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सुधरने की कवायद में डॉन को, ‘मोहरा’ बने बच्चे ने ‘निपटवा’ डाला!

पड़ताल की इस खास कड़ी में मैं जिक्र करने जा रहा हूं, उस सनसनीखेज हत्याकांड का, जिसमें महज 15 साल का बालक दो ‘गैंगस्टर्स’ की खूनी लड़ाई में वाकई तुरुप का इक्का साबित हुआ.

Updated On: Jan 26, 2019 09:34 AM IST

Sanjeev Kumar Singh Chauhan Sanjeev Kumar Singh Chauhan

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सुधरने की कवायद में डॉन को, ‘मोहरा’ बने बच्चे ने ‘निपटवा’ डाला!

जरायम की दुनिया में कब कौन किसका दुश्मन हो जाए, कब कौन किसका दोस्त, कब कौन किसके कहां काम आ जाए, कब कौन ‘मोहरा’ बन जाए, कब शिकारी ‘शिकार’हो जाए, कब शिकार, ‘शिकारी’ बन जाए, बादशाहत की खूनी और घिनौनी जंग में कब कौन कहां, ‘तुरुप’ का इक्का साबित हो जाए? इन सब सवालों का जवाब हमेशा ‘अपराधियों’ के दिमाग में ही छिपा रहता है. हां, इतना जरूर है कि अपराध की दुनिया में ऊपर अंकित तमाम सवालों में से कोई भी, कभी भी, कहीं भी प्रयोग में लाया जा सकता है. इतना तो तय है. बस सब कुछ निर्भर करता है काल-पात्र और समय के सटीक गुणा-गणित के मुताबिक. पड़ताल की इस खास कड़ी में मैं जिक्र करने जा रहा हूं, उस सनसनीखेज हत्याकांड का, जिसमें महज 15 साल का बालक दो ‘गैंगस्टर्स’ की खूनी लड़ाई में वाकई तुरुप का इक्का साबित हुआ.

राजस्थान के श्रीगंगानगर का जवाहर नगर. तारीख थी 22 मई 2018. वक्त रहा होगा यही कोई तड़के 5 बजे का. थाना जवाहर नगर इलाके के मीरा चौक के पास स्थित मेटेलिका जिम के अंदर से दिल-दहला देने वाली चीख-पुकार की आवाजें आ रही थीं. मामला चूंकि जवाहर नगर थाना क्षेत्र का था. सो सूचना मिलते ही, थाना-प्रभारी इंस्पेक्टर प्रशांत कौशिक भी मौके पर पहुंच गए.

लाश के पास खड़े मिले इकलौते चश्मदीद जिम-ट्रेनर साजिद ने, पुलिस को जो कुछ बताया वो रोंगटे खड़े कर देने वाला था. मरने वाला जवाहर नगर थाने इलाके का ही विनोद चौधरी उर्फ जॉर्डन (36) था. जिसके खिलाफ पुरानी आबादी, कोतवाली, सदर और जवाहर नगर सहित तमाम थानों में कई पुराने आपराधिक मामले दर्ज थे.

हां, कुछ समय से जॉर्डन ने खुद को जरायम की दुनिया से अलग करने के प्रयास शुरू कर दिए थे. हत्याकांड में चूंकि गैंगवार की आशंका थी. लिहाजा ऐसे जघन्य हत्याकांडों की ‘पड़ताल’ के महारथी, राजस्थान पुलिस के इंस्पेक्टर और मौजूदा वक्त में श्रीगंगानगर महिला थाने के प्रभारी नरेंद्र कुमार पूनिया को आला-पुलिस अफसरों ने घटनास्थल पर बुला लिया. ताकि तफ्तीश में उन्हें शुरुआती दौर से ही शामिल किया जा सके.

मौका-ए-वारदात पर पहुंचते ही इंस्पेक्टर पूनिया ने ताड़ लिया कि इस खूनी खेल में उन्हें अपने हाथ-पांव किधर चलाने हैं?

