लता जी से अपनी पहली मुलाकात को याद कर रही हैं कविता कृष्णमूर्ति और सुनिधि चौहान-
लता मंगेशकर 28 सितंबर को अपना जन्मदिन मना रही हैं. फिल्म इंडस्ट्री से लेकर अलग-अलग क्षेत्र के तमाम लोग उन्हें बधाई दे रहे हैं. यूं तो लता मंगेशकर का अपने पूर्ववर्ती, समकालीन और बाद के गायकों में सभी से करीबी रिश्ता रहा लेकिन दो कलाकार ऐसे हैं जिनके लिए लता मंगेशकर किसी देवी से कम नहीं. याद कीजिए आज से करीब बीस साल पहले 11 साल की उस लड़की सुनिधि चौहान को जिसे लता मंगेशकर ने ‘मेरी आवाज सुनो’ शो नाम के कार्यक्रम में चुना था.
कुछ ऐसा ही कविता कृष्णमूर्ति के साथ भी हुआ था जिन्हें माइक पर पहली बार जब लता मंगेशकर के साथ गाने का मौका मिला तो वो लंबे समय तक यकीन ही नहीं कर पाईं. लता मंगेशकर के साथ इन दोनों कलाकारों का रिश्ता अलग ही रहा. दोनों के लिए लता मंगेशकर साक्षात सरस्वती की तरह रहीं. लता मंगेशकर से अपनी पहली मुलाकात को याद कर रही हैं यही दोनों कलाकार.
सपने सरीखा था लता जी के साथ गाना: कविता कृष्णमूर्ति
'कविता कृष्णमूर्ति मुंबई के जिस कॉलेज में पढ़ती थीं, वहां तमाम फिल्मी कलाकारों के बच्चे भी पढ़ते थे. फिल्म इंडस्ट्री के कई बड़े नाम वहां मौके-मौके पर चीफ गेस्ट बनकर आते रहते थे. कभी हेमंत कुमार आ रहे हैं, कभी वहीदा रहमान आ रही हैं. ऐसे ही एक कार्यक्रम में कविता कृष्णमूर्ति गा रही थीं. उस रोज अमीन सयानी और हेमंत कुमार कार्यक्रम में चीफ गेस्ट थे. कार्यक्रम खत्म होने के बाद अमीन सयानी ने कविता कृष्णमूर्ति को अगले दिन अपने दफ्तर आने को कहा. अगले दिन कविता अमीन सयानी के ऑफिस गईं. उनके साथ उनकी एक आंटी भी थीं.
अमीन सयानी ने साफ-साफ पूछा कि आप कविता को गाने गवाकर क्या बहुत सारे पैसे कमाना चाहती हैं? इस सवाल के जवाब में कविता की आंटी ने कहा - बिल्कुल नहीं. कविता की तरफ इशारा करके उन्होंने अमीन सयानी से कहा कि ये लता मंगेशकर को भगवान मानती है. उनको सरस्वती मानती है. इसके बाद अमीन सयानी ने कविता कृष्णमूर्ति को सी रामचंद्र के पास भेजा. सी रामचंद्र ने कविता कृष्णमूर्ति को सुना, तारीफ भी की लेकिन ये कहकर वापस भेज दिया कि मेरे पास 10 साल बाद आना.
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इसी बीच एक रोज हेमंत कुमार ने कविता कृष्णमूर्ति को फोन करके पूछा कि वो अगले दिन क्या कर रही हैं. कविता से उन्होंने कॉलेज छोड़कर राजकमल स्टूडियो पहुंचने को कहा. वहां हेमंत कुमार पहले से मौजूद थे. उन्होंने कविता कृष्णमूर्ति को टैगोर के एक गीत का अभ्यास कराया. उसके बाद स्टूडियो में किसी का इंतजार होने लगा. थोड़ी देर बाद स्टूडियो का दरवाजा खुला और उससे लता मंगेशकर अंदर आईं. उनको देखकर कविता कृष्णमूर्ति की हालत खराब हो गई. हेमंत कुमार कविता की हालत समझ रहे थे. उन्होंने मुस्कराते हुए कहाकि तुम्हें लता जी के साथ वही दो लाइन गानी है जो मैंने तुम्हें सिखाई है.
