वर्ल्ड बैंक की ताजा रिपोर्ट के मुताबिक भारत इस वक्त कारोबार करने के लिहाज से पहले से बेहतर हो गया है. दुनिया के 190 देशों की सूची में भारत का स्थान पिछले दो सालों से 130 वां था, लेकिन, अब 30 पायदान की छलांग के बाद भारत 100 वें स्थान पर पहुंच गया है.
वर्ल्ड बैंक की ताजा रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि इस साल सबसे ज्यादा सुधार करने वाले 10 देशों में भारत भी है. ईज ऑफ डूइंग बिजनेस को लेकर रिपोर्ट जारी होने के बाद सरकार की बांछें खिल गई हैं.
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इस वक्त जब राजनीतिक विरोधियों के साथ-साथ बीजेपी के अंदर से भी अर्थव्यवस्था को लेकर आवाजें खड़ी हो रही हैं, ऐसे वक्त में वर्ल्ड बैंक की रिपोर्ट ने सरकार को राहत की सांस दी है. इस बात का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि वित्त मंत्री अरुण जेटली इस रिपोर्ट के आधार पर देर शाम प्रेस कांफ्रेंस भी करने पहुंच गए.
वर्ल्ड बैंक की 'ईज ऑफ डूइंग बिजनेस' रिपोर्ट जारी होने के बाद केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली ने भारत की इस उपलब्धि को ऐतिहासिक बताया. उन्होंने कहा कि इस समय भारत में कुछ और सुधार हो रहे हैं, इसलिए माना जा सकता है कि आने वाले वर्षों में स्थिति में इसी तरह का सुधार दिखेगा.
उन्होंने कहा कि वर्ल्ड बैंक की रिपोर्ट में उन्हीं मसलों को शामिल किया जाता है, जिस पर 1 जून तक न सिर्फ फैसला हो जाता है बल्कि अर्थव्यवस्व्था में उसका असर भी दिखने लगता है.
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वर्ल्ड बैंक ने इस वर्ष की रिपोर्ट में भारत का विशेष रूप से जिक्र किया है कि यहां महत्वपूर्ण स्ट्रक्चरल रिफार्म हुए हैं. उन्होंने कहा कि इस रिपोर्ट में तो 1 जून से पहले हुए काम को शामिल करने की की परंपरा है. उनका मूल्यांकन इतना कठिन है कि सिर्फ सुधार ही नहीं देखते बल्कि उसका असर भी देखते हैं.
वित्त मंत्री अरुण जेटली इस रिपोर्ट के आधार पर भारत की बेहतर अर्थव्यवस्था की तस्वीर पेश करने की कोशिश कर रहे हैं. उनकी तरफ से यह दिखाने की कोशिश हो रही है कि किस तरह भारत की अर्थव्यवस्था धीरे-धीरे पटरी पर आ रही है. किस तरह अर्थव्यवस्था अब नोटबंदी की मार से उबरकर फिर से बेहतर और मजबूत दिख रही है.
सत्ता में आने के बाद से ही मोदी सरकार की तरफ से स्ट्रक्चरल रिफॉर्म की कोशिश लगातार हो रही है. विदेशी निवेश को बढ़ावा देने और भारत में मेक इन इंडिया के तहत भी कारोबार बढ़ाने की सरकार की कवायद होती रही है. सरकार को उम्मीद है कि कारोबार के लिहाज से भारत की रैंकिंग में सुधार से मेक इन इंडिया की उसकी कोशिशों को और बढ़ावा मिलेगा और इसका सीधा असर अर्थव्यवस्था पर ही पड़ेगा. लेकिन, इस वक्त चिंता सरकार की छवि की है. अर्थव्यवस्था के मुद्दे पर यशवंत सिंहा जैसे बीजेपी के ही पुराने नेताओं के निशाने के बाद सरकार को जवाब देना मुश्किल हो रहा था.
नोटबंदी की परेशानी से उबरते ही कर सुधार की दिशा में उठाए गए कदम और जीएसटी के लागू होने से भी शुरुआती दिनों में लोगों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. छोटे व्यापारियों और कारोबारियों को हो रही परेशानी को लेकर भी कांग्रेस की तरफ से सरकार को घेरा जा रहा है.
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दूसरी तरफ, जीएसटी के चलते आर्थिक विकास दर में गिरावट भी सरकार को कठघरे में खड़ा करती है. कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी भी लगातार नोटबंदी और जीएसटी को अर्थव्यवस्था और आम आदमी पर मोदी सरकार के सबसे बड़े प्रहार के तौर पर पेश कर रहे हैं.
गुजरात और हिमाचल प्रदेश के विधानसभा चुनाव में भी कांग्रेस की तरफ से जीएसटी के मुद्दे को उछालकर कारोबारियों के साथ-साथ अर्थव्यवस्था की मंदी के लिए मोदी सरकार को घेरा जा रहा है. ऐसे वक्त में वर्ल्ड बैंक की तरफ से यह कहना कि भारत कारोबार करने के हिसाब से पहले से बेहतर है, सरकार के लिए राहत लेकर आया है.
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