बचपन के दिन याद आते हैं. किसी छोटे कस्बे के. मोहल्ले होते थे. अब भी होते हैं. पूरा मोहल्ला किसी परिवार की तरह लगता था. पड़ोस के किसी भी घर में खाना खा लेना आम बात होती थी. शाम को खेलते हुए शरारत करने पर अपने परिवार जितना ही पड़ोस के अंकल का डर होता था कि कहीं वो न देख लें. शरारत करते देख लिया तो डांट पड़ेगी. कुछ अच्छा काम करने पर पता था कि शाबाशी भी मिलेगी. ये सूरज बड़जात्या की फिल्म की स्क्रिप्ट नहीं है. ऐसा हुआ करता था. शायद छोटे शहरों में अब भी होता होगा.
एक झटके में गायक से पापी और परवर्ट पापोन हो जाना
Here is #Papon 's video. Found his behaviour with the minor girl he is mentoring totally inappropriate. Pulling her face and kissing the girl is totally uncalled for no matter how affectionate you feel as her mentor. This definitely comes under "Bad Touch". #ProtectOurChildren pic.twitter.com/MJe8wzd0sb
— ruchi kokcha (@ruchikokcha) February 23, 2018
टीवी रूम में जिसने पापी पापोन या परवर्ट पापोन जैसे विशेषणों का आविष्कार किया होगा, उन्होंने भी यह माहौल देखा होगा. उस माहौल को देखते-देखते वो भी अब अखबारों में भरी पड़ी खबरों के साथ रू-ब-रू होते होंगे. किसी अधेड़ के किसी बच्ची के साथ जबरदस्ती की खबरें. लेकिन क्या उन्होंने सोचा होगा कि पापी और संत के बीच भी कोई दुनिया है, हो सकता है कि पापोन वही हों.
नहीं पता कि पापोन ने क्या सोचकर बच्ची को किस किया था. यह भी नहीं पता कि उनके मन में पाप था या नहीं. हां, इतना जरूर लगता है कि अगर पाप करना होता तो उसे फेसबुक पर लाइव करने की क्या जरूरत थी. यह भी लगता है कि नॉर्थ-ईस्ट से आने वाले इस गायक को वहां के खुले माहौल की आदत है. उनके लिए बच्ची को किस करना बहुत आम है. शायद वो समझ नहीं पाए कि सोशल मीडिया पर नजर गड़ाए लोग उनकी हरकत को ‘पापी पापोन’ तक पहुंचा देंगे और अगर वो सही हैं, तो शायद ही जिंदगी में कभी वो किसी बच्ची के सिर पर स्नेह से हाथ फिरा पाएंगे.
इन सबके बीच एक बार फिर साफ कर देना चाहिए कि हमें नहीं पता, पापोन पापी हैं या नहीं. लेकिन इतना तय है कि हमारे मन में कहीं वो सारे पाप गहरे घर कर गए हैं, जहां बेनेफिट ऑफ डाउट के लिए कोई जगह नहीं है. हमारे समाज ने तय कर लिया है कि एक खास किस्म की दूरी बनाए रखना बहुत जरूरी है.
एक साथी ने कुछ दिनों पहले बताया था कि एक मॉल में उन्हें एक छोटी बच्ची दिखी. बहुत प्यारी थी. उन्होंने मुस्कुराते हुए स्नेह से सिर पर हाथ रखना चाहा. वो ऐसा करते, इससे पहले दूर से एक आवाज नाराजगी में आई. वो बच्ची के पिता की थी. जाहिर है, वो बच्ची के लिए चिंतित थे. जिस तरह के समाज की तस्वीर हमारे-आपके सामने आ रही है, उसमें चिंता वाजिब भी थी.
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क्या वाकई मामला इतना गंभीर है?
