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अजीज़ अंसारी केस: 'पब्लिसिटी वाला' हैरेसमेंट का आरोप 'फेमिनिज़्म' नहीं है

अजीज़ अंसारी के गोल्डन ग्लोब अवॉर्ड जीतने के बाद क्यों एक रात की कहानी में लोगों की दिलचस्पी इतनी बढ़ गई है

Updated On: Jan 16, 2018 07:39 PM IST

Animesh Mukharjee Animesh Mukharjee

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अजीज़ अंसारी केस: 'पब्लिसिटी वाला' हैरेसमेंट का आरोप 'फेमिनिज़्म' नहीं है

मी टू हैशटैग 2017 की सबसे ताकतवर और चर्चित चीजों में से एक रहा. 2018 शुरू होते-होते इसके नाम पर कुछ ऐसा हुआ कि कई लड़कियों के साहस, मेहनत पर सवाल खड़े कर दिए. अजीज़ गोल्डन ग्लोब जीतने वाले पहले एशियाई मूल के अभिनेता हैं. अवॉर्ड जीतने के कुछ समय बाद ही वो फिर खबरों में आ गए. 34 साल के अभिनेता पर 23 साल की ब्रुकलिन की एक फोटोग्राफर ने सेक्सुअल असॉल्ट का आरोप लगाया. आगे बढ़ने से पहले ये समझ लीजिए. ये पूरी कहानी चित्रात्मक वर्णन जैसी डीटेल के साथ ‘बेब’ नाम की वेबसाइट पर छपी है. लड़की का नाम न लिखकर ‘ग्रेस’ नाम लिखा गया है. इस वेबसाइट का ज़िक्र करना इसलिए ज़रूरी है क्योंकि इससे पहले आपने शायद ही इस वेबसाइट का नाम सुना हो. अंसारी पर आरोप लगाने के बाद इसे दुनिया भर से रिस्पॉन्स मिला है. न्यूयॉर्क टाइम्स जैसी वेबसाइट ने इसके लेख को लेकर एडिटोरियल लिखा है.

दूसरी तरफ वेबसाइट को खंगालने पर पता चलता है ये एक ‘नारीवादी’ या ‘फेमिनिस्ट’ वेबसाइट है. एक पल के लिए ठिठक कर सोचना पड़ता है कि इस वेबसाइट का नाम ‘बेब’ (babe) क्यों है? इसकी पूरी थीम ‘गुलाबी’ क्यों है? वेबसाइट महिलाओं के बारे में है, उनके कर्व्स, क्लीवेज और एसी ही तमाम चीज़ों के बारे में है. कुछ जगह पुरुषों का ज़िक्र आता है वहां या तो सलाह है कि फलां मर्द को ‘ट्रैप’ फंसाए कैसे? या पुरुषों के तमाम तरह के अत्याचार की कहानियां हैं. खैर पहले मूल मुद्दे पर आते हैं.

फोटो- बेब. नेट

फोटो- बेब. नेट

बेब पर छपी ग्रेस की कहानी के अनुसार, एमी अवार्ड की पार्टी में अजीज़ और ग्रेस मिले. दोनों ने एक दूसरे को नंबर दिए और चैटिंग शुरू की. इसके बाद दोनों ने डेट पर मिलने का तय किया. डेट पर जाने के लिए ग्रेस ने दोस्तों से सलाह ली कि क्या पहना जाए. दोनों जहां गए वहां खाने के साथ व्हाइट वाइन परोसी गई. ग्रेस का मन रेड वाइन पीने का हो सकता था मगर वाइन मंगवाते समय अजीज़ ने उनसे पूछा नहीं. इसके बाद दोनों अजीज़ के घर पहुंचे. अजीज़ के किचन में दोनों ने एक दूसरे को किस किया. इसके बाद अजीज़ ने आगे बढ़ने की कोशिश की.

