यूपी के अयोध्या में बाबरी मस्जिद का विध्वंस केवल एक सांप्रदायिक मसला नहीं है बल्कि यह एक बड़ा सियासी मुद्दा भी है जिसको लेकर चलाए गए आंदोलन ने बीजेपी को सत्तारूढ़ पार्टी के रूप में स्थापित कर दिया और विश्व हिंदू परिषद जैसे संगठन का भी काफी भला किया.
बाबरी मस्जिद विध्वंस और राम मंदिर निर्माण के मुद्दे पर दिए गए बयानों के बाद कई नेताओं की राजनीति चमकी और कई नेताओं को समाज की किरकिरी का सामना भी करना पड़ा. बाबरी मस्जिद विध्वंस 6 दिसंबर 1992 को हुआ था लेकिन इसकी गूंज आज भी भारत के कई कोनों में सुनाई देती है.
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक बाबरी मस्जिद को ढहाने के लिए मुख्य रूप से पांच नेताओं का नाम सामने आता है. इस लिस्ट में सबसे पहला नाम बीजेपी के वरिष्ठ नेता लाल कृष्ण आडवाणी का है. सीबीआई की मूल चार्जशीट में उन्हें ही इस घटना का मुख्य आरोपी बनाया गया. कहा जाता है कि 1992 में जो मस्जिद गिराई गई थी, उसका खाका अक्टूबर 1990 में ही खींचा जा चुका था.
इसकी शुरुआत कुछ ऐसे हुई थी..कि विश्व हिंदू परिषद ने एक अभियान चलाया था जिसका मकसद अयोध्या, मथुरा और काशी के मंदिरों को मुक्त कराना था. अपने मकसद को पूरा करने के लिए आडवाणी के नेतृत्व में सोमनाथ से लेकर अयोध्या तक रथयात्रा निकाली गई थी. शिवसेना के बाला साहेब ठाकरे ने मुंबई में इस रथयात्रा का स्वागत भी किया था. ठाकरे ने आडवाणी से वादा किया था कि राम मंदिर बनाने के संकल्प में वह भी पूरी तरह साथ हैं.
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आडवाणी पर आरोप है कि उन्होंने कहा कि राम मंदिर बनाने आएं हैं और राम मंदिर बनाकर जाएंगे. जो कार सेवक शहीद होने आएं हैं, उन्हें शहीद होने दिया जाए. हालांकि आडवाणी ने कोर्ट में लगाए गए आरोपों से इनकार कर दिया था.
कल्याण सिंह और अशोक सिंघल पर लगे गंभीर आरोप, घेरे में जोशी और कटियार
इस घटना में दूसरा और तीसरा नाम कल्याण सिंह और अशोक सिंघल का आता है. कल्याण सिंह और अशोक सिंघल का नाम मूल चार्जशीट में है. कल्याण सिंह 1991 में यूपी के सीएम बने थे. उन पर आरोप है कि जब वह सीएम बने तब उन्होंने बाकी नेताओं के साथ अयोध्या में जाकर कसम खाई थी कि मंदिर का निर्माण हर हालत में विवादित स्थान पर ही होगा.
उन्होंने नारा लगाया था..राम लला हम आएंगे, मंदिर यहीं बनाएंगे. हालांकि जब अयोध्या में बाबरी विध्वंस की घटना घटी, तब कल्याण सिंह यूपी में नहीं थे लेकिन उनका नाम इस षड़यंत्र में शामिल बताया जाता है.
वहीं चार्जशीट में कहा गया कि अशोक सिंहल नवंबर 1992 में बाला साहेब ठाकरे से मिले थे और उन्हें कारसेवा के लिए निमंत्रण दिया था. इसके बाद बाला साहेब ने 4 दिसंबर को शिवसैनिकों को अयोध्या जाने का निर्देश दिया. मीडिया रिपोर्ट में कहा गया कि अशोक सिंहल ने कहा था कि मस्जिद गिराते समय केवल गुंबद को गिराया जाए क्योंकि केवल वही चिन्ह मस्जिद का है. सिंघल ने बाबरी विध्वंस के एक दिन पहले कहा था कि मंदिर निर्माण में जो बाधा आएगी, उसे हम दूर कर देंगे.
मस्जिद ढहाने में चौथा और पांचवा नाम विनय कटियार और मुरली मनोहर जोशी का आता है. विनय कटियार बजरंग दल के नेता हैं. चार्जशीट में उन पर आरोप हैं कि उन्होंने कहा था कि बजरंग दल कारसेवा के लिए तैयार है और 6 दिसंबर को मौत दस्ता शिवाजी की रणनीति को अपनाकर काम पूरा करेगा. मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक मस्जिद ढहाने के एक दिन पहले कटियार के घर पर मीटिंग भी हुई थी. जिसमें आडवाणी समेत कई नेता शामिल हुए थे.
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वहीं मुरली मनोहर जोशी पर आरोप है कि जब मस्जिद का गुंबद गिरा तब उमा भारती खुश होकर आडवाणी और जोशी से गले मिली थीं. जोशी पर चार्जशीट में विवादास्पद बयान देने का भी आरोप लगाया गया है.
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