सवाल यही है कि अगर समाज ही ऐसा है, तो फिर पापोन को क्यों पापी न कहें? फर्क है. वहां बच्ची ने कोई शिकायत नहीं की. वहां बच्ची के पिता ने कोई शिकायत नहीं की. वहां पूरी प्रोडक्शन टीम थी. वहां सारे बच्चे मौजूद थे. इन सारी बातों के अलावा एक शख्स की अपनी छवि भी होती है. अभी तक ऐसा कोई वाकया नहीं हुआ, जिसमें पापोन की ऐसी छवि निकलकर आ रही हो.
इस बीच उनके फेसबुक पेज पर सुप्रीम कोर्ट की एक वकील ने वीडियो देखा और उन्हें पूरा मामला नागवार गुजरा. उन्होंने इस मामले में पहल की. मजेदार बात यह है कि सड़क पर लड़की छेड़ते हुए खामोश रह जाने वाला समाज अचानक सोशल मीडिया पर जागृत हो जाता है. मुंबई में रेलवे प्लेटफॉर्म पर एक लड़की को जबरदस्ती गले लगाते हुए शख्स का वीडियो देखिए.
#WATCH: Girl molested at Turbhe railway station in Navi Mumbai yesterday; accused has been arrested after complaint #Maharashtra pic.twitter.com/kwUfFhCZZG
— ANI (@ANI) February 23, 2018
आसपास मौजूद लोगों में कोई हिलता नहीं दिखता, जो उसे पकड़ने की कोशिश करे. लेकिन सोशल मीडिया न्याय दिलाने का अद्भुत मंच है. रवीना टंडन से लेकर गौहर ख़ान तक तमाम फिल्मी सितारों ने विरोध जता दिया. महाराष्ट्र महिला आयोग ने एक्शन लेने का ऐलान कर दिया.
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पब्लिसिटी के लिए भी उठते हैं ऐसे मुद्दे
यह मामला यकीनन अलग हो सकता है. लेकिन ऐसे तमाम वाकयात हैं, जहां पब्लिसिटी वाले मामलों में तमाम लोग पीआईएल या एफआईआर कराने को बेताब दिखते हैं. महेंद्र सिंह धोनी के हाथ में जूते से लेकर प्रिया प्रकाश वारियर के आंख मारने तक ऐसे तमाम मामले हैं, जब ‘सामाजिक’ किस्म के लोग अदालत या पुलिस स्टेशन पहुंच गए. यहां भी तेजी से एक्शन हुआ. संभव है कि बच्ची से सहानुभूति की वजह से हुआ हो.
उसके बावजूद सवाल उठता है कि क्या बच्ची को अपनी फिक्र नहीं है? चलिए, वो तो छोटी है. उसके मां-बाप को? या मां-बाप सिर्फ एक रियलिटी शो के लिए अपनी बच्ची को ऐसे आदमी के हाथ सौंप देंगे, जो ‘पापी या परवर्ट’ है. अगर ऐसा नहीं है, तो हमें क्या पहले पिता से शिकायत की उम्मीद नहीं करनी चाहिए? वो कह रहे हैं कि कुछ गलत नहीं हुआ. ऐसे में क्या हम जबरदस्ती मामले में घुसने की कोशिश कर के साबित नहीं कर रहे कि बच्ची का परिवार ऐसा है, जो एक रियलिटी शो के लिए कुछ भी करने को तैयार है!
एक बार फिर यह साफ करना जरूरी है कि हमें नहीं पता, पापोन के मन में क्या था. हमें नहीं पता कि वो पापी हैं या नहीं. लेकिन हर रोज रिश्तों को तार-तार करने वाली खबरों के बीच हमारे दिमाग जरूर पापी हो गए हैं. तभी जैसे ही ऐसी घटना होती है, तो हम दूसरा पक्ष नहीं सोच पाते. कुछ को उसमें टीआरपी वाली खबर दिखती है, कुछ को पब्लिसिटी... और कुछ को समाज में सुधार के लिए अपनी जिम्मेदारी का एहसास होता है. जैसा इस मामले में हुआ.
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