गणित और फिजिक्स के जरिए क्वांटम मैकेनिक्स की दुनिया को आसान बनाने वाले नोबल प्राइज विजेता मैक्स बॉर्न की आज 135वीं जयंती है. इस मौके पर गूगल ने उन्हें एक रंगीन डूडल के जरिए याद किया है. बॉर्न को उनकी बॉर्न थ्योरी के लिए जाना जाता है. उन्होंने एमआरआई और लेजर यंत्रों के लिए भी जाना जाता है.
जर्मनी भौतिक विज्ञानी और गणितज्ञ मैक्स बॉर्न का जन्म 11 दिसंबर, 1882 को तबके जर्मनी के ब्रेस्लॉ में हुआ था, अब ये जगह पोलैंड में है. बॉर्न बचपन से ही अच्छे छात्र थे. उन्होंने यूनिवर्सिटी ऑफ ब्रेस्लॉ से पढ़ाई की और अपनी पी.एचडी गॉटिन्गन यूनिवर्सिटी से पूरी की. इसके बाद वो सैद्धांतिक भौतिकी में प्रोफेसर बन गए थे. बॉर्न 1936 में नाजी शासन के दौरान इंग्लैंड चले गए थे. यहां उन्होंने कैंब्रिज यूनिवर्सिटी में तीन सालों तक पढ़ाया. इसके अगले 20 सालों तक कैंब्रिज यूनिवर्सिटी में पढ़ाते रहे और रिसर्च करते रहे.
बॉर्न ने 'बॉर्न नियम' के खोजकर्ता हैं, इस सिद्धांत के अंतर्गत क्वांटम सिस्टम में मौजूद किसी पार्टिकल की संभावित स्थिति पता लगाई जाती है. पहले यह माना जाता था, किसी पार्टिकल की निश्चित स्थिति जानने के लिए कई प्रयोग और ढेर सारी कैलकुलेशन की जरुरत पड़ती थी. बॉर्न ने मैट्रिक्स और प्रोबैबिलिटी नियम के जरिए इसको आसान बनाया है. इस तकनीक का इस्तेमाल आज कंप्यूटर, लेजर, मेडिकल सहित कई क्षेत्रों में किया जाता है.
1954 में भौतिक विज्ञान और क्वांटम मैकेनिक्स में दिए योगदान के लिए बॉर्न को नोबेल प्राइज से सम्मानित किया गया था. वर्तमान में क्वांटम फिजिक्स बॉर्न के सिद्धांतों पर ही काम करता है. अगर बॉर्न ने क्वांटम मैकेनिक्स के नियमों को इतना आसान नहीं बनाया होता, तो आज का मेडिकल भी इतना आसान नहीं होता.
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