माधवी अपनी 10-11 साल की बेटी, बेटे और पति के साथ सबरीमाला मंदिर के रास्ते में आगे बढ़ रही थी. पुलिस की मदद से उन्होंने जैसे-तैसे सबरीमाला की पहाड़ियां पार कर ली थीं. भगवान अयप्पा और माधवी के बीच अब बस कुछ किलोमीटर का ही फासला रह गया था. मंजिल जब नजदीक नजर आती है तो सफर आसान लगने लगता है. लेकिन अफसोस माधवी को ऐसा नहीं लग रहा था. माधवी के चारों तरफ अधेड़ और युवा पुरुष घेरकर Long live Ayappa का नारा लगाते हुए विरोध प्रदर्शन कर रहे थे. ना..ना..ना...ये लोग गुंडे नहीं भगवान अयप्पा के भक्त हैं. ये भगवान को एक महिला से बचाने की कोशिश कर रहे हैं. अयप्पा के भक्तों के सामने माधवी की एक ना चली. कसूर माधवी की उम्र का था. कोई रजस्वला मंंदिर में दाखिल नहीं हो सकती. इनकी मान्यता है कि भगवान अयप्पा के मंदिर की सीढ़ियों पर अगर 10 साल से बड़ी और 50 साल से छोटी महिला कदम रखती है तो तबाही आ सकती है. खैर, माधवी सुप्रीम कोर्ट के फैसले और अपने पति के सहयोग के बावजूद भगवान अयप्पा के दर्शन नहीं कर पाईं.
अयप्पा पर इनके भरोसे का आलम यह है केरल में आई बाढ़ की वजह भी सबरीमाला को महिलाओं के लिए खोलने को मानते हैं. केरल में जब बाढ़ आई थी तब स्वदेशी जागरण मंच के को-कंवेनर एस गुरुमूर्ति ने ट्वीट करके कहा था कि 10 लाख में अगर एकबार भी चांस के हिसाब से सबरीमाला और बारिश के बीच संबंध को देखें तो ऐसा लगता है कि अयप्पा के खिलाफ केस का फैसला देना ठीक नहीं है.
What I said is this: If there is even one in a million chance of a link between the case and the rains, people -- repeat people -- would not like the case decided against Ayappan. It is about people's belief. For the info of all I am not an Ayyappa devotee, going to Sabarimala. https://t.co/AUmeyVD3bb
— S Gurumurthy (@sgurumurthy) August 18, 2018
आस्था बड़ी या कानून?
आस्था और भगवान को मानने वाले बेहिचक कहेंगे कि आस्था के सामने सब फेल. भगवान की मर्जी से चलने वाले लोग ये क्यों नहीं मान लेते कि महिलाओं में अयप्पा के दर्शन की इच्छा भी ईश्वर की ही मर्जी है. शायद इसलिए क्योंकि इससे उनके पुरुषत्व के गुमान को चोट पहुंचेगी. आप पुरुष हैं. खास हैं. शायद धरती के भगवान भी हैं!
अयप्पा के मंदिर में महिलाओं को जाने की इजाजत देने पर कुछ पढ़ेलिखे प्रोग्रेसिव लोगों का कहना है कि देश में तमाम मंदिर हैं. अगर एक मंदिर में महिलाएं नहीं जाएंगी तो क्या आफत आ जाएगी. अयप्पा मंदिर के ज्योतिषी परप्पनगडी उन्नीकृष्णन ने 2006 में कहा कि भगवान अयप्पा अपनी शक्ति खो रहे हैं. अयप्पा नाराज हैं. उन्नीकृष्णन का दावा था कि किसी युवा महिला के मंदिर में प्रवेश करने से ऐसा हुआ है.
भगवान कैसे अपवित्र हुए!
उन्नीकृष्णन के इस दावे के बाद कन्नड़ अभिनेता प्रभाकर की पत्नी जयमाला का खुलासा सामने आया था. जयमाला ने बताया था कि उन्होंने 1987 में गलती से अयप्पा की मूर्ति को छुआ था. जयमाला अपने पति प्रभाकर के साथ मंदिर गई थीं. धक्का लगने से वह अयप्पा के चरणों में गिर गईं.
जयमाला की बात सार्वजनिक होने के बाद देशभर को पता चला कि केल में एक ऐसा मंदिर है जहां महिलाओं के प्रवेश पर रोक है. इसके विरोध में 2006 में राज्य के यंग लॉयर्स एसोसिएशन ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की. लेकिन यह मामला 10 साल तक लटका रहा.
भक्तों के दलील से क्या भगवान खुश हैं?
जब मामले की सुनवाई शुरू हुई तो सुप्रीम कोर्ट ने मंदिर के बोर्ड से पूछा कि महिलाओं को मंदिर में प्रवेश की अनुमति क्यों नहीं है? इसके जवाब में बोर्ड ने कहा भगवान अयप्पा के ब्रह्मचर्य की वजह से केवल वह बच्चियां और महिलाएं इस मंदिर में जा सकती हैं जिनका मासिक धर्म या तो खत्म हो चुका हो या शुरू न हुआ हो.
अगर मैं ऊपर लिखी बात पर आऊं कि भगवान ने ही स्त्री पुरुष दोनों को बनाए हैं. इस हिसाब से दोनों भगवान की संतान हैं. फिर अपने संतान के देखने या छूने से भगवान का ब्रह्मचर्य क्यों टूटेगा?
भगवान की मर्जी ये नहीं है कि महिलाएं उनसे दूर रहे. उनकी मर्जी ये भी नहीं है कि पुरुष अपनी जरूरत के हिसाब से उन्हें हांके. भगवान की मर्जी अब ये भी नहीं है कि सीता रावण से लड़ने के लिए राम का इंतजार करें. मर्जी ये है कि सीता अब खुद रावण का वध करे क्योंकि अब समाज में रावण हजारों हैं और राम गिने चुने. हमारे समाज के सभी राम को उनकी हिम्मत के लिए शुक्रिया...
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