उस दिन को याद करते हुए कविता कृष्णमूर्ति कहती हैं- “मेरी सरस्वती साक्षात मेरे सामने खड़ी थीं. मुझे ऐसा लग रहा था जैसे मैं सपना देख रही हूं. उस जमाने में एक ही केबिन में खड़े होकर गाना होता था. थोड़ी ही देर में एक माइक लता जी के लिए लगाया गया और एक मेरे लिए. मैं बहुत डरी हुई थी. मुझे लग रहा था कि लता जी के सामने मैं क्या गाऊंगी. डर के मारे रिहर्सल में मैं अपनी लाइन तक भूल गई. लता जी मेरी तरफ देखा और मुस्करा दिया. तभी कान में दादा की आवाज आई, क्या हुआ तुम भूल गई या डर गई. मैं जवाब तक नहीं दे पा रही थी.
फिर हेमंत दादा बोले अब फाइनल टेक करेंगे. ‘टेक’ हो भी गया. मैं आज तक यकीन नहीं कर पाती हूं कि माइक के सामने मेरा पहला गाना लता जी के साथ था.'
एक बार लता जी को देखने की थी चाहत: सुनिधि चौहान
सुनिधि चौहान मुंबई में बकायदा आदेश श्रीवास्तव के लिए एक गाना रिकॉर्ड कर चुकी थीं. इसके बाद उन्होंने 'मेरी आवाज सुनो' में जाने का फैसला किया था. सुनिधि उस दिन को याद करके कहती हैं 'मैंने एक रोज कहीं ये खबर पढ़ी कि टीवी पर एक शो आने वाला है जिसमें लता जी जज होंगी. जो उस शो में जीत जाएगा उसे लता जी के हाथों से ट्रॉफी मिलेगी. पापा को ये बात पता थी कि मैं लता जी की कितनी बड़ी ‘फैन’ हूं. हम दोनों को ही लगा कि यही एक मौका है जहां लता जी से मुलाकात हो सकती है.'
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'उससे पहले हमने कभी सोचा तक नहीं था कि लता जी से मिलने का मौका मिल सकता है. कभी इतना तक नहीं सोचा था कि उन्हें देख पाने का मौका मिलेगा. बस मन में इतना ख्याल आया कि इस ‘कॉम्पटीशन’ में हिस्सा लेते हैं. अगर आखिरी दौर तक भी पहुंच गए तो लता जी को देखने का मौका मिल जाएगा.'
सुनिधि ‘मेरी आवाज सुनो’ में सबसे कम उम्र की प्रतिभागी थीं. आखिरकार वो दिन भी आया जब सुनिधि मेगा फाइनल में पहुंच गईं. उनके साथ उनके पापा, मम्मी सब लोग गए थे. सुनिधि को कुछ समझ नहीं आ रहा था कि लता जी को देखने के बाद क्या होगा. सुनिधि ने उस दिन फिल्म ‘रेशमा और शेरा’ का 'तू चंदा मैं चांदनी' गाना गाया था. वो गाना लता जी का ही गाया हुआ था.
जब थोड़ी देर बाद रिजल्ट ‘अनाउंस’ हुआ और सुनिधि का नाम पुकारा गया. सुनिधि को उस कॉम्पटीशन को जीतने से भी कहीं ज्यादा खुशी इस बात की थी कि उन्होंने लता जी को कुछ इंच की दूरी से देखा. लता जी ने सुनिधि को बहुत प्यार से ट्रॉफी दी. उस खास दिन को याद करके सुनिधि कहती हैं- 'मैं बता ही नहीं सकती कि उस वक्त की ‘फीलिंग’ क्या थी. एक अनोखी सी ही फीलिंग थी. ये ‘रियलाइज’ करने में वक्त लग गया कि अभी थोड़ी देर पहले क्या हुआ है.
'बहुत चाहते हुए भी मैं खुद को रोक नहीं पाई और मेरी आंखों से आंसू बहने लगे. इसके बाद जब उस रोज मैं घर पहुंची तब कहीं जाकर ये अहसास कर पाई कि हुआ क्या है. तब जाकर यकीन हुआ मैं ‘द लता मंगेशकर’ के सामने जीतकर आई हूं. उन्होंने ही मुझे ट्रॉफी दी है. उन्होंने मुझे छुआ है और प्यार किया है.'
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