एक ‘डॉन’ के बदन में 16 गोली यानी ‘गैंगवार’

हथियारबंद शार्प-शूटरों की संख्या 5-6 थी. वे दो कारों में (स्विफ्ट डिजायर और वर्ना) में सवार होकर घटनास्थल पर पहुंचे थे. जिम में ट्रेडमिल पर मौजूद निहत्थे विनोद चौधरी को घेरकर दो शार्प-शूटरों ने गोलियां बरसाईं थीं. घायल जॉर्डन ने मौके पर ही दम तोड़ दिया. पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट के मुताबिक जॉर्डन को 16 गोलियां करीब से चंद सेकेंड्स के अंतराल पर मारी गई थीं. 3 गोलियां उसके सिर से पार निकल गई थीं. इसी तरह 6 गोली सीने में 3 पेट में और 4 गोली दोनो हाथों में मारी गई थीं.

पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट देखते ही, गैंगवार और राजस्थान के गुंडों के बीच छिड़ी वर्चस्व की लड़ाई के हर बिंदु को करीब से जानने वाले इंस्पेक्टर नरेंद्र कुमार पूनिया घटना के पीछे छिपे तमाम पहलूओं को समझ चुके थे.

जिम में ‘जॉर्डन-डॉन’ की हत्या से जिद्दी हुई जनता

विनोद चौधरी उर्फ जॉर्डन

विनोद चौधरी उर्फ जॉर्डन

उधर दबंग जॉर्डन की जघन्य हत्या से गुस्साए श्रीगंगानगर के लोग पुलिस के खिलाफ सड़कों पर उतर आए. लिहाजा भीड़ को शांत करने के लिए राज्य पुलिस मुख्यालय ने जयपुर से स्पेशल ऑपरेशन ग्रुप (S.O.G.) की टीम (पुलिस अधीक्षक हरेंद्र कुमार, सहायक पुलिस अधीक्षक सुरेंद्र सिंह राठौड़) भी श्रीगंगानगर के लिए भेज दी. ताकि कहीं शहर में कानून-व्यवस्था न बिगड़ जाए. दूसरे गुस्साई भीड़ भी मामले की जांच को एसओजी से ही कराने पर अड़ी हुई थी.

उधर अब तक पड़ताल में जुटे इंस्पेक्टर नरेंद्र कुमार पूनिया और प्रशांत कौशिक के मुखबिर उन्हें पुख्ता खबर दे चुके थे कि जॉर्डन को ठिकाने लगाने वालों में घटनास्थल पर अंकित भादू, शुभम्, संपत नेहरा, विक्की टहला, अमृतसर का हरदीप संधू, भिवानी का प्रवीन जाट, आकाश चौहान तथा सोनीपत का रहने वाला एक नाबालिग बदमाश मौजूद थे.

दिल्ली पुलिस इंस्पेक्टर के भाई का हत्यारा भी 

दौरान-ए-पड़ताल श्रीगंगानगर पुलिस को मालूम चला कि आकाश चौहान ने सन् 2016 में दिल्ली पुलिस के एक इंस्पेक्टर के भाई की हत्या रोहतक (हरियाणा) में कर दी थी. जिसमें उसके सिर पर इनाम रखा हुआ है. हत्याकांड के बाद से ही वो अभी तक फरार चल रहा है. राजगढ़, चुरु (राजस्थान) निवासी संपत नेहरा का पिता चंडीगढ़ पुलिस में सहायक पुलिस उप-निरीक्षक था. जिसने बाद में स्वैच्छिक सेवा-निवृत्ति ले ली. इसी तरह इस मामले में वांछित जगतपाल सिंह राजस्थान के कुख्यात गैंगस्टर आनंदपाल सिंह मुठभेड़ में उसके साथ मौजूद था. उस वक्त वो गिरफ्तार भी हुआ था. आनंदपाल जिस घर में छिपा हुआ था वो, जगतपाल की बुआ का था.

