भारत के इतिहास में आज यानी 22 दिसंबर का दिन बहुत महत्वपूर्ण है. इतिहास में आज का दिन 'डे ऑफ डिलीवरेंस' यानी 'यौम ए निजात' के तौर पर मनाया गया था. इस कार्यक्रम का आयोजन 22 दिसंबर, 1939 को मुस्लिम लीग ने किया था जिसके अध्यक्ष मोहम्मद अली जिन्ना थे. पूरे भारत के मुस्लिमों ने इस दिन उत्सव मनाया था क्योंकि पूरे देश में अचानक कांग्रेस की सरकारों ने इस्तीफा दे दिया था.
दरअसल उस समय देश के 8 प्रांतों में कांग्रेस का शासन था लेकिन 3 सितंबर 1939 को वायसराय लॉर्ड लिनलिथिगो ने भारत से पूछे बिना यह फैसला कर दिया था कि जर्मनी से दूसरे विश्व युद्ध में भारत भी शामिल है. वायसराय के इस फैसले से कांग्रेस काफी नाराज थी और उसका कहना था कि भारत के लोगों से पूछे बिना उन्हें दूसरे विश्व युद्ध में कैसे झोंका जा सकता है. कांग्रेस शासन ने वायसराय के इस फैसले के खिलाफ आवाज उठाई और उसकी सरकारों ने इस्तीफा दे दिया.
ब्रिटिश सरकार द्वारा भारत को दूसरे विश्वयुद्ध में जबरदस्ती धकेला जा रहा था. इसीलिए कांग्रेस की सरकारों ने इस्तीफा दिया था और कहा था कि हम इस युद्ध में ब्रिटिश राज का समर्थन नहीं करेंगे. कांग्रेस की इस कार्रवाई का पूर्व पीएम जवाहर लाल नेहरू ने समर्थन किया था.
हालांकि महात्मा गांधी इस घटना से थोड़ा असंतुष्ट थे. उनका मानना था कि कांग्रेस सरकारों के इस्तीफे से ब्रिटिश मिलिट्राइजेशन और मुस्लिम लीग, दोनों मजबूत हो जाएंगे. वायसराय लिनलिथगो और मोहम्मद अली जिन्ना दोनों इस इस्तीफे से खुश थे.
9 से 14 दिसंबर के बीच नेहरू और जिन्ना के बीच भेजे गए थे कई लेटर्स
जिन्ना ने 2 दिसंबर 1939 को पूरे देश के मुस्लिमों से एक अपील की थी. उन्होंने कहा था, 'मैं चाहता हूं कि भारत के मुसलमान शुक्रवार, 22 दिसंबर का दिन डे ऑफ डिलीवरेंस के तौर पर मनाएं क्योंकि कांग्रेस की सरकारों ने इस्तीफा दे दिया है और देश को कांग्रेस से निजात मिल गई है.'
22 दिसंबर का दिन 'डे ऑफ डिलीवरेंस' यानी 'यौम ए निजात' के तौर पर मनाया गया. देश के कई हिस्सों में मुस्लिमों ने इस दिन उत्सव मनाया क्योंकि 1938 से 1939 के बीच मुस्लिम लीग देश में इस तरह का माहौल बना रही थी कि देश के उन प्रांतों में मुस्लिमों के साथ अत्याचार हो रहा है जहां कांग्रेस का शासन है.
जिन्ना के इस फैसले की कांग्रेस ने कड़े शब्दों में निंदा की थी. 9 दिसंबर 1939 को महात्मा गांधी ने जिन्ना से अपील की थी कि वह कांग्रेस और मुस्लिम लीग के 'एक होने' के लिए 'मीटिंग' को देखते हुए इस जश्न को रद्द कर दें. कांग्रेस नेता अबुल कलाम आजाद ने भी इस उत्सव की कड़ी निंदा की थी.
9 से 14 दिसंबर के बीच नेहरू और जिन्ना के बीच कई लेटर्स भेजे गए थे. लेकिन जिन्ना का कहना था कि देश के मुस्लिमों के खिलाफ कई कार्रवाई की गईं हैं और 22 दिसंबर का दिन डे ऑफ डिलीवरेंस के तौर पर मनाया जाएगा.
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