कहानी में पेंच इसके बाद आता है. ग्रेस का कहना है कि दोनों ने किस किया, दोनों निर्वस्त्र थे, मगर ग्रेस श्योर नहीं थीं. उन्होंने अजीज़ से कहा, ‘एक सेकेंड रुको, आराम से’ (‘Whoa, let’s relax for a sec, let’s chill.) इसके बाद दोनों के बीच संबंध बने. इनका पूरा डीटेल विवरण ग्रेस की कहानी में है. साथ ही ये भी कि वो ये करती रहीं मगर उन्होंने टोका नहीं. काफी समय बाद ग्रेस ने मना कर दिया. अजीज़ ने इसके बाद ‘कुछ नहीं किया’ दोनों ने साथ में फिल्म देखी. सुबह ग्रेस ने कैब ली और घर चली गई. इस बीच दोनों ने किस किया, या कहें अजीज़ की तरफ से किया गया. अगले दिन जब अजीज़ ने ग्रेस को डेट पर जाने के लिए शुक्रिया कहा तो ग्रेस ने कहा कि वो रात में सहज नहीं थी. इसपर अजीज़ ने माफी मांगी.

इस पूरे विवाद के बाद अजीज़ ने बयान जारी कर कहा कि जो हुआ था, वो सहमति से हुआ हुआ था. इसके अलावा वो किसी का दिमाग नहीं पढ़ सकते. बेब से सहमति रखने वाले एक बड़े तबके का कहना है कि अंसारी महिला मुद्दों पर बोलते हैं मगर उन्होंने एक लड़की का सेक्सुअल हैरेसमेंट किया. जबकि अंसारी के समर्थन में लोग कह रहे हैं कि वो पहली बार में किसी लड़की के अनकहे इशारे नहीं समझ पाए. ऐसे में जो हुआ उसे एक खराब रात कहा जा सकता है मगर उसे सीधे यौन शोषण के खांचे में डाल देना गलत है.

ये घटना सितंबर की है मगर ये मुद्दा अजीज़ के गोल्डन ग्लोब जीतने के बाद सामने आया है. अगर इससे अलग होकर देखें. तो अजीज़ सफल हैं. काफी अच्छे से बात करते हैं. पढ़े लिखे और अलग-अलग विषयों का तजुर्बा रखने वाले हैं. ऐसे में एक 23 साल की लड़की का उनके प्रति आकर्षित हो जाना सहज हैं. इसके बाद जो हुआ वो भी बहुत अनपेक्षित नहीं है. कुछ बातों को निजी पसंद का मामला माना जा सकता है, उससे अलग व्यवहार को सीधे बलात्कार या यौन शोषण की श्रेणी में डाल देना ठीक वैसा ही है कि एक पूजा पद्धति को मानने वाले ही सही हैं, बाकी दोषी हैं.

इसके साथ ही एक और समस्या है. अगर आप पुरानी महिलाओं को शिक्षा देने वाली पत्रिकाएं, नारी दर्पण जैसी किताबें देखें तो उसमें महिलाओं की जिंदगी का मतलब स्वेटर बुनना, मटर पनीर बनाना, दादी मां के नुस्खे और ऐसी ही तमाम बातों तक सीमित है. इसी तरह इंटरनेट पर जो वेबसाइट्स ‘फोर्थ वेव ऑफ फेमिनिज़्म’ का प्रतिनिधत्व करती हैं उनकी ज्यादातर कहानियां वजन घटाने, हैरेसमेंट के आरोप लगाने, फैशन या इंस्टाग्राम ट्रेंड से आगे नहीं बढ़ पाती हैं.

दोनों ही प्रकारों में पॉलिटिक्स, बिज़नेस, स्पोर्ट्स ट्रेनिंग जैसे मुद्दे गायब रहते हैं. आधी आबादी की जिंदगी को इससे क्या फर्क पड़ता है, इन्हें जानना क्यों जरूरी है इन मैग्ज़ीन्स या वेबसाइट का पाठक वर्ग नहीं जान पाता. कह सकते हैं कि दुनिया गोल है किसी चीज़ से बहुत दूरी बनाने के चक्कर में लोग वापस वहीं पहुंच जाते हैं.

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