अंदेशा था किराए की ‘मौत’ साथ भटक रही है!

इसे इत्तेफाक कहें या फिर विधाता की लिखी. हत्या से चंद दिन पहले ही जॉर्डन ने श्रीगंगानगर पुलिस को आगाह किया था कि उसका पीछा किया जा रहा है. 17 अगस्त सन् 2016 को श्रीगंगानगर की पुरानी आबादी स्थित ग्रेट बॉडी फिटनेस सेंटर (जिम) में एक युवक दीपक उर्फ बिट्टू शर्मा की हत्या की जा चुकी थी. दीपक उन दिनों खुद भी एक आपराधिक मामले में जमानत पर जेल से छूटकर बाहर आया हुआ था. उस घटना के बाद से जॉर्डन के कान खड़े हो गए थे. हालांकि श्रीगंगानगर पुलिस और परिवारिक सूत्रों के मुताबिक, काफी समय से जॉर्डन जरायम की दुनिया से खुद को अलग कर चुका था. उस पर कोई भी नया आपराधिक मामला दर्ज नहीं हुआ था.

विनोद चौधरी की हत्या में शामिल अपराधियों की तस्वीरें. ऊपर बाएं से दाएं ( विक्की टहला और जगतपाल सिंह ). नीचे बाएं से दाएं ( आकाश चौहान और हरदीप सिंह)

विनोद चौधरी की हत्या में शामिल अपराधियों की तस्वीरें. ऊपर बाएं से दाएं ( विक्की टहला और जगतपाल सिंह ). नीचे बाएं से दाएं ( आकाश चौहान और हरदीप सिंह)

जरूरी है चाचा के बयान की भी पड़ताल!

बहरहाल पुलिस ने घटना वाले दिन ही जवाहर नगर थाने में, चाचा धर्मपाल के बयान पर जॉर्डन की हत्या का मामला दर्ज कर लिया. हत्याकांड से कुछ समय पहले ही फिलहाल भरतपुर जेल में बंद पंजाब के कुख्यात डॉन लॉरेंस बिश्नोई गैंग के (अंकित भादू, संपत नेहरा, अमित काजला, आरजू विश्नोई, झींझा तथा विशाल पचार आदि) बदमाशों ने उससे हाथ मिलाने की कोशिश की थी. जॉर्डन ने मगर उनका साथ देने से साफ इंकार किया. धर्मपाल की बात पर यकीन किया जाए तो, उनके भतीजे की हत्या 25 से 50 लाख रुपए की ‘सुपारी’ देकर कराई गई है. धर्मपाल के मुताबिक इस अंदेशे का जिक्र जॉर्डन ने हत्या की वारदात से कुछ समय पहले ही उनसे किया था.

फेसबुक फोटो तो ‘बवाल-ए-जान’नहीं बन गई!

इस हत्याकांड के पीछे एक वजह वो फोटो भी हो सकती है, जिसका जिक्र होने पर अमूमन जल्दी किसी को विश्वास भी नहीं होगा. कहा जा रहा है कि लॉरेंस बिश्नोई को कुछ समय पहले पंजाब की जेल से निकाल कर राजस्थान पुलिस ला रही थी. उसी दौरान, कभी सलमान खान को जेल से भागकर मार डालने की धमकी देने वाले लॉरेंस विश्नोई की पुलिस कस्टडी में अर्ध-नग्नावस्था में एक फोटो जॉर्डन के हाथ लग गई. कहा जाता है कि उस कथित फोटो को सोशल मीडिया पर वायरल होने के पीछे लॉरेंस का शक जॉर्डन पर था.

वर्चस्व की जंग में मिली मौत!

