उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पर मदरसों के भगवाकरण और उन पर गैर ज़रूरी नियम लादने के आरोप लगते रहे हैं. माना जा रहा था कि सरकार मदरसों को बंद करना चाहती है, लेकिन अब अलग ही तस्वीर नज़र आ रही है. योगी आदित्यनाथ के मदरसों को बंद करने की सिफारिश को एक सिरे से खारिज कर दी है. साथ ही यूपी सरकार मदरसों को आधुनिकरण करने के काम में पूरी तरह जुट गयी है.
क्या है ये नीति ?
आबादी के लिहाज से देश का सबसे ज्यादा मुसलमान आबादी वाला राज्य उत्तर प्रदेश है. इसलिए उत्तर प्रदेश ये योजना लागू करने के लिए अहम है. मदरसों के आधुनिकीकरण के पीछे बीजेपी की बड़ी सोची समझी योजना काम कर रही है. सच्चर कमेटी ने भी देश में मुसलमानों की आर्थिक, सामाजिक और शिक्षा की स्थिति अन्य समुदायों की तुलना में काफ़ी ख़राब बताई थी. अब इसी ख़राब स्थिति को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और योगी आदित्यनाथ बीजेपी के फायदे के लिए भुनाने में लगे हैं. प्लान तैयार हो चुका है और 2019 तक उसका असर ये होने वाला है कि बीजेपी उन इलाकों में भी कमल खिला सकती है जहां मुस्लिम फैक्टर सबसे ज्यादा असर रखता है.
कैसे जीत रही है बीजेपी मुस्लिमों का दिल ?
उत्तर प्रदेश में मदरसों को आधुनिक बनाने का काम तेजी से शुरू किया जा रहा है. कुरान और कंप्यूटर की जुगलबंदी धर्म की शिक्षा के साथ रोजगार देने वाली शिक्षा के लिए ज़रूरी है. इसीलिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मदरसों को आधुनिक स्कूलों जैसा बनाने की योजना छेड़ी है. इस योजना से मुसलमान बच्चों के भविष्य को तो फायदा होगा ही साथ ही बीजेपी भी इसे अपने मुनाफे का सौदा आंक रही है.
बीजेपी को मदरसों के आधुनिकीकरण से फायदा होने की उम्मीद है.क्योंकि देशभर के मदरसों में 1 करोड़ मुस्लिम परिवारों के बच्चे पढ़ते हैं.यानी मदरसों के आधुनिकीकरण का सीधा फायदा 1 करोड़ मुस्लिम परिवारों को होगा.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार ने मदरसों के लिए सबसे ज्यादा जारी किये फंड बता दें कि बीते 7 साल में केंद्र सरकार ने मदरसों के आधुनिकीकरण पर 1000 करोड़ रुपये ख़र्च किए हैं. इसमें सबसे ज्यादा फ़ंड 2015-16 में 294 करोड़ रुपये मोदी सरकार ने जारी किया है. योगी सरकार के पहले बजट में भी मदरसों के लिए 394 करोड़ रुपये दिए गए थे.
हज सब्सिडी का पैसा अब इस्तेमाल होगा मुस्लिम लड़कियों की शिक्षा पर
यूपी के अल्पसंख्यक मंत्रालय की मानें तो अब मुसलमान लड़कियों की शिक्षा पर भी सालाना 700 करोड़ खर्च करने की योजना बनाई जा चुकी है. हज सब्सिडी में दिए जाने वाले 700 करोड़ रुपये अब बच्चों की पढ़ाई लिखाई पर ख़र्च किए जाएंगे.
बीजेपी पर अबतक मुस्लिम विरोधी होने के आरोप लगते रहे हैं लेकिन अल्पसंख्यक मंत्रालय की ओर से उठाए गए ये कदम दिखाते हैं कि बीजेपी ने कई मोर्चों पर साहसिक फैसले लिए हैं. क्या इन कदमों का सिला बीजेपी को मु्स्लिम समाज के भारी वोट से मिलेगा? ये आने वाला वक्त ही बताएगा.
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