जाने की रही है. वो इस प्रोजेक्ट को भी इस यात्रा से जोड़कर देखते हैं. बहुत संभव है कि नरेंद्र मोदी के जन्मदिन के दिन ही इस प्रोजेक्ट के शुभारंभ का कार्यक्रम यही सोच कर रखा गया हो.
हालांकि इस प्रोजेक्ट के बहुत से आलोचक हैं जिनका मानना है कि इस बांध के निर्माण से बड़ी संख्या में लोग विस्थापित हुए हैं. इन विस्थापितों को सरकार ने सही मुआवजा नहीं दिया. अभी भी जबकि इसकी शुभारंभ होने जा रहा है इस प्रोजेक्ट की धुर विरोधी मेधा पाटकर अनशन पर बैठी हुई हैं. लेकिन मोदी का मानना है कि इस प्रोजेक्ट के जरिए वो गुजरात के बड़े सूखे की समस्या का समाधान कर पाने में कामयाब हो पाएंगे. ये एक कश्मकश है.
अद्भुत तरीके से जन्मदिन मनाते हैं मोदी
हालांकि शायद ऐसा पहली बार होगा जब कोई कार्यक्रम नरेंद्र मोदी के जन्मदिन के दिन ही रखा गया है. नरेंद्र मोदी को काफी पहले से जानने वाले राजनीतिक जानकारों का कहना है जन्मदिन पर उत्सव मनाने जैसी बात नरेंद्र मोदी के साथ नहीं जोड़ी जा सकती. कई बार ऐसा भी होता है कि अगर ये पता हो कि फोन करने वाला जन्मदिन की बधाई देने वाला है तो उसका फोन तक नहीं रिसीव करते.
इसे उनकी संघ से मिली ट्रेनिंग से जोड़ कर भी देखा जा सकता है. सालों तक गुजरात के मुख्यमंत्री रहने के दौरान भी नरेंद्र मोदी के जन्मदिन पर कभी कोई उत्सव जैसी बात देखने में नहीं आई. हां, अपने जन्मदिन पर वो मां से मिलने जाते रहे हैं.
पीएम बनने के बाद जब मोदी अपनी मां से मिलने गए तो इसकी तस्वीरें मीडिया में खूब सुर्खियां भी बनी थीं. ये उत्तर भारत में नेताओं से बिल्कुल अलग तरीका है जहां बीएसपी सुप्रीमो मायावती को नोटों से लदे हुए हार पहने भी देखते हैं और समाजवादी पार्टी के मुखिया मुलायम सिंह यादव को बग्घी पर चढ़ कर निकलते हैं.
जन्मदिन के अलावा भी हमें हर त्योहार पर ये खबर पढ़ने को मिलती है कि पीएम सैनिकों के साथ वहां त्योहार मना रहे हैं या फिर ऐसी ही किसी और जगह पर मौजूद हैं.
नरेंद्र मोदी आज 67 के पूरे हो गए हैं. 26 मई 2014 को देश का पीएम बनने के बाद तीन साल बीत चुके हैं. वो शायद जवाहर लाल नेहरू के बाद ऐसे इकलौते पीएम होंगे जिनके बड़ी संख्या में फैन्स हैं. उनके आलोचकों की भी संख्या कम नहीं है. वो लगभग हर दिन मीडिया की सुर्खियों में रहते हैं. उनकी हालिया कंडीशन पर बॉलीवुड स्टार शाहरुख खान की एक बात बिल्कुल मौजूं बैठती है-आप पसंद करें या नापसंद, बस इग्नोर नहीं कर सकते.
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