जॉर्डन हत्याकांड की पड़ताल में दिन-रात जुटे रहने वाले इंस्पेक्टर स्तर के एक आला-पड़ताली- अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया , ‘जॉर्डन हत्याकांड की तह में वर्चस्व की लड़ाई भी प्रमुख वजह रही है. दरअसल लॉरेंस गैंग का गुर्गा और कुख्यात शार्प-शूटर अंकित भादू चाहता था कि जब तक लॉरेंस जेल में बंद है तब तक उसकी गैर-हाजिरी में वो (अंकित भादू) जरायम की दुनिया में खुद की बादशाहत कायम कर ले. ताकि उसे लॉरेंस के नाम की बैसाखियों का सहारा न लेना पड़े. अगर इन दिनों कुख्यात लॉरेंस जेल के बाहर होता तो शायद उसके गुर्गे अंकित भादू की इतनी औकात न होती.’

एक ‘डॉन’ के कत्ल में 3 स्टेट पुलिस काम आईं

हत्याकांड के अगले ही दिन यानि 23 मई को श्रीगंगानगर की पब्लिक को शांत करने के लिए राजस्थान पुलिस के आला-अफसरों (पुलिस महानीरिक्षक दिनेश एम.एन.) ने ‘पड़ताल’ राज्य एसओजी (सहायक पुलिस अधीक्षक संजीव भटनागर) के हवाले कर दी. साथ ही जिला पुलिस के इंस्पेक्टर प्रशांत कौशिक और इंस्पेक्टर नरेंद्र कुमार पुनिया को भी साये की मानिंद केस की गुपचुप पड़ताल करते रहने की हिदायद दे दी.

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श्रीगंगानगर पुलिस सूत्रों के मुताबिक, ‘जिला पुलिस ने पूरे मामले पर चूंकि पैनी नजर शुरू से ही रखी हुई थी. लिहाजा उसने हालातों के मद्देनजर तफ्तीश में, अपराधियों की धर-पकड़ के लिए बनी पंजाब पुलिस के सबसे खतरनाक प्रकोष्ठ 'ओकू' यानि ऑर्गेनाइज्ड क्राइम कंट्रोल यूनिट का भी सहयोग लेने की योजना अमल में लाई. श्रीगंगानगर जिला पुलिस की यह योजना पूरी पड़ताल में तुरुप का इक्का साबित हुई.’

इस बात की पुष्टि श्रीगंगानगर के पुलिस अधीक्षक और भारतीय पुलिस सेवा के तेज-तर्रार अधिकारी हेमंत शर्मा भी करते हैं. उनके मुताबिक जॉर्डन हत्याकांड का खुलासा पुलिस टीमों के आपसी सामंजस्य का ही खूबसूरत परिणाम है.

इस सनसनीखेज हत्याकांड में राजस्थान पुलिस के साथ-साथ हरियाणा और पंजाब पुलिस का भी सराहनीय सहयोग रहा.

जॉर्डन को चैलेंज के साथ ‘ठोक्यो’ है!

25 मई 2018 को फेसबुक पर लॉरेंस विश्नोई के शार्प-शूटर और जॉर्डन हत्याकांड के वांछित बदमाश अंकित भादू ने पुलिस को खुली चुनौती दे डाली. फेसबुक एकाउंट पर यह मैसेज डालकर, ‘जॉर्डन (जौर्डन) को चैलेंज करके ठोक्यो है. जिसे वहम (शक या संदेह) हो. वो अपना मोबाइल नंबर फेसबुक इनबॉक्स कर दे और हमसे बदला ले ले.’

इस खुली चुनौती से हक्की-बक्की पुलिस को हिम्मत बंधाने के लिए, बीकानेर रेंज के पुलिस महानिरीक्षक विपिन पांडे ने खुद श्रीगंगानगर में पहुंच कर डेरा डाल दिया. ताकि जिला पुलिस का मनोबल भादू की ओछी चुनौती से कहीं टूट न जाए.

एक डॉन की मौत, सैकड़ों अफसरों की ‘माथा-पच्ची’

इसी बीच अबोहर पुलिस (पंजाब) ने 26 मई 2018 को लॉरेंस गैंग के तीन बदमाशों (अभिषेक गोदारा, विकास सिंह जाट और नरेंद्र सिंह) को मय हथियारों के दबोच लिया. पकड़े गए बदमाशों में जोधपुर में एमएससी का छात्र अभिषेक, गैंगस्टर लॉरेंस की बुआ का बेटा निकला.

