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Gandhi Jayanti 2018: अहिंसा पर गांधी से असहमत होने के बावजूद हमेशा साथ रहे पटेल

नेता जी और पटेल में फर्क यह रहा कि जहां पटेल अंत तक गांधी के साथ रहे, वहीं नेता जी ने साथ छोड़ दिया था

Updated On: Oct 01, 2018 03:09 PM IST

Surendra Kishore Surendra Kishore
वरिष्ठ पत्रकार

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Gandhi Jayanti 2018: अहिंसा पर गांधी से असहमत होने के बावजूद हमेशा साथ रहे पटेल

अहिंसा के सवाल पर सरदार सुभाष चंद्र बोस की तरह वल्लभ भाई पटेल के विचार भी महात्मा गांधी से अलग थे. आजादी की लड़ाई के दौरान सरदार पटेल ने अपने विचार सार्वजनिक रूप से व्यक्त भी किए थे. पर नेता जी और पटेल में अंतर यह रहा कि जहां पटेल अंत तक गांधी के साथ रहे, वहीं नेता जी ने पहले ही साथ छोड़ दिया.

सरदार पटेल इस गंभीर मुद्दे पर विचार-भिन्नता के बावजूद देश के भले के लिए साथ-साथ काम करते रहे. गांधी, नेहरू और पटेल के बीच अन्य सवालों पर भी जितना अधिक आपसी मतभेद था, उतना आज के किन्हीं दो नेताओं के बीच रहता, तो शायद वे एक दिन भी साथ काम नहीं कर पाते. पर वे नेता तो कुछ दूसरी ही मिट्टी के बने थे. मतभेदों के बावजूद सरदार पटेल कहते थे कि ‘केवल गांधी ही हमारी ताकत हैं और वे देश और कांग्रेस के लिए अनिवार्य हैं.’

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विचारधारा अलग लेकिन काम एकसाथ

उधर पटेल निजी बातचीत में कहा करते थे कि ‘यह बात मैं कैसे भूल सकता हूं कि जवाहर लाल गांधी जी के घोषित उत्तराधिकारी हैं! गांधी के निधन के बाद जब कुछ लोगों ने उन्हें नेहरू के खिलाफ उकसाना शुरू किया तो पटेल ने कहा कि ‘इस देश की जनता के नेता तो नेहरू ही हैं.’

याद रहे कि कांग्रेस संगठन के बहुमत का समर्थन पटेल को मिला हुआ था. याद रहे कि 1950 में सरदार पटेल ने नेहरू की इच्छा के विरूद्ध पुरूषोत्तम दास टंडन को कांग्रेस अध्यक्ष बनवा दिया था. आज के जमाने में ऐसी राजनीतिक घटना किसी नेता के सनक जाने के लिए पर्याप्त थी. पर पटेल अपनी ही मध्यम गति में चलते रहे.

गांधी से अलग थी पटेल की राय

अब हिंसा-अहिंसा पर सरदार पटेल के विचार जानने के लिए उनके एक भाषण पर गौर करना होगा. गुजरात कांग्रेस कमेटी की बैठक में 19 मार्च, 1940 को सरदार ने जो भाषण दिया, वह गांधी की नीति के एकदम खिलाफ था. अहिंसा -पालन के तरीके पर गांधी जी से अपने मतभेद की चर्चा करते हुए पटेल ने कहा था, ‘जब हम माली कंडा में मिले थे, तो मैंने कहा था कि वर्तमान परिस्थिति में अहिंसा का पूरी तरह पालन करना संभव नहीं है. हमारी ऊर्जा सीमित है. देश की शक्ति के आकलन में हमारे और गांधी जी के बीच मतभेद हैं. मैं नहीं समझता कि जो लोग समाज पर अत्याचार करते हैं, उनके साथ आवश्यक हिंसा के बिना व्यवहार कर पाएंगे.'

उन्होंने कहा था, 'अब बहस करने का न तो स्थान है और न ही सिद्धांतों पर विचार विमर्श करने का समय. आप सब लोगों को सोचना है कि आंतरिक अव्यवस्था और विदेशी आक्रमण होने की स्थिति में क्या अहिंसा का प्रयोग करना चाहेंगे.'

Nehru,_Gandhi_and_Patel_1946

उन्होंने यह भी कहा था, 'हमारी अहिंसा कमजेार अहिंसा है. आज हम आगे नहीं बढ़ सकते. हम अहिंसक रह कर देश की रक्षा-सुरक्षा का भार नहीं उठा सकते. इसका मतलब यह नहीं कि कांग्रेस ने अहिंसा के सिद्धांत को छोड़ दिया है. इसका मतलब केवल यह है कि हम इस मार्ग पर आगे नहीं बढ़ सकते. दो वर्ष से बापू लिख रहे हैं कि कांग्रेस और देश में हिंसा का वातावरण है, गंदगी और सड़न व्याप्त है.’

बापू ने मांग की है कि उन्हें अपने प्रयोग करने की पूरी स्वतंत्रता और स्थान दिया जाना चाहिए. इसका मतलब है कि उन्होंने हमें छोड़ दिया है. हमने उन्हें बता दिया है कि यदि हम उनके साथ तेज गति से नहीं चल पाते हैं तो हम उन पर बोझ नहीं बनेंगे.’

कैसे मुमकिन है अहिंसा!

अपने भाषण में पटेल ने कहा था ‘आज हमें निश्चय करना है कि यदि हमें स्वतंत्रता और बिना प्रतिबंध के सत्ता मिलती है, तो भी क्या हम सेना के बिना शासन करने की स्थिति में होंगे ? यदि ऐसा हम कहते हैं तो वे (अंग्रेज) सत्ता का हस्तांतरण नहीं करेंगे.’

पटेल ने यह भी कहा कि मुख्यतः मुसलमान इसके खिलाफ हैं, वे मुसलमान जो बाहर हैं. कांग्रेस को अहिंसा से प्रेम है. यदि हम अहिंसा को कुछ समय के लिए वृहत रूप में नहीं ले जाते तो इसका यह मतलब नहीं है कि कांग्रेस स्वयंसेवकों द्वारा की गई अहिंसा की शपथ में कोई परिवर्तन आ गया है. तब भी मैं आपसे कोई बहस नहीं करना नहीं चाहता तथा आपके विचार नहीं बदलना चाहता. न ही मैं अहिंसा में आपके विश्वास को कम करना चाहता हूं.

उन्होंने कहा, 'यह अच्छी बात है कि हमने अब तक अहिंसा के प्रयोग किए हैं. लेकिन लोग डरपोक हैं. जहां से तिरछा जाना है, वहां से आगे जाने में कतराते हैं. इसके लिए क्या किया जाए? यह समय नहीं है कि उन्हें वहां खड़ा रहने दिया जाए जहां पर वे खड़े हैं. अब समय आ गया है कि हमें विकल्प चुनना होगा.’

(यह लेख हम पिछले साल 2 अक्टूबर को छाप चुके हैं.)

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