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संसद और विधानसभाओं में महिलाओं को 33 प्रतिशत आरक्षण देने की उठी मांग

शून्यकाल में एनसीपी सदस्य वंदना चव्हाण ने महिलाओं के लिए आरक्षण का मुद्दा उठाया और कहा कि महिलाओं को पंचायती राज संस्थानों में 33 प्रतिशत आरक्षण 1992 में ही मुहैया कराया गया था

Updated On: Dec 14, 2018 05:28 PM IST

FP Staff

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संसद और विधानसभाओं में महिलाओं को 33 प्रतिशत आरक्षण देने की उठी मांग

राज्यसभा में शुक्रवार को एनसीपी की एक सदस्य ने संसद और विधानसभाओं में महिलाओं को 33 प्रतिशत आरक्षण मुहैया कराने की मांग की. शून्यकाल में एनसीपी सदस्य वंदना चव्हाण ने महिलाओं के लिए आरक्षण का मुद्दा उठाया और कहा कि महिलाओं को पंचायती राज संस्थानों में 33 प्रतिशत आरक्षण 1992 में ही मुहैया कराया गया था.

उन्होंने कहा कि 25 साल से ज्यादा समय हो गया है और अब महिलाओं को संसद और विधानसभाओं में भी आरक्षण मिलना चाहिए. शून्यकाल के दौरान उच्च सदन में विभिन्न दलों के सदस्य राफेल विमान सौदा सहित अन्य मुद्दा पर हंगामा कर रहे थे. सदन में शोरशराबे के बीच ही वंदना चव्हाण ने कहा कि सत्तारूढ़ दल को लोकसभा में भारी बहुमत हासिल है और हम सब एक स्वर में इस प्रस्ताव का समर्थन करते हैं कि संसद और राज्य विधानसभाओं में महिलाओं को 33 प्रतिशत आरक्षण मिलना चाहिए.

शून्यकाल में ही जेडीयू सदस्य रामनाथ ठाकुर ने रेल मंडलों के क्षेत्राधिकार का मुद्दा उठाया. ठाकुर ने कहा कि यदि समस्तीपुर मंडल का क्षेत्राधिकार सोनपुर मंडल के किसी रेलवे स्टेशन तक कर दिया जाता है, तो वहां का प्रशासन कैसे चल पाएगा? इसी प्रकार सोनपुर मंडल का क्षेत्राधिकार बढ़ाकर समस्तीपुर के पास के किसी रेलवे स्टेशन तक किया जाता है, तो उसके प्रशासन में व्यावहारिक कठिनाइयां आएंगी. उन्होंने कहा कि रेल मंत्री को इस समस्या के निराकरण के लिए अपने स्तर से प्रयास करना चाहिए ताकि सभी मंडलों के क्षेत्राधिकार का औचित्यपूर्ण और तर्कसंगत तरीके से निर्धारण हो सके.

शून्यकाल में हंगामे के बीच ही तृणमूल कांग्रेस के नदीमुल हक ने भारतीय रेल में आधारभूत सुविधाओं के विस्तार की मांग की. उन्होंने कहा कि बुनियादी सुविधाओं के अभाव में ट्रेनों को अक्सर स्टेशनों के बाहर ही इंतजार करना पड़ता है.

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