आईपीएस हेमंत शर्मा ( बाएं ). इंस्पेक्टर नरेंद्र कुमार पुनिया ( दाएं )

आईपीएस हेमंत शर्मा ( बाएं ). इंस्पेक्टर नरेंद्र कुमार पुनिया ( दाएं )

इन तीनों से पूछताछ के लिए तुरंत ही पुलिस अधीक्षक श्रीगंगानगर हरेंद्र सिंह अबोहर पहुंच गए. 29 मई 2018 को राजस्थान के हनुमानगढ़ जिले में एटीएस राजस्थान के अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक उमेश मिश्रा की अध्यक्षता में आयोजित मीटिंग में भी जॉर्डन हत्याकांड की अधूरी ‘पड़ताल’ ही छाई रही. मीटिंग में एडिश्नल डायरेक्टर जनरल राजीव शर्मा, पुलिस अधीक्षक चुरु राहुल बारहट, हनुमानगढ़ के पुलिस अधीक्षक यादराम फांसल, हरियाणा पुलिस के अधीक्षक (सिरसा) हमीद अख्तर, भिवानी के पुलिस अधीक्षक गंगाराम पूनिया और हांसी एसपी प्रतीक्षा गोदरा की मौजूदगी प्रमुख रही.

तो डॉन जॉर्डन अभी जिंदा ही होता!

श्रीगंगानगर की हांफती हुई पुलिस को उम्मीद की किरण तब नजर आई जब इंस्पेक्टर नरेंद्र कुमार पूनिया और प्रशांत कौशिक की टीम के हाथ जून 2018 को 15 साल का एक लड़का लग गया. पता चला कि जिसे पुलिस तलाश ही नहीं रही थी, दरअसल 22 मई 2018 को जिम में अल-सुबह हुई डॉन विनोद चौधरी उर्फ जॉर्डन की हत्या का सूत्रधार वही कथित मासूम था! अगर यह लड़का लॉरेंस गैंग के शार्प-शूटरों के हाथ नहीं आया होता, तो शायद जार्डन अभी भी जीवित होता! दरअसल यह वही नाबालिग लड़का था, जिसका घर जॉर्डन के घर से महज आधा किलोमीटर दूर था.

जिसे बच्चा समझा वो ‘बवाल’ निकला!

जॉर्डन का भले ही इस लड़के से कोई लेना-देना न रहा हो. लॉरेंस के गुर्गों के लिए मगर, यह लड़का जॉर्डन हत्याकांड को अंजाम देने में ‘सेतु’ से कम नहीं रहा. भरी जवानी में ही जरायम की दुनिया में ‘बादशाहत’ कायम करने की हसरत पाले हुए यह कम-अक्ल बालक. ब-जरिये फेसबुक लॉरेंस गैंग के गुर्गों के फेर में आ गया. तय यह हुआ कि लड़का, जॉर्डन के आने-जाने के रास्तों पर नजर रखेगा. जॉर्डन के मूवमेंट की हर सूचना वो लॉरेंस गैंग के गुर्गों को देगा. अगर इस परीक्षा में वो कामयाब हुआ तो, उसे लॉरेंस की ‘बदमाश-कंपनी’ में शामिल कर लिया जाएगा.

