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अयोध्या की कहानी के हीरो अब योगी हैं, आडवाणी नहीं

आडवाणी, जोशी, उमा भारती के खिलाफ मुकदमे से संघ के एजेंडे को फायदा ही है

Updated On: Apr 21, 2017 12:28 PM IST

Ajay Singh Ajay Singh

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अयोध्या की कहानी के हीरो अब योगी हैं, आडवाणी नहीं

अगर आप यह सोच रहे हैं कि बीजेपी के वरिष्ठ नेताओं पर बाबरी मस्जिद विध्वंस मामले में मुकदमा चलने का आदेश भगवा धड़े के लिए झटका है तो आप बहुत बड़ी गलती कर रहे हैं. जिन्हें भगवा बंधुत्व की फिलॉसफी और भारतीय न्याय व्यवस्था के काम करने के तरीके की थोड़ी भी समझ है, वह ऐसी बचकानी धारणा बिल्कुल नहीं बनाएंगे.

दूसरी ओर इस बात के साफ संकेत हैं कि दिल्ली और लखनऊ में बीजेपी के गद्दीनशीं होने से अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण का रास्ता आसान हो जाएगा. लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, विनय कटियार और उमा भारती संघ परिवार की वृहत योजना में अपनी उपयोगिता खो चुके हैं. ऐसे में इन्हें बस एक व्यक्ति के तौर पर ही देखना होगा.

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) की ट्रेनिंग में यह बात रची-बसी है कि मुद्दा व्यक्तियों से अधिक अहम होता है. हां, इतना जरूर है कि जब कोई व्यक्ति किसी मुद्दा का प्रतीक बन जाए तो संघ की इस सोच में लचीलापन भी आ जाता है. 1990 में आडवाणी अयोध्या आंदोलन के सबसे ताकतवर प्रतीक और वाहक के रूप में उभरे थे. आडवाणी को संघ, वीएचपी और अपनी पार्टी बीजेपी का असीम विश्वास हासिल था.

The President of India's main opposition Bharatiya Janata Party (BJP), Lal Kishan Advani (R), acknowledges greetings of people during launching of their party's election campaign in New Delhi April 6. The BJP is the main challenger to Prime Minister P.V. Narasimha Rao's Congress Party for the general election to the parliament which is set to begin from April 27 - RTXGT2Z

सत्ता ने बदला आडवाणी का रुख

6 दिसंबर 1992 को बाबरी मस्जिद गिराए जाने और अस्थायी राम मंदिर बनने के बाद अयोध्या आंदोलन ने धीरे-धीरे अपनी प्रासंगिकता खो दी. आडवाणी अटल बिहारी वाजपेयी के साथ अपनी पार्टी में हिंदुत्व के चेहरे के तौर पर अपनी प्रमुख भूमिका में लौट आए और 1998 व 1999 में बीजेपी को सत्ता तक पहुंचाने में अहम रहे. हालांकि गृह मंत्री के तौर पर आडवाणी के कार्यकाल के दौरान राम मंदिर पर उनकी ढुलमुल प्रतिबद्धता ने भगवा धड़े में उनके प्रति संदेह पैदा कर दिया.

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अगर आपको इसमें कोई शक है तो आडवाणी के गृहमंत्री रहते हुए अयोध्या में कारसेवकों के जमावड़े को लेकर आरएसएस-वीएचपी नेताओं से उनकी तनातनी को याद करिए. आडवाणी ने वीएचपी-प्रेरित इस जमावड़े के खिलाफ जिस तरह कार्रवाई की, वह 1990 में वीपी सिंह-मुलायम सिंह यादव की कार्रवाई से कम सख्त नहीं थी. अपने बयानों में वह एक ऐसे नेता के तौर पर नजर आते जो खुद को मंदिर एजेंडे से दूर करने और नरमपंथी हिंदू नेता के रूप में स्थापित करने में लगा था. यह संघ परिवार को रास नहीं आया. वाजपेयी-आडवाणी शासनकाल के 6 वर्षों में अयोध्या पार्टी के राजनीतिक राडार पर रहा ही नहीं.

अब एजेंडे से कोई दूरी नहीं है

इस स्थिति की तुलना आज से करिए. अब न तो केंद्र और न ही यूपी सरकार को संघ परिवार के 'राष्ट्र निर्माण' के महान लक्ष्य के लिए काम करने को लेकर कोई हिचक है.

Yogi Adityanath

राम मंदिर के निर्माण का एजेंडा इस महान लक्ष्य में ही निहित है. योगी आदित्यनाथ के मुख्यमंत्री बनने के बाद राज्य सरकार धर्मनिरपेक्ष मूल्यों के किसी भी आभास को अलविदा कहने में पीछे नहीं रहेगा. साफ है कि योगी इस प्रोजेक्ट के जल्द से जल्द पूरा होने के लिए सर्वाधिक प्रतिबद्ध होंगे.

बीजेपी के अन्य नेताओं से अलग योगी एक खांटी राजनेता नहीं हैं. वह एक हिंदू धार्मिक पीठ के मुखिया हैं और उनकी धार्मिक मान्यताओं और विश्वास को लेकर गहरी प्रतिबद्धता हैं. वह जानते हैं कि हाल के चुनाव ने पारंपरिक मुस्लिम नेतृत्व को पूरी तरह किनारे पर कर दिया और ऐसे में 'पारंपरिक सेकुलरिज्म' का झंडा बुलंद करने वालों की फिलहाल मुस्लिमों के बीच कोई जमीन नहीं है. नतीजतन अयोध्या में मंदिर बनाने के लिए सम्मति का रास्ता निकालने का यह अनोखा मौका है.

अयोध्या के 'समाधान' का रास्ता खुला

सुप्रीम कोर्ट के बीजेपी के वरिष्ठ नेताओं के खिलाफ क्रिमिनल केस चलाने और मामले की जल्द सुनवाई के आदेश के बाद अयोध्या मामला फिर से चर्चा के केंद्र में आ गया है. ऐसे में हर दिन की सुनवाई भगवा धड़े को इस मुद्दे को फिर जीवंत करने और इसके तार्किक परिणाम यानी मंदिर निर्माण तक ले जाने में मदद करेगी. ऐसी स्थिति में योगी न केवल एक सत्तारुढ़ कार्यपालक के तौर पर बल्कि एक बड़े धार्मिक नेता के तौर पर भी अहम भूमिका निभाएंगे.

आडवाणी, जोशी, भारती और अन्य के खिलाफ मामले में सुप्रीम कोर्ट के दखल ने संघ परिवार प्रेरित अयोध्या आंदोलन को झटका देने के बजाय इसके सबसे अहम मोड़ पर इसे एक नया जीवन दिया है. जैसे-जैसे यह आगे बढ़ेगा, आडवाणी, जोशी, भारती और अन्य के लखनऊ में कोर्ट में सुनवाई के लिए जाने-आने के दृश्य मुख्य कहानी का हिस्सा नहीं रह जाएंगे. अपने नए अवतार में अयोध्या की कहानी के नए हीरो योगी आदित्यनाथ जैसे लोग होंगे जो संघ परिवार के इस राजनीतिक लक्ष्य को उम्मीद से पहले पूरा करने में अहम साबित हो सकते हैं.

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