‘जॉर्डन’ की जिंदगी छीनने वाली वो काली-रात

तय कार्यक्रम के मुताबिक जिस दिन, सुबह निकलते ही विनोद चौधरी उर्फ जॉर्डन की हत्या की जानी थी. उस पूरी रात यह नाबालिग जागकर लॉरेंस गैंग के गुर्गों के संपर्क में बना रहा. बजरिये व्हाट्सअप-कॉल. तड़के तीन बजे बदमाशों का यह मासूम सा दिखने वाला, मगर खतरनाक ‘मुखबिर’ पैदल ही घर से चोरी-छिपे चार-पांच किलोमीटर दूर मौजूद, उस जिम पर जा पहुंचा, जहां जॉर्डन दुश्मनों से छिपते-छिपाते जाता था. जैसे ही ब-जरिये इस लड़के के जॉर्डन के जिम मे मौजूद होने की पक्की खबर मिली. शूटरों ने जिम-ट्रेनर साजिद से जबरिया जिम के दरवाजे का ताला खुलवाकर, जॉर्डन को गोलियों से भून डाला. श्रीगंगानगर पुलिस सूत्रों के मुताबिक यह बालक ‘बदमाश-कंपनी’ ज्वाइन करने के लिए इस कदर उतावला था कि घटना वाली रात ही घर से अपने कपड़े-लत्ते साथ लेकर आया. ताकि वो हत्याकांड के तुरंत बाद ही हत्यारों के साथ जा सके.

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फिलहाल बदमाश कंपनी से धोखा खाया यह कम-अक्ल लड़का बाल-सुधार गृह भीलवाड़ा में बंद रहकर अपने किए की सजा भोग रहा है!

पड़ताल में उभरे सवाल

श्रीगंगानगर पुलिस भले ही मुंह न खोले, लेकिन इस तथ्य को भी नजरंदाज करना मुनासिब नहीं होगा कि जो अंकित भादू तीन राज्य की पुलिस के हाथ आज तक लगा ही नहीं है. वह भादू श्रीगंगानगर पुलिस के सामने से अगस्त 2018 में निकल गया. सूत्रों के मुताबिक हुआ यूं कि, हरियाणा पुलिस पीछा करते हुए भादू को रौंदती हुई श्रीगंगानगर की सीमा में घेर कर ले जा पुहंची. श्रीगंगानगर में (साधू शहर इलाके में) इंस्पेक्टर नरेंद्र कुमार पूनिया और हरियाणा पुलिस ने पैदल की कई किलोमीटर तक अंकित भादू को दौड़ाया. पुलिस और बदमाश के बीच कई राउंड गोलियां भी चलीं. मगर अंकित भादू रास्ते में मय चाबी खड़ी मिली मोटर साइकिल पर बैठकर रफूचक्कर होकर साबित कर गया कि वो,पुलिस से ज्यादा किस्मत का धनी है.

इंस्पेक्टर के भय से बेहाल खूनी-निशानेबाज

पड़ताल में यह तथ्य भी सामने आया है कि जॉर्डन को गोलियों से भूनने से पहले अंकित भादू ने अपने मुखबिर खास बने बालक से पूछा था कि क्या वो श्रीगंगानगर में पोस्टेड किसी नरेंद्र कुमार पूनिया को जानता है? लड़के ने जवाब दिया कि, वो मिला तो कभी नहीं, मगर बदमाश कंपनी के लिए खूंखार इंस्पेक्टर पूनिया का नाम उसने अखबारों में पढ़ा और सुना जरुर है. हो सकता है कि यह बात शार्प-शूटर अंकित ने लड़के से इसलिए ‘क्रॉस-चेक’ की हो ताकि कहीं वो, श्रीगंगानगर पुलिस में तेज-तर्रार समझे जाने वाले इंस्पेक्टर नरेंद्र कुमार पूनिया तक जॉर्डन को ठिकाने लगाए जाने की सूचना कहीं पहले ही लीक करके न पहुंचा दे. उधर प्रेमिका से बात करने का लालची संपत नेहरा को हरियाणा एसटीएफ ने आंध्र प्रदेश से दबोच लिया. श्रीगंगानगर में पोस्टेड इंस्पेक्टर भूपेंद्र सोनी के रिश्ते में दूर के भांजे पंकज की हत्या-लूट में भी संपत का ही हाथ बताया जाता है.

(लेखक वरिष्ठ खोजी पत्रकार हैं)

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